नई दिल्ली: गंगा की अविरल व निर्मल धारा को बचाने के लिए स्वामी आत्मबोधानंद हरिद्वार के मातृसदन में पिछले 191 दिनों से अनशन पर हैं. सरकार द्वारा इस मुद्दे पर हो रही हीलाहवाली से उन्होंने 27 अप्रैल को जल त्यागने का निर्णय लिया था. लेकिन 25 अप्रैल को राष्ट्रीय गंगा मिशन के अधिकारियों ने मातृसदन पहुंच कर बातचीत की जिसके बाद आत्मबोधानंद ने जल त्यागने का फैसला 2 मई तक के लिए बढ़ा दिया है. इसके बाद गुरुवार देर रात तक एक बार फिर से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अधिकारियों से हुई बातचीत के बाद आत्मबोधानंद ने इसे 4 मई तक के लिए टाल दिया है.
इस समय देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के लिए गंगा सफाई पिछले चुनाव में एक अहम मुद्दा थी. लेकिन पिछले 5 सालों में गंगा की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया. जिसको लेकर कई संतों ने अनशन भी किया. लेकिन जैसे ही उनके जल त्यागने की बात आती है सरकार पर दबाव बढ़ने लगता है और सरकार अपने तरीके से उन्हें मनाने की कोशिश करने लगती है. इससे यह मुद्दा और मुखर रूप से उठ नहीं पाया. ऐसे में स्वामी आत्मबोधानंद द्वारा जल त्यागने के निर्णय को बार-बार टलवाने में कहीं न कहीं राजनीतिक साजिश दिखाई दे रही है.
शुक्रवार को मातृसदन के स्वामी दयानंद ने दिप्रिंट को बताया, ‘ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने अनशन टालने का निर्णय दो दिनों के लिए बढ़ा दिया है. पहले वो 3 मई से अनशन करने वाले थे लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कुछ अधिकारियों से गुरुवार देर रात तक चली बातचीत के बाद उन्होंने इसे दो दिन और बढ़ाने का फैसला लिया है.’
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बता दें, स्वच्छ गंगा की मांग के लिए स्वामी आत्मबोधानंद पिछले साल 24 अक्टूबर से मातृ सदन में अनशन पर हैं. इसी बीच बीते 19 अप्रैल को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए पत्र भी लिखा था. जिसके बाद उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए 25 अप्रैल को उनसे मिलने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक राजीव रंजन मिश्रा और एग्जिक्यूटिव निदेशक जी अशोक कुमार मातृसदन पहुंचे थे. दिप्रिंट में छपे एक लेख के अनुसार हरिद्वार के मातृसदन में हुई बातचीत में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के आदेशों का जल्द से जल्द अनुपालन कराने की बात कही गई और आश्वासन दिया कि वे एक सप्ताह के अंदर ही बांध परियोजना, जिसमें प्रस्तावित समस्त बांधों को निरस्त करने और निर्माणाधीन 4 बांधों को निरस्त करने की बात लिखित में देंगे. जिसके बाद ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने जल त्यागने का निर्णय 2 मई तक बढ़ा दिया था.
कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं
स्वामी आत्मबोधानंद मातृसदन में पिछले 24 अक्टूबर से अनशन पर हैं. हरिद्वार स्थित यह आश्रम गंगा की लड़ाई में हमेशा मुखर रूप से सामने आता रहा है. आसपास हो रहे अवैध खनन पर हमेशा से इस आश्रम ने सरकार और वहां के स्थानीय माफियाओं से लोहा लिया है. स्वामी आत्मबोधानंद के जल त्यागने की तारीखें बार-बार बढ़ाने पर मातृसदन के स्वामी दयानंद ने दिप्रिंट को बताया, ‘अब इसमें राजनीतिक साजिश है या और कोई बात इस पर तो हम कुछ नहीं कह सकते. ये तो वही लोग (राष्ट्रीय गंगा मिशन के अधिकारी) जानते होंगे लेकिन हम अपनी मांगों के लेकर आशान्वित हैं कि ये पूरी होंगी.’
हालांकि दयानंद ने यह भी कहा कि गुरुवार रात आत्मबोधानंद के अनशन को तोड़ने के लिए जबरन अस्पताल ले जाने के लिए भारी संख्या में पुलिसकर्मी मातृसदन आए थे. लेकिन उन्होंने मना कर दिया, फिर राष्ट्रीय गंगा मिशन के अधिकारियों से चली बातचीत के बाद उन्होंने जल त्यागने का फैसला दो दिनों तक और बढ़ा दिया है.
बीते पांच साल में गंगा की सफाई को लेकर कई सारे वादें किए गए लेकिन सरकार गंगा पर किए अपने वादों को पूरा नहीं कर पाई. बल्कि उसकी स्थिति और खराब हो गई. इसको लेकर प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने पिछले साल 112 दिनों तक अनशन किया था और जल त्यागने से पहले उनकी भी अचानक से एम्स ऋषिकेश में मौत हो गई थी. देश में चल रहे आम चुनाव के बीच सरकार भी नहीं चाहेगी कि इस मुद्दे को उछाला जाए.
‘दर-दर गंगे’ किताब के लेखक और लंबे समय से गंगा के मुद्दे से जुड़े अभय मिश्रा बताते हैं, ‘ये केवल और केवल राजनीतिक साजिश है. सरकार स्वामी आत्मबोधानंद के जल त्यागने की मियाद को किसी तरह 10 मई तक बढ़ाना चाहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश के अहम हिस्सों जैसे दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में और प्रयागराज (इलाहाबाद) जहां इस बार कुंभ लगा था, में 12 मई को चुनाव हैं. चूंकि जल त्यागने से सरकार पर एक अलग तरह का दबाव बनता है ऐसे में ये सरकार इस समय कोई जोखिम लेने से बचना चाहेगी.’
वे आगे कहते हैं कि राष्ट्रीय गंगा मिशन के अधिकारी पिछले मातृसदन में जाकर स्वामी आत्मबोधानंद से मिल रहे हैं, उनसे संपर्क में हैं और मांग मानने की बात कह रहे हैं लेकिन जब लिखित में देने की बात कहा जा रहा तो इस पर एक हफ्ते का समय मांग रहे हैं. बात यहां मांग मानने की नहीं उसे क्रियान्वित करने की है. मांग तो जीडी अग्रवाल के समय भी मान ली गई थी लेकिन उसे पूरा कहां किया गया.
अवैध खनन को बढ़ावा देने का आरोप
गंगा किनारे अवैध खनन का मामला लंबे समय से चलता आया है. गंगा को बचाने की मुहिम में एक बड़ा हिस्सा इस अवैध खनन को रोकने का है. हरिद्वार स्थित मातृसदन के स्वामी दयानंद ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का आर्डर आने के बाद भी हरिद्वार के जिलाअधिकारी अवैध खनन को रोकने का प्रयास नहीं कर रहे हैं.
स्वामी दयानंद ने कहा, ‘हरिद्वार में स्टोन क्रशर का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का आदेश 26 अप्रैल को आ गया था लेकिन आज एक सप्ताह बीतने के बाद भी जिलाअधिकारी इसे रोकने में पूरी तरीके से विफल हैं. पहले भी सीपीसीबी और एनजीटी ने इसे रोकने के आर्डर दिए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.’
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कौन हैं स्वामी आत्मबोधानंद
गंगा की सफाई की मांग को लेकर पिछले 191 दिनों से अनशन पर बैठे आत्मबोधानंद 26 साल के हैं. कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट उन्होंने 21 साल की उम्र में सन्यास लेकर मातृसदन से जुड़ गए थे. उन्होंने मातृसदन के स्वामी शिवानंद जी के सानिध्य में सन्यास लिया एवं गंगा की अविरलता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. ये उनका 10वां उपवास है.
गंगा को बचाने के लिए अनशन पर बैठे जीडी अग्रवाल की 112 दिनों के अनशन के बाद 11 अक्टूबर 2018 को मौत हो गई थी. उनके संघर्षों को आगे ले जाने के लिए स्वामी आत्मबोधानंद ने उसके ठीक 13 दिनों बाद अनशन शुरू कर दिया. अपनी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए आत्मबोधानंद बीते 23 जनवरी को प्रयागराज में लगे कुंभ मेले भी गए थे. इसके बाद उनके समर्थन में वाटर मैन राजेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता व आईआईटी बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर संदीप पांडे और मेधा पाटेकर के नेतृत्व में जंतर मंतर पर एक मार्च भी निकाला गया था.
यह है मांग
गंगा पर निर्माणधीन बांध तपोवन विष्णुगाड धौली गंगा पर, विष्णुगाड-पीपलकोटी अलकनंदा पर और सिंगौली भटवारी मंदाकिनी पर तुरंत रोक लगा दी जाए. गंगा के दोनों ओर 5 किलोमीटर तथा रायवाल, भोगपुर, हरिद्वार तक खनन और स्टोन क्रेशर को वर्जित करने वाले सीपीसीबी के आदेश को तुरंत लागू किया जाए. इसके अलावा गंगा एक्ट को जल्द से जल्द लागू किया जाए.