नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद को लेकर नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी का देशभर में जमकर विरोध किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़क गई. जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार किया. हिंसक प्रदर्शन में शामिल हुए लोगों के घरों पर यूपी सरकार ने बुलडोजर चलवाने का काम किया. प्रदर्शन में हुई हिंसा का मास्टर माइंड बताते हुए यूपी पुलिस ने जावेद मोहम्मद को गिरफ्तार किया और उनके घर पर भी बुलडोजर चलवा दिया.
जावेद मोहम्मद के घर को ढहाए जाने से एक दिन पहले उन्हें एक नोटिस दिया गया जिसमें लिखा था कि अवैध रूप से घर के निर्माण के मामले में 10 मई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसमें सुनवाई 24 मई के लिए तय हुई थी. हालांकि जावेद का परिवार 10 मई को कोई भी नोटिस दिए जाने से इनकार करता है.
जावेद मोहम्मद की बेटी सुमैया आफरीन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें कोई भी नोटिस नहीं दिया गया. जब हमारा घर तोड़ा जा रहा था उस समय हम थाने में थे. पुलिस ने हमें कहा कि फोन करके अपने घर को खाली कराइए, तब हमें यह पता चला की हमारे घर को तोड़ने की तैयारी चल रही है.’
वह बताती हैं, ‘हमें तब तक कोई नोटिस नहीं मिला था. पुलिस ने हमें बताया कि हमारे घर पर एक नोटिस लगाया गया है, हमने टीवी स्क्रीन पर लाइव ब्रॉडकास्ट में ही वह नोटिस देखा जिसे हम पढ़ भी नहीं पाए थे. जब हमारा घर टूट कर ढेर हो गया उसके बाद हमें नोटिस मिला.’
प्रशासन का कहना है कि चूंकि जावेद अपने वकील के साथ मौजूद नहीं हुए इसलिए 25 मई को आदेश जारी किया गया कि वह 9 जून को अपना घर ध्वस्त कर दें. जावेद ने ऐसा नहीं किया इसलिए रविवार को उनका घर ढहा दिया गया.
वहीं जावेद के वकील केके रॉय का आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘घर गिराने की कार्रवाई को सही ठहराने के लिए 11 जून को घर पर नोटिस लगाया गया है और उसमें बताया गया है कि पहले एक कारण बताओ दिया गया था. यह कारण बताओ नोटिस जावेद मोहम्मद या उनकी पत्नी परवीन फ़ातिमा को कभी प्राप्त नहीं हुआ है.’
प्रयागराज में हुई हिंसा को लेकर पुलिस ने अब तक वैसे तो 92 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिनमें जावेद मोहम्मद भी शामिल हैं.
जावेद मोहम्मद के परिवार ने आरोप लगाया है कि उनके घर को ढहाते वक्त नियमों का पालन नहीं किया गया. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक जावेद मोहम्मद ने कुछ दिनों पहले ही पानी का बिल भरा था. इसके अलावा वह घर का टैक्स भी भर चुके हैं. परिवार ने इस अतिक्रमण को असंवैधानिक करार दिया है.
जावेद के वकील केके रॉय कहते हैं, शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद पथराव की घटना हुई और शनिवार को ही जावेद को इस घटना का मास्टरमाइंड बता दिया गया और शनिवार को ही उनका घर तोड़ने की भी घोषणा की गई. ऐसे में प्रशासन का यह दावा करना कि घर को ढहाने की प्रक्रिया पहले से चल रही थी, खोखली नजर आती है.
जावेद मोहम्मद की बेटी सौम्या आफरीन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे घर में मैं, मेरे माता-पिता मेरी बड़ी बहन आफरीन फातिमा रहती थीं. चुनमुन नाम की एक लड़की जो मानसिक रूप से बीमार है, वह बचपन से ही हमारे साथ रह रही है, वो भी इसी घर में रहती थीं.’
सुमैया बताती हैं कि यह घर उनके पिता के नहीं बल्कि उनकी मम्मी परवीन फातिमा के नाम पर है. उनके नाना ने तोहफे के रूप में यह घर उन्हें दिया था.
वकील केके रॉय कहते हैं कि प्रशासन द्वारा जारी किया गया नोटिस जावेद मोहम्मद के नाम था जबकि घर परवीन फातिमा के नाम पर है.
इंडियन एक्सप्रेस को एक पीडीए अधिकारी ने बताया, ‘हम स्थानीय लोगों से जानकारी हासिल करते हैं और उसके बाद जिस व्यक्ति ने जमीन पर निर्माण किया होता है उसे नोटिस देते हैं. अधिकारी ने बताया कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि घर पर मालिकाना हक किसका है.’
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किराये पर लेंगे मकान
जावेद मोहम्मद का परिवार चाहता है कि जिस तरह प्रशासन ने उनका घर तोड़ा है उसी तरह उन्हें पूरा घर बनाकर दिया जाए. फिलहाल जो थोड़ा बहुत सामान है उसके साथ वह एक किराये के घर में चले जाएंगे.
जावेद मोहम्मद का परिवार अभी अपने एक रिश्तेदार के घर पर रह रहा है.
क्या किसी विपक्षी दल के नेता ने उन्हें मदद की पेशकश की है? इस सवाल के जवाब में सुमैया आफरीन कहती हैं, हमें पता चला असदुद्दीन ओवैसी ने हमारा साथ देने की बात कही है. इसके अलावा हमें यह भी पता चला है कि अखिलेश यादव भी हमसे मिलना चाहते हैं लेकिन अभी तक कोई हम तक नहीं पहुंच पाया है.
वो कहती हैं, ‘अभी तक हमारे घर के पास आकर किसी ने नहीं देखा कि एक निर्दोष आदमी का घर किस तरह से तोड़ दिया गया है. कोई नहीं आया अभी तक हमसे मिलने. लेकिन सुनने में आया है कि अखिलेश यादव मिलना चाहते हैं’
‘अगर बंदूके होती तो लाइव ब्रॉडकास्ट में न दिखतीं’
यूपी पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें जावेद मोहम्मद के घर से अवैध हथियार और कुछ आपत्तिजनक पोस्टर मिले हैं.एक अवैध 12 बोर की राइफ़ल, एक 315 बोर की राइफ़ल और कई कारतूस बरामद हुए हैं.
यूपी पुलिस के इन दावोंं पर सुमैया कहती हैं, ‘हमारा घर जब टूट रहा था तो उसका लाइव ब्रॉडकास्ट हो रहा था. हम देख रहे थे हमारे घर से गद्दे निकल रहे थे, किताबें निकल रही थीं, हमारे बचपन की यादें निकल रही थीं. इनमें पोस्टर्स और कुछ बैनर्स भी थे. अगर हथियार होते तो तभी दिख जाते. जब सारा घर टूट गया तो पुलिस न जाने कहां सीमेंट के ढेर से ये सब ले आई और अगर लाई है तो उसकी तस्वीरें हमें दिखाए.’
ऐसे ही अतिक्रमण की घटना यूपी के सहारनपुर में भी देखी गई. 10 जून को हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की थी. इस विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के घरों पर भी यूपी सरकार ने अतिक्रमण किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उपद्रव के एक आरोपी मुज्जिमल के घर पर भी शनिवार को बुलडोजर चला दिया गया. मुज्जिमल पर आरोप था कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन को भड़काने का काम किया और भड़काऊ भाषण भी दिया.
कानपुर में यूपी सरकार का बुलजोर पहुंच गया. कानपुर हिंसा के आरोपी बताए जाने वाले हयात और मोहम्मद इश्तियाक के घरों को भी अवैध बताकर उन पर बुलडोजर चलाया गया.
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