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Friday, 20 December, 2024
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ISRO माइक्रोग्रैविटी पर रिसर्च करने के लिए सिविल साइंटिस्ट और डॉक्टरों को अंतरिक्ष में भेजना चाहता है

इसरो ने यह भी फैसला किया है कि चालक दल को 'अंतरिक्ष यात्री' नहीं कहा जाएगा. उन्हें एक नया उपनाम दिया जाएगा जो भारतीय संवेदनाओं के अनुकूल हो.

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नई दिल्ली: मानव को अंतरिक्ष में भेजने का भारत का पहला प्रयास- महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन- अंतरिक्ष में ऐसे कई क्रू मिशनों में से पहला होगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अब अपने भविष्य के मिशनों के लिए रक्षा कर्मचारियों के बाहर के अंतरिक्ष यात्रियों की भर्ती के लिए एक नया मानदंड तैयार कर रहा है.

इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम निदेशालय के निदेशक इम्तियाज अली खान के अनुसार, सरकार ने इसरो को एक सतत मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए मंजूरी दे दी है.

खान रविवार को नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित ‘बी इंस्पायर्ड: फेस्टिवल ऑफ आइडियाज’ में बोल रहे थे.

खान ने कहा, ” आगे के मिशनों में महिलाएं भी होंगी, साथ ही आम लोगों को शामिल किया जाएगा जो डिफेंस से नहीं आते हैं. साथ ही अंतरिक्ष में उड़ने वाले डॉक्टर और वैज्ञानिक भी होंगे.”

खान ने कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम वाले अन्य देश पहले से ही ऐसा कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा “यदि आप दूसरे मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों को देखते हैं तो पाएंगे कि वहां जाने की चाह रखने वाले लोग अलग अलग फील्ड से हैं. जहां तक उम्र की बात है तो आप देखेंगे तो पाएंगे कि आज उम्र को लेकर कोई बहुत सख्त मानदंड नहीं है- 70 साल की उम्र के लोग भी अंतरिक्ष में जाते हैं और जा रहे हैं.

खान ने कहा कि अंतरिक्ष में चालक दल के मिशन भारत में विज्ञान के पहले अवसरों के रूप में काम के अवसर खोलेगा- जैसे कि अंतरिक्ष रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान का अध्ययन करने के अवसर खोलते हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ प्रकार की दवाएं हैं जिन्हें सूक्ष्म गुरुत्व वातावरण में सिद्ध किया जा सकता है.

खान ने कहा, “अंतरिक्ष यात्री न केवल अंतरिक्ष में प्रयोग करेंगे, बल्कि स्वयं (प्रयोगों के) विषय भी होंगे.”

एक निरंतर चालक दल का मिशन शोधकर्ताओं को मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का अध्ययन करने में मदद करेगा, और बाद में उन उपचारों को विकसित करने में मदद करेगा जिनका उपयोग भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के इलाज के लिए किया जा सकता है जो दीर्घकालिक, गहरे अंतरिक्ष मिशन पर जाते हैं.

खान ने कहा, “हमें नई तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता है जैसे इन्फ्लेटेबल हैबिटैट्स और डॉकिंग कैप्सूल. खान ने कहा, हम यह जानने के लिए अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ भी चर्चा कर रहे हैं कि क्या हम मौजूदा अंतरिक्ष स्टेशन को डॉक कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि पहला मानव रहित परीक्षण मिशन अगले साल जनवरी के लिए रखा गया है.

गगनयान मिशन पृथ्वी की सतह से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर एक अंतरिक्ष कैप्सूल में सवार दो से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा. कैप्सूल तीन दिनों तक अंतरिक्ष में रहेगा – जिसके दौरान अंतरिक्ष यात्री नियोजित प्रयोगों का एक सेट तैयार करेंगे.

वर्तमान में DRDO की एक टीम अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन विकसित करने पर काम कर रही है.

इसरो ने यह भी फैसला किया है कि चालक दल को ‘अंतरिक्ष यात्री’ नहीं कहा जाएगा. उन्हें एक नया उपनाम दिया जाएगा जो भारतीय संवेदनाओं के अनुकूल हो.

संपादन: पूजा मेहरोत्रा


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