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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशचंद्रयान-3 के लिए तैयार हो रहा है इसरो- नवंबर 2020 तक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का होगा प्रयास

चंद्रयान-3 के लिए तैयार हो रहा है इसरो- नवंबर 2020 तक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का होगा प्रयास

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र’ के निदेशक एस सोमनाथ के नेतृत्व में प्रस्तावित ‘चंद्रयान-3’ पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी.

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बेंगलुरु: पिछले सितंबर को चंद्रयान-2 को चांद पर सॉफ्ट लैंड कराने में असफल रहा भारतीय स्पेश रिसर्च संस्थान (इसरो) नवंबर 2020 को चंद्रयान-3 पर काम काम शुरू करने जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस काम की डेडलाइन नवंबर 2020 रखी गई है.

इसरो ने सभी प्रक्षेपण यान कार्यक्रमों का दायित्व देखने वाले अग्रणी केंद्र तिरुवनंतपुरम स्थित ‘विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र’ के निदेशक एस सोमनाथ के नेतृत्व में प्रस्तावित ‘चंद्रयान-3’ पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी.

इसरो ने इसके लिए कई सारी समितियों का गठन किया है जिसमें एक ओवरऔल पैनल होगा जिसके अंदर तीन सब-समितियां भी होंगी. इस मामले में अक्टूबर से अभी तक कम से कम चार मीटिंग की जा चुकी हैं. इस नए निशन में लैंडर और रोवर जोड़े जाएंगे क्योंकि चंद्रयान-2 ऑरबिटर अच्छा काम कर रहा है.


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बीते मंगलवार को इस समिति की चंद्रयान-3 को लेकर एक और ओवरव्यू मीटिंग हुई. इसमें सब कमिटियों की सिफारिशों पर चर्चा हुई. चर्चा में सब कमिटियों ने संचालन शक्ति, सेंसर, इंजिनियरिंग और नेविगेशन को लेकर अपने प्रस्ताव दिए.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है. समिति को अगले साल के अंत से पहले मिशन तैयारी के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘नवंबर में अच्छा प्रक्षेपण समय है.’

एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रयान-3 का काम पूरी तेज़ी से शुरू कर दिया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इसरो ने अब तक 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर इस मिशन के बाबत खाका खींच लिया है. यहां तक कि इसरो ने लैंडिंग साइट से लेकर, एब्सोल्यूट नेविगेशन और लोकल नेविगेशन किए जाने का खाका तैयार कर लिया गया है.

सूत्रों ने बताया कि 5 अक्टूबर को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया गया है इसमें कहा गया है, ‘यह ज़रूरी है कि चंद्रयान-2 की एक्सपर्ट कमिटी द्वारा दी गई सिफारिशों पर ध्यान देकर लैंडर में बदलाव करने और इसमें सुधार करने की दिशा में काम किया जाए.

वहीं एक दूसरे वैज्ञानिक जो इस नए मिशन में टॉप प्रायरिटी पर हैं ने बताया कि इस मिशन में लैंडर के पैरों को मज़बूत बनाया जाएगा कि वह तेज़ गति से लैंड करने के बाद भी सलामत रहे. सूत्र ने बताया कि इसरो नए लैंडर और रोवर का निर्माण कर रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अभी लैंडर के वज़न और इसमें लगाए जाने वाले उपकरणों के बारे में अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया है.

अंतरिक्ष एजेंसी के सूत्रों ने कहा, ‘इस बार, रोवर, लैंडर और लैंडिंग अभियानों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और चंद्रयान-2 में जो खामियां रहीं, उन्हें ठीक किया जाएगा.’


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इसरो ने गत सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया था, लेकिन चांद पर उतरने के क्रम में लैंडर ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

अंतरिक्ष एजेंसी के तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक वी नारायणन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों और इसरो के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की एक समिति ने लैंडर के साथ संपर्क टूटने के कारणों का विश्लेषण किया है.

समिति में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र और यू आर राव उपग्रह केंद्र के सदस्य शामिल हैं.

इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘क्या गलत हुआ, इस बारे में सटीक कारणों पर इस समिति ने काम किया है. उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है और माना जाता है कि यह अंतरिक्ष आयोग को सौंपी जा चुकी है.’

अधिकारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री कार्यालय की अनुमति के बाद इसे सार्वजनिक किए जाने की उम्मीद है.’

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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