भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को कहा कि राज्य की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक मान्यता मिली है, क्योंकि इसके चार स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में आगे शामिल करने के लिए इसकी संभावित सूची में शामिल किया गया है.
पिछले हफ्ते मध्यप्रदेश के चार सहित भारत के कुल छह ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राज्य ने विश्व मंच पर अपनी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में एक और उपलब्धि हासिल की है, जिसमें अशोक शिलालेख स्थल, चौंसठ योगिनी मंदिर, गुप्त काल के मंदिर और बुंदेलों के महल-किले को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गया है, जो भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में मध्यप्रदेश के विशिष्ट स्थान को दर्शाता है.’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह मान्यता राज्य की अपनी अमूल्य विरासत को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है.’’
पिछले साल यूनेस्को ने मध्यप्रदेश के छह विरासत स्थलों को भी अपनी संभावित सूची में शामिल किया था — इसमें ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के रॉक आर्ट साइट्स, भोजपुर में भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला में रामनगर के गोंड स्मारक और धामनार का ऐतिहासिक समूह शामिल हैं.
इस नवीनतम समावेश के साथ, मध्यप्रदेश में अब 18 यूनेस्को-मान्यता प्राप्त विरासत स्थल हैं — इनमें तीन स्थायी सूची में (खजुराहो मंदिर समूह, भीमबेटका रॉक शेल्टर और सांची के बौद्ध स्मारक) और 15 संभावित सूची में हैं. संभावित सूची में अन्य स्थलों में मांडू के स्मारक, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भारत का प्रतिष्ठित साड़ी-बुनाई समूह चंदेरी शामिल हैं.
यादव ने कहा कि यह सम्मान विरासत संरक्षण और सतत पर्यटन के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
यादव ने मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड, संस्कृति विभाग, पुरातत्वविदों, इतिहास के प्रति उत्साही लोगों, संगठनों और नागरिकों को बधाई दी, जिन्होंने मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में बहुत योगदान दिया है.
उन्होंने मध्यप्रदेश के लोगों से इन ऐतिहासिक खजानों की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट होने का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य का सांस्कृतिक गौरव वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर बढ़ता रहे.