श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को स्थानीय अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया है और लोगों से आग्रह किया है कि वो सामान्य जीवन जीएं और खुद से तय किए गए बंद को हटाएं.
विज्ञापन में लिखा है, ‘बंद दुकानें, न कोई सार्वजनिक वाहन, न कोई फायदा. क्या हम आतंकियों के हाथों मारे जाते रहेंगे.’
सरकार ने स्थानीय लोगों के हिंसा, पत्थरबाजी और हड़ताल में शामिल होने के पीछे आतंकियों को बताया है. आज हम चौराहे पर खड़े हैं. क्या हम पुराने तरीकों से डरते जाएं और उससे प्रभावित होते जाएं. विज्ञापन में लिखा है कि गलत जानकारियों और डर हम पर प्रभाव डालता रहे या हम सूचना पाकर सही फैसले लें और वहीं करें जो अच्छा हो.
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने का फैसला किया गया था. जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने का फैसला किया गया. इस फैसले के बाद प्रशासन की तरफ से संचार व्यवस्था बंद कर दी गई थी और लोगों की आवाजाही पर भी इस क्षेत्र में पाबंदी थी.
कुछ हफ्तों बाद प्रशासन ने पाबंदी में छूट दे दी और लोगों की आवाजाही भी सामान्य होने लगी. लेकिन क्षेत्र में कर्फ्यू जारी था. जिसकी वजह से सड़कों पर ज्यादा लोग नहीं दिखते थे. स्कूल और कॉलेजों से बच्चे नदारत हैं. बिजनेस ठप पड़े हैं. जो सरकार के राज्य में स्थिति सामान्य होने के दावे को झूठा साबित कर रहे हैं.
श्रीनगर के लाल चौक पर लगने वाला कबाड़ी बाजार अभी भी खुलता है. पहले ये बाजार सिर्फ शनिवार को खुलता था. लेकिन प्रशासन के आदेश के बाद ये बाजार सप्ताह के अन्य दिनों में भी खुलने लग गया है.
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विज्ञापन में लिखा है, ‘कैसे आतंकवादी लोगों पर अपना प्रभाव जमा रहे हैं. क्या हम कुछ पोस्टरों से डर के अपने जीवन और व्यवस्था को बंद करके रखेंगे. सही शिक्षा और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर और कश्मीर के विकास को लेकर क्या हम ऐसे ही डरेंगे.’
सितंबर महीने में घाटी में कई सारे पोस्टर जारी किए गए थे जिसमें लोगों को अपना प्रदर्शन जारी रखने को कहा गया था. ये पोस्टर आतंकियों द्वारा जारी किया गया था या आतंकियों के शुभचिंतकों द्वारा ये पुलिस को अभी तक पता नहीं चला है. प्रशासन ने किसी भी राजनीतिक पार्टी और अलगाववादी समूह की भूमिका को नकारा है.
‘सब कुछ सामान्य है’
इस विज्ञापन से संकेत मिलते हैं कि सरकार जम्मू कश्मीर में सामान्य माहौल बहाल करने के लिए और अधिक प्रयास करने को तैयार है. लेकिन फिर भी ये एक कठिन काम होगा क्योंकि यहां के निवासी प्रशासन के कदम पर अब भी डर व्यक्त कर रहे हैं.
श्रीनगर के स्थानीय व्यापारी बशीर अहमद कहते हैं, ‘सरकार अभी तक दावा करती आ रही है कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य है. तो फिर कश्मीर में बंदिशों के 68वें दिन क्यों उसे अखबारों में विज्ञापन देना पड़ रहा है.’
एक और निवासी, फारुख लोन जो कि एक इंजीनियर हैं कहते हैं कि उनके जीवन में ये शायद पहली दफा है कि वे देख रहे हैं कि सरकार को अखबार में इश्तेहार देना पड़ रहा है और लोगों से कहना पड़ रहा है कि ‘वे बंदिश तोड़ें.’
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लोन कहते हैं, ‘इसका मतलब है कि चीज़े सुधर नहीं रही हैं. क्योंकि संचार की कोई सुविधा नहीं है, हमें नहीं पता कि कश्मीर के दूसरे हिस्सों में क्या हाल है. पर इन विज्ञापनों से साफ है कि स्थिति ठीक नहीं है.’
5 अगस्त से जब बंदिशें लगाई गई थीं तब से अब तक 43,000 लैंडलाइन फोन ने फिर काम करना शुरू कर दिया है. सरकारी कर्मचारियों के 7000 फोन भी चालू कर दिये गए हैं. पर अब भी बाकी आबादी के लिए मोबाइल और इंटरनेट सेवा कटी हुई है.
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