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Monday, 6 May, 2024
होमदेशशुरू में कोरोना के 48 सैंपल जांच के लिए पुणे भेजने पड़े थे, आज 6 लैब्स हैं बिहार में- स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे

शुरू में कोरोना के 48 सैंपल जांच के लिए पुणे भेजने पड़े थे, आज 6 लैब्स हैं बिहार में- स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे

बिहार सरकार कोरोनावायरस के प्रकोप से बिहार को बचाने के लिए डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग करवा रही है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के मुताबिक राज्य के 7 जिलों में कुल 4 करोड़ 9 लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है.

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नई दिल्ली: बिहार राज्य में कोरोना का संक्रमण तेज रफ्तार से फैल रहा है. रिपोर्ट पब्लिश होने तक बिहार में चार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. शनिवार तक राज्य में कोरोना के 481 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं जिनमें से 101 मरीज ठीक हो कर घर भी चुके हैं. कोरोना  संक्रमित 30 जिलों को तीन जोन (रेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन) में बांट दिया गया है. इनमें से मुंगेर, पटना, बक्सर, गया और रोहतास जिलों को रेड जोन में रखा गया है. गौरतलब है कि सबसे ज्यादा केस इन्हीं जिलों से निकले हैं.

सोशल मीडिया पर अभी भी बिहार के प्रवासी मजदूरों का मामला छाया हुआ है. एक तरफ जहां दूसरे राज्य ट्रेनों के माध्यम से भी अपने लोगों को वापस ला रहे हैं वही दूसरी ओर नीतीश सरकार पर लगातार मजदूरों प्रति संवेदनहीन होने के आरोप लगते रहे हैं. विभिन्न राज्यों से बिहार में प्रवासी मजदूरों को लेकर विशेष ट्रेंन पहुंचने लगी हैं. बिहार सरकार की कोरोनावायरस संक्रमण के फैलने और 25 लाख प्रवासी मजदूरों के राज्य में लौटने के इंतजामों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने दिप्रिंट से लंबी बातचीत की.

बिहार में कोरोना के मरीजों के बारे में बताते हुए पांडे कहते हैं, ‘हमारा राज्य आबादी के हिसाब से देश का तीसरा बड़ा राज्य है. यहां लगभग 12 करोड़ आबादी है. लेकिन जिस हिसाब से हमारे पॉजिटिव केसों की संख्या दूसरे राज्यों की तुलना में कम है, इसे देखते हुए हम कह सकते हैं कि हालत अभी काबू में है. लेकिन हम जानते हैं कि आगे केसों की संख्या बढ़ेगी तो हमारी चिंता भी बढ़ेगी लेकिन एक तरह से ये कोरोना की चेन को तोड़ने का काम भी करेगी.’

‘पिछले सात-आठ दिनों से लगातार मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है.’ बिहार में प्रतिदिन एक नंबर में कोरोनासंक्रमितों के आने वाले मामले पिछले एक हफ्ते में दो अंकों में पहुंच गए हैं.

बिहार में कोरोनावायरस को लेकर हो रही कम टेस्टिंग पर वह कहते हैं, ‘जब कोरोना देश में आया था तब बिहार में कोरोना के सैंपल्स को टेस्ट करने के लिए एक भी लैब नहीं थी. इसलिए उस वक्त 48 सैंपल पुणे भेजने पड़े थे. लेकिन पिछले डेढ़ महीने में 6 लैब्स तैयार की गई हैं जिनमें हर 1500-1600 सैंपल्स की जांच की जा रही है.’

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डोर टू डोर कोरोनावायरस की हो रही है स्क्रीनिंग 

सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए मंगल पांडे आगे जोड़ते हैं, ‘हमने राज्य के 7 जिलों में डोर टू डोर स्क्रीनिंग करवाई है. कुल 4 करोड़ 9 लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है. और अब एक मई से पूरे राज्य में ही डोर टू डोर स्क्रीनिंग शुरू की गई है ताकि संभावित मरीजों को पहचान हो सके. हो सकता है इससे हमारे पॉजिटिव केसों की संख्या मे बढ़ोतरी हो.’


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गौरतलब है कि अप्रैल के शुरुआती दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र से 10 लाख एन-95 मास्क, 5 लाख पीपीई किट्स और 100 वेंटिलेटर्स की मांग की थी. लेकिन केंद्र ने बिहार सरकार को केवल 50 हजार एन-95 मास्क, 4 हजार पीपीई किट्स तो उपलब्ध कराया लेकिन एक भी वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं कराया है.

पीपीई किट्स को लेकर पटना मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी सोशल मीडिया के जरिए इनकी मांग कर रहे थे. लेकिन उस वक्त तक बिहार में केवल 24 कोरोना के मरीज थे. एक महीने में मरीजों की संख्या भी बढ़ी है और लगभग 2 लाख प्रवासी मजदूर भी बिहार लौटे हैं.

इस पर स्वास्थ्यमंत्री कहते हैं, ‘शुरुआती सप्ताह में हमें लगा था कि चीजों की दिक्कत होगी लेकिन आज बिहार में पीपीई किट्स या एन-95 की कोई कमी नहीं है. बिहार में लगभग 900 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. मरीजों को अभी वेंटिलेटर तो दूर ऑक्सीजन की जरूरत भी नहीं पड़ रही है. जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि हर चुनौती अवसर पैदा करती है तो बिहार के ये चुनौती आगे चलकर आधारभूत संरचनाओ को बेहतर का मौका देगी.’

विपक्ष द्वारा लगातार पूछे जा रहे प्रवासी मजदूरों के सवाल पर वो जवाब देते हैं, ‘अगर 25 लाख लोग वापस लौटेंगे तो स्वास्थ्य विभाग का मंत्री होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि उनकी मेडिकल जांच की तैयारी पूरी हो. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई होटलों के साढ़े सात हजार से ज्यादा कमरे बुक किए हैं. हमारे पास 66 आइसोलेटेड हॉस्पिटल हैं और उसके अलावा 3 कोविड डेडिकेटिड अस्पताल हैं. आने वाले मजदूरों की स्क्रीनिंग के लिए जिला वाइज टीमें बना दी गई हैं.’

चमकी बुखार

पिछले साल आए चमकी बुखार से सैंकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की आलोचना भी हुई थी. कोविड के साथ-साथ चमकी बुखार भी मुंह खोले खड़ा है. राज्य सरकार की तैयारियों को लेकर मंगला पांडे बताते हैं, ‘ये समस्या पिछले 10 साल से लगातार बनी हुई है. आईसीएमआर से लेकर एम्स और कई विदेशी संस्थानों में इसपर रिसर्च चल रही है. इसकी ना अभी वैक्सीन बनी है और ना ही कोई दवाई है. डॉक्टर बच्चों में बीमारी के लक्षण के आधार पर ही ट्रीटमेंट कर रहे हैं.’

‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के कहने के बाद चमकी बुखार से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले मुजफ्फरपुर में आठ महीने की मेहनत के बाद एक अस्पताल का निर्माण करवा दिया गया है. यहां 68 बेड तैयार किए गए हैं. इसके अलावा 60 इमरजेंसी बेड तैयार करने पर भी काम चल रहा है जो हफ्ते भर में पूरा हो जाएगा. अभी तक चमकी बुखार के 29 मरीज आए हैं जिनका इलाज हो चुका है और वो स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं.’


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बिहार के जर्जर स्वास्थ्य सिस्टम को सुधारने के लिए प्राइवेट इनवेस्टर्स को आमंत्रित करने के सवाल पर वो पिछली सरकारों पर दोष मढ़ते हुए कहते हैं, ‘एनडीए की सरकार के 2005 में आने से पहले की सरकारों ने स्वास्थ्य सेवाओं को गंभीरता से नहीं लिया. ना ही आधारभूत संरचनाओं को सुधारने के प्रयास किया.

पांडे कहते हैं, ‘आज अस्पतालों में दवाइयां मिलती हैं और लोगों का सरकारी अस्पतालों में विश्वास भी पैदा हुआ है. मैं जल्द ही साढ़े तीन हजार डॉक्टरों की बहाली करने जा रहा हूं. इसके अलावा पटना में 300 बेड का मेंदाता अस्पताल भी शुरू करने जा रहे हैं. सरकार प्राइवेट इनवेस्टर्स को बिहार की मेडिकल सुविधाओं में इन्वेस्ट करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.’

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