नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अगले हफ्ते संसद में एक बिल पेश करने की योजना बना रही है, जिसमें 36 से अधिक छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और पहली बार उल्लंघन पर चेतावनी समेत बाद में उल्लंघन पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
कृषि से उद्योगों तक, परिवहन से बिजली और नगर सेवाओं तक, कपड़ा से नारियल तक, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 कई कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव करता है ताकि अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जा सके और तर्कसंगत बनाया जा सके. इसका उद्देश्य “अनुपालन का बोझ कम करना”, “जीवन को आसान बनाना” और “विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देना” है. दिप्रिंट ने बिल की एक कॉपी देखी है.
सांसदों को वितरित उद्देश्यों और कारणों के बयान में कहा गया है: “लोकतांत्रिक शासन की नींव सरकार का अपने लोगों और संस्थानों पर विश्वास करना है. पुराने नियमों और विनियमों का जाल विश्वास की कमी पैदा करता है. सरकार का प्रयास रहा है कि ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’ के सिद्धांत को हासिल किया जाए.”
बिल में कहा गया है कि छोटे अपराधों पर जेल की सजा का डर व्यापारिक माहौल और व्यक्तिगत आत्मविश्वास को प्रभावित करता है.
बयान में जोड़ा गया है: “उद्देश्य केवल जीवन और व्यापार को आसान बनाना ही नहीं है, बल्कि न्यायालयों का बोझ भी कम करना है. कई मामलों का निपटारा अदालत के बजाय समन्वय, निर्णय और प्रशासनिक तंत्र के जरिए होगा.”
जिन कानूनों में संशोधन होगा उनमें मोटर वाहन अधिनियम, 1988, रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, केंद्रीय रेशम बोर्ड अधिनियम, 1948, रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन अधिनियम, 1950, चाय अधिनियम, 1953, अप्रेंटिस अधिनियम, 1961, नारियल उद्योग अधिनियम, 1953, दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957, नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम, 1994, बिजली अधिनियम, 2003 और कपड़ा समिति अधिनियम, 1963 शामिल हैं.
मोटर वाहन अधिनियम की 20 धाराओं और नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम की 47 धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है ताकि जीवन आसान हो सके. कई पुराने उपबंध और धाराएं हटाई जाएंगी या सरल बनाई जाएंगी.
उदाहरण के लिए, औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के निर्माण और बिक्री पर अभी छह महीने की जेल और 10,000 रुपये जुर्माना है. जन विश्वास बिल इसका प्रावधान बदलकर केवल 30,000 रुपये तक का जुर्माना करने का प्रस्ताव करता है.
इसी तरह बिजली अधिनियम, 2003 में आदेश या निर्देशों का पालन न करने पर अभी तीन महीने की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना है. इसे बदलकर 10,000 रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना किया गया है.
कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 की कुछ धाराओं में संशोधन कर पहली बार उल्लंघन पर भारी जुर्माने की जगह चेतावनी और सुधार नोटिस का प्रावधान किया गया है.
दिल्ली नगर निगम अधिनियम की एक दर्जन से ज्यादा धाराओं को हटाने का प्रस्ताव है. जैसे बिना लाइसेंस सामान बेचने पर 100 रुपये जुर्माना का प्रावधान है. बिल इसे हटाने का प्रस्ताव करता है.
मोटर वाहन अधिनियम में नियम तोड़ने पर पहली बार सीधे जुर्माना लगाने की जगह चेतावनी देने का प्रावधान किया गया है. उदाहरण के लिए, धारा 194F के तहत गाड़ी चलाते समय बिना वजह हॉर्न बजाने पर अभी 1,000 रुपये का जुर्माना है और दोबारा अपराध पर 2,000 रुपये. अब बिल पहले अपराध पर चेतावनी और दोबारा अपराध पर 2,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव करता है.
बयान में कहा गया है: “जन विश्वास बिल का लक्ष्य अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाना और जीवन को आसान करना है. यह भारत की पारदर्शी और निष्पक्ष नियामक ढांचा बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.”
विभिन्न प्रावधानों के तहत जुर्माने और दंड की राशि हर तीन साल में 10 प्रतिशत बढ़ाने का भी प्रस्ताव है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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