श्रीनगर: कोविड-19 के कारण श्रीनगर के जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल (जेएनएलएम) अस्पताल में भर्ती एक महिला ने रविवार को पांचवीं बार पॉजिटिव आने के बाद भागने की कोशिश की. महिला को पहली बार 2 मई को अपने पति और तीन बच्चों के साथ यहां लाया गया था. ये सभी लोग बिना कोरोना के लक्षणों वाले मरीज हैं.
जबकि उसका परिवार निगेटिव पाया गया और उन्हें छुट्टी दे दी गई, लेकिन महिला एक बार निगेटिव आने के बाद फिर से पॉजिटिव पाई गई. वह लगभग 40 दिनों से क्वारेंटाइन सेंटर में है.
श्रीनगर में कोविड के लिए निर्धारित किए गए अस्पतालों और वेलनेस सेंटर के लिए महिला का मामला कोई नया नहीं है. डॉक्टरों ने अनुमान लगाया कि जम्मू-कश्मीर के 4,987 मामलों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा बिना लक्षण वाले लोगों के हैं. इसने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समस्या पैदा कर दी है.
डॉक्टरों का कहना है कि वर्तमान दिशानिर्देशों को संशोधित करने की आवश्यकता है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार जो कि देश का सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान निकाय है, एक कोविड रोगी दो बार निगेटिव पाए जाने के बाद ही ठीक हुआ माना जाता है.
हालांकि, मामलों को देखते हुए स्थिति को कम करने के लिए, कई राज्यों ने स्पर्शोन्मुख मामलों को रखने का विकल्प चुना है, यानि जिन मरीजों में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, उन्हें होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है.
जम्मू और कश्मीर प्रशासन वैसा ही करने पर विचार कर रहा है क्योंकि यह लॉकडाउन से बाहर निकलने लगा है. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह निर्णय तेजी से नहीं लिया जा सकता है.
कोविड वार्ड भरे हुए हैं
शहर के अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि पहले से ही पूरी तरह से भरे हुए कोविड वार्डों के कारण, कुछ रोगियों ने अन्य रोगियों से कुछ दूरी रखने के लिए अपने बिस्तर को अस्पताल के गलियारे में लगा लिया है.
डॉक्टर ने कहा, ‘उन्हें लग रहा है कि उनके ठीक होने की संभावना कम हो जाएगी और वे भी बार-बार पॉजिटिव होंगे क्योंकि वे संक्रमित मरीजों से भरे वार्ड में लगातार रह रहे हैं.’
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केंद्र शासित प्रदेश में रविवार को सबसे ज्यादा 621 कोविड के मामले आए थे. एक जून के बाद से 1500 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. सभी मामलों में से 2,830 सक्रिय मामले हैं जिनमें से 230 गर्भवती महिलाएं हैं और 60 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हैं. अभी तक 1216 लोग ठीक हो चुके हैं और 41 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 36 कश्मीर के हैं और 5 जम्मू के.
डॉक्टर चिंतित हैं कि लॉकडाउन में ढील देने से मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है जिसका बोझ मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा नहीं उठा सकेगा.
श्रीनगर में, कोविड-19 रोगियों का इलाज जेएनएलएम अस्पताल के अलावा चेस्ट एंड डिजीज (सीडी) अस्पताल और शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में किया जा रहा है. हालांकि, होटल और अन्य इमारतों को क्वारेंटाइन केंद्रों में बदल दिया गया है.
तीन अस्पतालों में कोविड रोगियों के लिए 381 बेड हैं- सीडी अस्पताल में 92, जेएनएलएम अस्पताल में 139 और एसकेआईआईएमएस बेमिना में 150. सरकारी सूत्रों के अनुसार, एसकेआईआईएमएस बेमिना में 10 और सीडी अस्पताल में तीन को छोड़कर सभी बेड भर चुके हैं.
स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव
प्रशासन ने अब तक सभी कोविड पॉजिटिव रोगियों चाहे वो स्पर्शोन्मुख हो या अन्य कोई, सरकार द्वारा संचालित सुविधा केंद्र में भेजने को प्राथमिकता दी है.
जेएनएलएम अस्पताल के उस मरीज के बारे में बात करते हुए जिसने भागने की कोशिश की, एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘जबकि परिवार के बाकी लोग दो बार निगेटिव पाए गए और उन्हें घर जाने की अनुमति मिली लेकिन महिला चार बार पॉजिटिव पाई गई. वो 4 जून को पांचवीं बार निगेटिव पाई गई. 6 जून को, उसका फिर से परीक्षण किया गया क्योंकि एक मरीज को केवल दो बार निगेटिव पाए जाने के बाद ही छोड़ा जा सकता है. लेकिन फिर महिला पॉजिटिव पाई गई. शाम को, वह हिंसक हो गई और उसने भागने की कोशिश की.’
स्वास्थ्य अधिकारी ऐसे कई मामलों से गुजर चुके हैं जहां रोगी पांच बार से अधिक पॉजिटिव पाया गया लेकिन स्पर्शोन्मुख था.
नाम न बताने की शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा, ‘इसमें 29 वर्षीय एक पुरुष है जो पांच बार पॉजिटिव पाया गया. ऐसी स्थिति में हम उन्हें होम क्वारेंटाइन होने को कहते हैं लेकिन आईसीएमआर के दिशानिर्देश के बाद भी डिस्चार्ज पॉलिसी को लेकर स्पष्टता नहीं है. ऐसे भी मामले आए हैं जिसमें 2-4 वर्ष की आयु के बच्चे बार-बार पॉजिटिव पाए गए.’
सीडी अस्पताल के प्रमुख डॉ नावेद शाह, जो खुद क्वारेंटाइन में हैं, ने कहा, ‘आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार, हल्के लक्षणों या स्पर्शोन्मुख मामलों वाले रोगियों को होम क्वारेंटाइन में रखा जाना चाहिए. हमें दिशानिर्देशों को अपनाना चाहिए क्योंकि जिस गति से मामले बढ़ रहे हैं, उन्हें देखते हुए, मुझे नहीं लगता कि कोई भी अस्पताल मामलों को पूरी तरह देख सकता है. हमारा अस्पताल लगभग भरा हुआ है, बाकी अस्पताल भी भरे हुए हैं. उन्हें संभालना असंभव होगा.’
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डॉ सुहैल नाइक, बाल रोग विशेषज्ञ और डॉक्टर्स एसोसिएशन कश्मीर के अध्यक्ष ने कहा कि यदि विषम रोगियों या हल्के परिस्थितियों वाले लोगों को घर नहीं भेजा गया, तो हम डॉक्टरों और पैरामेडिकल (स्टाफ) को संक्रमित करेंगे, और यही कारण है कि आप एक स्पाइक देख रहे हैं चिकित्सा कर्मचारियों के बीच संक्रमण का.’ उन्होंने कहा कि सरकार की रणनीति को संशोधित करना होगा.
नाइक ने कहा, ‘यदि कोई व्यक्ति पॉजिटिव पाया जाता है तो न केवल उसे अस्पताल या प्रशासनिक क्वारेंटाइन में रखा जाता है, बल्कि पुलिस द्वारा उसके सभी संपर्कों को इन सुविधाओं में रखा जाता है. अब, आपके पास एक ऐसी स्थिति है जहां हमारे अस्पताल भरे हुए हैं और सरकार अचानक सभी को घर भेजने का फैसला दे दें, इससे अराजकता पैदा होगी. इसके बजाय, अधिकारियों को जनता के साथ-साथ रोगियों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए. दिल्ली जो कर रहा है, हमें उसका पालन करना होगा.’
डॉक्टरों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को कोविड-19 से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रोटोकॉल निर्धारित करने के लिए अधिक विशेषज्ञों से परामर्श करने की आवश्यकता है.
यह बताते हुए कि अस्पताल प्रवेश से इनकार नहीं कर सकते, सीडी अस्पताल के डॉ शाह ने कहा, ‘यह नीति निर्माताओं को तय करना है कि वे अस्पतालों और प्रशासनिक सुविधाओं में मरीजों को रखना चाहते हैं या उन्हें अलग करना चाहते हैं. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि होम क्वारेंटाइन एक विकल्प है जिसका हमें इस्तेमाल करना चाहिए.’
दिप्रिंट ने वित्तीय आयुक्त, स्वास्थ्य, अटल डलू, कश्मीर संभागीय आयुक्त पी.के. पोल और समीर मट्टू, निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, कश्मीर, को कई कॉल और मैसेज किए लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
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