नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कांफ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने शनिवार को जमात-ए-इस्लामी के दर्जनों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के पीछे की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाया. मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, ‘पिछले 24 घंटे में, हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. इस तरह के मनमाने कदम को समझ नहीं पा रही, जिससे केवल मामला उलझेगा. उनकी गिरफ्तारी किस कानूनी आधार के अंतर्गत की गई है और क्या वह जायज है? आप एक व्यक्ति को जेल में डाल सकते हो लेकिन उसके विचारों को नहीं.’
In the past 24 hours, Hurriyat leaders & workers of Jamaat organisation have been arrested. Fail to understand such an arbitrary move which will only precipitate matters in J&K. Under what legal grounds are their arrests justified? You can imprison a person but not his ideas.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 23, 2019
आपको बता देंं, अलगाववादी नेता और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मालिक को शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया गया. एएनआई की खबर के अनुसार पुलिस यासीन को उसके मैसुमा स्थित आवास से उठा कर कोठीबाग थाने ले गई. ऐसा माना जा रहा कि प्रशासन ने संविधान की धारा 35-ए पर 25 फरवरी को होने वाली सुनवाई से पहले एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है.
Jammu Kashmir Liberation Front Chief Yasin Malik was detained from his residence in Srinagar last night, ahead of hearing on Article 35A in Supreme Court which is likely to take place on Monday. pic.twitter.com/S8c9QFhG1e
— ANI (@ANI) February 23, 2019
कौन हैं यासीन मालिक
यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख हैं. यासीन मलिक ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 24 घंटे का अनशन किया था. जिसमें हाफिज सईद ने भी शिरकत की थी. दोनों के एक साथ मंच साझा करने के बाद यासीन मलिक का कड़ा विरोध हुआ था. वह जम्मू-कश्मीर में सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के साथ संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व का हिस्सा हैं.
जम्मू कश्मीर में पुलिस हाई अलर्ट पर
14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के बाद जिसमें 40 जवानों की जान चली गई थी, जम्मू कश्मीर पुलिस ने राज्य में किसी अनहोनी की आशंका के तहत एहतियात बरतना शुरू कर दिया है. बता दें, 20 फरवरी को यासीन मलिक सहित जम्मू कश्मीर के 18 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटा दी गई थी. इसके अलावा जम्मू कश्मीर में 155 नेताओं की भी सुरक्षा हटाई जा चुकी है. जिसमें फारूक किचलू, सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और अब्बास अंसारी प्रमुख रूप से शामिल हैं.
जम्मू कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के मद्देनज़र गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की सुरक्षा बलों की 100 कंपनियां घाटी पर भेजी गई हैं. इसमें सीआरपीएफ की 45, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल हैं.
(आईएएनएस इनपुट्स के साथ)