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Monday, 4 November, 2024
होमदेशहर गली पर पुलिस का पहरा, पानी के लिए भी लोग परेशान; 'बुलडोजर ऑपरेशन' के बाद जहांगीरपुरी में हाल बेहाल

हर गली पर पुलिस का पहरा, पानी के लिए भी लोग परेशान; ‘बुलडोजर ऑपरेशन’ के बाद जहांगीरपुरी में हाल बेहाल

20 अप्रैल को हुए अतिक्रमण के बाद से इलाके में भारी सुरक्षाबल की तैनाती है. रमजान के महीने में स्थानीय लोगों को जरूरी काम के लिए बाहर जाने में मशक्कत करनी पड़ रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार इन घटनाओं से रमजान की रौनक उड़ गई है.

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जहांगीरपुरी: ‘अल्लाह के महीने में हम सब को ऐसे बंद करके रखा है, हर तरफ पुलिस है. पानी नहीं है, कहीं बाहर नहीं निकलने दे रहे. हम मुसलमान हैं तो हमें टारगेट कर रहे हैं.’

जहांगीपुरी की एक तंग गली में खड़ी मेहराऊ जान रुआंसी आवाज में अपना दर्द जाहिर करती है.

जहांगीरपुरी का वो इलाका जहां 20 अप्रैल को बुलडोजर चले और 16 अप्रैल हनुमान जयंति के दिन दंगे हुए. वह अब हर तरफ पुलिस से घिरा है.

सी ब्लॉक की तरफ जाने वाली लगभग हर गली पर पुलिस का भारी सुरक्षाबल तैनात है और बैरीकेड्स लगे हैं. किसी भी बाहरी व्यक्ति को इलाके में जाने की अनुमति नहीं है और स्थानीय लोगों को भी जरूरी कामों के लिए घरों से निकलने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.

दिप्रिंट ने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की जो भारी पुलिस की तैनाती के कारण मुश्किल झेल रहे हैं

हताश लोगों के बीच हंसी के टुकड़े. तस्वीर- सूरज सिंह बिष्ट. दिप्रिंट

घरों में बंद रहने को मजबूर

हाथ में पानी के केन लिए खड़ी रुखसाना अपने बच्चों को संभालती हुई बताती हैं, ‘घर में पानी नहीं है. पानी भरने के लिए भी नहीं जाने दे रहे हैं. हमने क्या गुनाह किया है जो हमें हमारे ही घरों में बंद कर दिया है.’

रुखसाना के पास खड़ी महिला ने बताया कि उनकी बेटी को सुबह पेपर के लिए भी नहीं जाने दिया जा रहा था. उन्होंने बताया, ‘मेरी बड़ी बेटी का आज पेपर था. मैं उसके साथ जा रही थी तो पुलिस ने हमें जाने नहीं दिया. मैंने उनसे बहुत मिन्नते की और कहा कि अगर नहीं जाने दिया तो इसका पूरा साल खराब हो जाएगा. उसके बाद सिर्फ उसे ही अकेले जाने दिया. मुझे वापस भेज दिया.’

मौके पर तैनात पुलिसकर्मी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हम बस अपना काम कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि जरूरी कामों के लिए भी लोगों को जानें नहीं दिया जा रहा. हम बस एहतियात बरत रहे हैं. यह इलाका अभी सेंसिटिव है. हमें जो ऑर्डर मिले हैं हम उनका पालन कर रहे हैं.’

जहांगीरपुरी में तैनात भारी सुरक्षाबल. तस्वीर- नूतन. दिप्रिंट

जहांगीरपुरी में एक तरफ लोग घरों और गलियों में बंद रहने पर मजबूर हैं तो दूसरी तरफ जिन लोगों की दुकानें और रेहड़िया तोड़ दी गईं, वे भी अब हताश स्थिति में मदद की आस लिए बैठे हैं.

अकबर की दुकान भी 20 अप्रैल को हुए अतिक्रमण में तोड़ दी गई. उनकी कोल्ड ड्रिंक की दुकान थी जिसमें तीन फ्रिज रखे थे. उन्होंने बताया कि NDMC वाले फ्रिज भी अपने साथ ले गए. उनके मुताबिक उनका लगभग 3-4 लाख रुपये का नुकसान हो गया.

अकबर ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब मेरी दुकान तोड़ी जा रही थी तो मैं ऊपर अपने घर में था. मेरी पत्नी नीचे बुलडोजर को रोकने के लिए गई थी लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी. हमारे पास हमारी दुकान के पूरे कागज हैं. मुझे डर था वे लोग मुझे दंगाई बताकर गिरफ्तार कर लेंगे इसलिए मैं नीचे नहीं उतरा.’

अकबर की पत्नी बताती हैं, मैंने उन लोगों से बहुत गुजारिश की लेकिन वे नहीं मानें. उन्होंने मुझे सामान निकालने का भी वक्त नहीं दिया.

अकबर कहते हैं, मुझे लगता है कि मेरा नाम अकबर है, मैं मुसलमान हूं इसलिए मेरे साथ ऐसा हुआ.’

उड़ गई रमजान की रौनक

रमजान का महीना चल रहा है और कुछ ही दिनों में ईद आने वाली है. अकबर को चिंता है कि इस बार की ईद की रौनक उनके घर में नहीं दिखेगी. उन्होंने कहा, ईद आने वाली है. बच्चों के कपड़े खरीदने थे. ईद की तैयारी करनी थी लेकिन अब कोई जरिया नहीं दिखता. मेरे पड़ोसियों ने कहा है कि वो मेरी मदद करेंगे.

सिर्फ दुकानें ही नहीं NDMC ने उन रेहड़ियों को भी तोड़ दिया जिनके लाइसेंस लोगों के पास मौजूद थे लेकिन उन्हें दिखाने का मौका नहीं मिला.

रोकिया की पूरी-सब्जी की रेहड़ी भी इस अतिक्रमण में तोड़ दी गई. उन्होंने बताया, ‘मेरे पति बीमार रहते हैं तो मैं रेहड़ी लगाकर कमाई करती हूं. मैंने 70 हजार रुपये का लोन लेकर रेहड़ी बनवाई थी पूरी रेहड़ी तोड़ दी. मेरी तीन बेटियां हैं. अगले महीने बड़ी बेटी की शादी करनी थी लेकिन अब कमाई का जरिया ही छिन गया.’

रोकिया और अकबर ही नहीं, ऐसे ही कई बेबसी की कहानियां जहांगीरपुरी की गलियों में बंद हैं जो बुलडोजर चलने के बाद से सदमे में हैं. छोटी-छोटी इन गलियों में रेहड़ियों के कुछ अवशेष अब भी मौजूद हैं. इनके मालिक इनके जायज कागज लिए उम्मीद में है कि शायद उन्हें इसके लिए कुछ मुआवजा मिल जाए.

अकबर के पड़ोस में रहने वाले लोग जितना उनके लिए दुखी हैं उतना ही मौजूदा स्थिति को लेकर परेशान भी हैं.

कॉलोनी से लगे सभी गेट बंद हैं. कुशल चौक से सटे लगभग सारे इलाके पर पुलिस का पहरा है. एक तरफ पुलिस जहां दावा कर रही है कि वह इलाके में शांति बनाए रखने के लिए तैनात है, वहीं कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस की बद्तमीजी का भी जिक्र किया.

मेहरूजान बताती हैं कि उन्हें उनके ही घर से झांकने के लिए पुलिस ने ऐसी फटकार लगाई जिसे सुनकर वह हक्की-बक्की रह गईं.

मेहरूजान कहती हैं, ‘मैं अपने घर से बाहर झांक कर देख रही थी और पुलिस वाले ने मुझे ऐसे फटकार लगाई जैसे मैं इंसान नहीं कोई जानवर हूं. वो मेरे बेटे की उम्र का रहा होगा. कुछ नहीं कर सकते हैं तो कम से कम वो हमसे तमीज से बात तो कर ही सकते हैं.’

मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने दिप्रिंट से इस बारे में बात करने से इनकार कर दिया.

20 अप्रैल को कितनी दुकानें तोड़ी गईं और कितने घर तोड़े गए इसे लेकर कोई ठोस आंकड़ा तो नहीं है लेकिन लोगों ने ऐसा दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आने के बाद भी NDMC का बुलडोजर नहीं रुका था.

सी ब्लॉक में ही रहने वाले मोहम्मद असर्रदुल्ल ने दिप्रिंट को बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर 11 बजे आ गया था. हमसे कहा गया था कि रेहड़ियों को कोई खतरा नहीं है लेकिन फिर भी मेरी रेहड़ी को तोड़ दिया गया.’

20 अप्रैल को अतिक्रमण में टूटती दुकानें. तस्वीर- सूरज सिंह बिष्ट. दिप्रिंट

दंगों से बुलडोजर ऑपरेशन का कनेक्शन

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस तरह के अतिक्रमण करने के लिए कम से कम 7 दिन पहले नोटिस देना जरूरी होता है. NDMC के नियमों के मुताबिक भी कम से कम 5 दिन पहले नोटिस देने का नियम है.

दिप्रिंट ने पहले नोटिस दिए जानें को लेकर जब NDMC के मेयर राजा इकबाल सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘इस इलाके में अवैध निर्माण पर हम काफी समय से कार्रवाई कर रहे थे.’

नोटिस को लेकर किए सवाल का उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, ‘हमने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान लिया और फैसला आने पर तुरंत कार्रवाई रोक दी थीं. हम आगे भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ही काम करेंगे.’

16 अप्रैल को हुए दंगों को लेकर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने NDMC के मेयर को पत्र लिखकर इलाके में अतिक्रमण करने की मांग की थी. दिप्रिंट ने जब इस पर राजा इकबाल सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘हमें इस तरह की शिकायतें मिलती रहती हैं और हम लगातार उस पर कार्रवाई करते रहते हैं.’

दिप्रिंट ने अतिक्रमण को लेकर अपनाई गई तेजी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, NDMC ऐसे ही अपनी कार्रवाई करती है. बुलडोजर को लेकर इकबाल ने कहा कि ये तो रुटीन का हिस्सा है. जब भी अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई होती है जो बुलडोजर रहते ही हैं.

पीड़ितों ने दावा किया है कि 16 अप्रैल को हुए दंगों के कारण उनकी दुकानें तोड़ी गई हैं और एक तरफा कार्रवाई की गई है तो इस पर राजा इकबाल ने कहा, ऐसा कुछ नहीं है. अगर ऐसा होता तो गुप्ता जूस वाले की दुकान नहीं टूटती. हमने बिना किसा का धर्म देखते हुए, अपना काम किया है.


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