नई दिल्ली: सुरक्षा को लेकर दो साल पहले ही सख्त दिशा-निर्देश दिए जाने के बाद भी आतंकवादी संगठनों के हमले से अभी भी देश के सैन्य ठिकाने सुरक्षित नहीं हैं. रक्षा मंत्रालय ने संसद को जुलाई में बताया कि पिछले दो सालों में जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर इलाकों में सशस्त्र बलों पर 80 से ज्यादा आतंकवादी हमलों की घटनाएं सामने आई हैं.
संसद को रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने 17 जुलाई को लिखित उत्तर में बताया कि जुलाई 2018 से 2019 तक सशस्त्र बलों पर आतंकवादियों द्वारा 83 हमले किए गए हैं. मणिपुर, नगालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश के अलावा जम्मू एवं कश्मीर में सभी हमले भारतीय सेना के खिलाफ किए गए.
अकेले साल 2018 में कुल 54 आतंकवादी हमले जम्मू एवं कश्मीर में दर्ज किए गए, जबकि 11 हमले पूर्वोत्तर में दर्ज हुए.
सात जुलाई तक हमले के 13 मामले जम्मू एवं कश्मीर में, जबकि पांच पूर्वोत्तर में दर्ज किए गए. मंत्री ने आगे बताया कि नौसेना के किसी भी जहाज और प्रतिष्ठानों पर पिछले तीन सालों में कोई हमला नहीं हुआ है.
नाइक ने संसद को बताया कि रक्षा प्रतिष्ठानों पर सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए कई उपाय किए गए हैं.
अमरनाथ यात्रियों को तत्काल घाटी छोड़ने का आदेश
उधर जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती ने सूबे से लेकर पाकिस्तान तक आशंकाओं के बाजार को गर्म कर दिया है. राज्य प्रशासन ने शुक्रवार को बड़े आतंकी हमले के अंदेशे को देखते हुए अमरनाथ यात्रियों से तत्काल घाटी छोड़ने को कहा है. 15 अगस्त तक चलने वाली इस यात्रा को 4 अगस्त को ही समाप्त किए जाने की बात की जा रही है.
इस बीच अमरनाथ यात्रा मार्ग पर स्नाइपर राइफल, पाक सेना आर्डिनेंस फैक्ट्री निर्मित लैंडमाइन मिलने के बाद सेना ने दावा किया है कि आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ यात्री हैं. सेना और वायु सेना को अलर्ट पर हैं जबकि यात्रा के दौरान लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने वाले टट्टू और लंगर वाले भी वापस लौटने लगे हैं.