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Friday, 26 April, 2024
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जामिया-एएमयू प्रशासन तय नहीं कर पा रहा यूनिवर्सिटी खोलने और परीक्षा की तारीख़

एएमयू के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'अभी यूपी में जैसे हालात हैं वैसे में हम छात्रों की सुरक्षा दांव पर नहीं लगा सकते.'

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नई दिल्ली: सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (सीएए) को लेकर 2019 के दिसंबर के मध्य में हुई हिंसा के बाद बंद हुए जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) को 5 जनवरी को वापस से खोला जाना था. दोनों विश्वविद्यालयों से जुड़े सर्कुलर और अपडेट से साफ़ है कि इन विश्वविद्यालयों का प्रशासन छात्रों की कैंपस वापसी के लिए तैयार नहीं है.

सीएए से जुड़े प्रदर्शनों को लेकर इन दो प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हुई हिंसा के बाद इन्हें ठंड की छुट्टी देकर बंद कर दिया गया और 5 जनवरी को खोला जाना था. लेकिन अलीगढ़ के ताज़ा सर्कुलर और जामिया की बेवसाइट से डिलीट किए गए एक अपडेट से साफ़ है कि दोनों विश्वविद्यालयों का प्रशासन उहापोह की स्थिति में है.

बुधवार को जारी किए गए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़े एक सर्कुलर में लिखा है कि यहां के कुलपति तारीक मंसूर की अध्यता में एक बैठक हुई जिसमें विश्वविद्यालयों को बंद रखे जाने का फ़ैसला लिया गया है. सर्कुलर में लिखा है, ‘बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है कि जिस तरह के हालात हैं उनकी वजह से ठंड की छुट्टियों के बाद 6 जनवरी को विश्वविद्यालयों को नहीं खोला जाएगा.’

इस बारे में दिप्रिंट ने फोन पर कुलपति मंसूर की प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. कुलपति की अध्यक्षता वाले सर्कुलर में आगे लिखा है कि दिसंबर में नहीं हो पाईं परीक्षाओं के अलावा अगले सत्र की शुरुआत और गर्मी की छुट्टियों का कार्यक्रम क्रमवार तरीके से जारी किया जाएगा.


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एएमयू के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘हमारे यहां कश्मीर से कन्याकुमारी तक के छात्र हैं और अभी यूपी में जैसे हालात हैं, हम उनकी सुरक्षा दांव पर नहीं लगा सकते.’ प्रशासन के सर्कुलर में आगे कहा गया है कि बाहर रहने वाले छात्र विश्वविद्यालय ना लौटें क्योंकि नियम के मुताबिक हॉस्टल तभी खुलेंगे जब पढ़ाई चल रही होगी.

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एएमयू द्वारा जारी किया गया सर्कुलर

जामिया ने ऐसा ही एक अपडेट अपनी वेबसाइट पर डाला था जिसके मुताबिक 6 तारीख़ से शुरू होने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है. हालांकि, वेबसाइट पर डाले गए इस अपडेट को डिलीट कर दिया गया है. डिलीट किए गए अपडेट पर जामिया से एम.फिल की पढ़ाई कर रहीं सुफ़रा नाम की छात्रा ने कहा कि छात्रों ने जब ये अपडेट देखा तो परीक्षा को लेकर उनके ज़ेहन में कई सवाल उठे.

इसे लेकर छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन तब तक इसे डिलीट किया जा चुका था. सुफ़रा ने कहा, ’15 दिसंबर को हुई हिंसा से छात्र अभी उबर रहे हैं, ऐसे में परीक्षा से जुड़े इस तरह के अपडेट्स और अनिश्चितता पैदा करने वाले हैं.’

जामिया की वेबसाइट से डिलीट किया गया अपडेट

इस बारे में जामिया की वीसी नज़मा अख़्तर से फ़ोन, मैसेज और मेल के जरिए संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन स्टोरी लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया. हालांकि, मैसेज द्वारा दिए गए जवाब में रजिस्ट्रार एपी सिद्दिकी का कहना है कि नए परीक्षा नियंत्रक ने एक तारीख़ को अपना पदभार संभाला है इसलिए परीक्षा की तारीख तय नहीं की जा सकी.

रजिस्ट्रार सिद्दिकी ने वेबसाइट से डिलीट किए गए अपडेट से जुड़े सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. मामले पर विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर वसीम कासिम का कहना है कि छात्र 6 तारीख़ से कैंपस लौट सकते हैं, लेकिन परीक्षाओं की तारीख़ तय नहीं की गई है.

आपको बता दें कि 15 दिसंबर को देश की राजधानी स्थित जामिया में हिंसा हुई थी. जामिया प्रशासन और छात्रों का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने स्थानीय लोगों की कथित हिंसा का हवाला देकर न सिर्फ विश्वविद्यालय के छात्रों संग हिंसा की बल्कि लाइब्रेरी समेत कैंपस के कई हिस्सों को तहस-नहस कर दिया.

इन्हीं आरोपों के सिलसिले में 16 दिसंबर को जामिया की वीसी नज़मा अख़्तर ने मीडिया से बातचीत में आंतरिक और शिक्षा मंत्रालय द्वारा मामले में जांच की बात कही थी. उन्होंने कथित तौर पर कैंपस में बिना अनुमति प्रवेश करने वाली दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर भी करवाई है.

जामिया में हुई हिंसा के बाद जब एएमयू के छात्र जामिया के समर्थन में उतरे तो 17 दिसंबर को पुलिस ने उनके कैंपस पर धावा बोल दिया. हलांकि, यूनिवर्सिटी में पुलिस को प्रशासन ने बुलाया था. इस दिन कैंपस में पहुंची उत्तर प्रदेश पुलिस पर भी हिंसा के गंभीर आरोप हैं.


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आपको बता दें कि जामिया में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने छात्रों समेत 52 लोगों को हिरासत में लिया था जिन्हें उसी रात छोड़ दिया गया. दिल्ली पुलिस ने हिंसा के आरोपों का जवाब देते कहा था कि उनके ऊपर जामिया कैंपस से पत्थरबाज़ी हुई जिसके जवाब में उन्हें न्यूनतम बल प्रयोग करना पड़ा.

इन आरोपों-प्रत्यारोपों और हिंसा के बाद अलीगढ़ में तो फिलहाल वैसा प्रदर्शन नहीं हो रहा, लेकिन 15 दिसंबर से लेकर जामिया का प्रदर्शन अब तक जारी है. प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर शामिल जामिया में मास्टर्स की छात्रा चंदा का कहना है कि 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट सीएए पर सुनवाई करने वाला है. जामिया के प्रदर्शन का भविष्य काफ़ी हद तक इसी पर निर्भर करेगा.

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