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Saturday, 23 November, 2024
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पोस्टकार्ड, इंडियाटाइम्स 513 फेक न्यूज वेबसाइट में शामिल

पोस्टकार्ड और इंडियाटाइम्स को अभी पॉइंटर लिस्ट पर बयान जारी करना है, जो कि इस सूची में उन वेबसाइट में हैं जो 'गलत या भ्रामक जानकारी' फैलाती हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज और इंडियाटाइम्स को 500 से अधिक वेबसाइटों की सूची में  ‘झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाने’ में शामिल किया है. यह जनाकरी अमेरिका के एक गैर-लाभकारी पत्रकारिता स्कूल पॉइंटर इंस्टीट्यूट फॉर मीडिया स्टडीज द्वारा जुटाई गई है.

पॉइंटर ने शुरुआत में भारतीय समाचार वेबसाइट फ़र्स्टपोस्ट को भी सूचीबद्ध किया था. हालांकि, पोर्टल ने सूची में शामिल किए जाने पर ट्विटर पर कड़ी आपत्ति जताई. पॉइंटर के सर्वेक्षण में दैनिक पत्रकारिता को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि फ़र्स्टपोस्ट [sic] होस्ट करता है.

यह भी पता चलता है कि जब सर्वेक्षण चल रहा था ‘ तब पैरोडी समाचार वेबसाइट पर फेक समाचार फर्स्टपोस्ट डोमेन नाम का एक हिस्सा था … यह एक तथ्य है जिसे नजरअंदाज कर दिया गया था’.

फ़र्स्टपोस्ट और एक यूएस- स्थित मीडिया हाउस को हटाने के लिए सूची को बाद में अपडेट किया गया था.

टाइम्स इंटरनेट के इंडियाटाइम्स ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पोस्टकार्ड न्यूज़ ने भी किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं की है. इस वेबसाइट के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े को पिछले साल सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के इरादे से फर्जी खबरें फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

सर्वे

यह सर्वेक्षण पॉइंटर इंस्टीट्यूट फॉर मीडिया स्टडीज में इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क ने किया था. ‘अविश्वसनीय’ समाचारों से जुड़ी 513 वेबसाइटों की परिणाम सूची बुधवार को ‘अनन्यूजः अविश्वसनीय समाचार वेबसाइटों के सूचकांक’ नामक एक रिपोर्ट में जारी की गई थी.

यह सूचकांक विभिन्न श्रेणियों जैसे ‘अविश्वसनीय’, ‘नकली’, ‘साजिश’, ‘व्यंग्य’, ‘पूर्वाग्रह’ और ‘क्लिकबेट’ के तहत वेबसाइटों को टैग करता है. दो भारतीय समाचार वेबसाइटों को ‘अविश्वसनीय’ के तौर पर टैग किया गया है.

दो भारतीय न्यूज वेबसाइट्स ‘अविश्वसनीय’ टैग की गई हैं.

इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाले बैरेट गोल्डिंग ने वेबसाइट पर कहा कि सूचकांक उन सूचियों के आधार पर बनाया गया था. जो ‘स्थापित पत्रकारों या शिक्षाविदों द्वारा क्यूरेट किया गया था’ और ‘मूल डेटा’ (अन्य सूचियों की जानकारी के बजाय) और उनके मानदंड परिभाषित करते हैं कि उन्होंने विभिन्न साइटों को कैसे वर्गीकृत किया.

फर्जी खबरों के लिए कोई कानून नहीं

यह सूची ऐसे समय में सामने आई है जब भारत में अगली केंद्र सरकार के लिए चुनावी प्रचार अभियान बीच में है, जब नकली समाचार और गलत सूचना बड़े खतरों के रूप में सामने आई हैं.

वर्तमान में भारत में वेबसाइटों पर फर्जी समाचार या गलत सूचना से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं है क्योंकि ऑनलाइन मीडिया किसी भी नियामक ढांचे के दायरे में नहीं आता है.

सरकार ने पिछले साल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के तहत एक समिति नियुक्त की थी. जो ऑनलाइन मीडिया में आने वाली चुनौतियों का अध्ययन करेगी. इसमें फर्जी समाचार और दुर्भावनापूर्ण सामग्री और उनसे निपटने के लिए एक रूपरेखा तैयार करना है.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने हाल ही में दिप्रिंट को बताया कि नकली समाचारों से निपटने में कई चुनौतियां हैं. ‘एक व्यक्ति के लिए नकली समाचार क्या है, विशुद्ध रूप से दूसरे के लिए एक राय हो सकती है. इसके अलावा, ज्यादातर फर्जी खबरें इंटरनेट पर फैली हुई हैं, जो काफी हद तक अनियमित हैं.’

पिछले साल पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें, पत्रकारों को फर्जी समाचारों के प्रचार-प्रसार का दोषी पाए जाने पर उनकी प्रेस मान्यता रद्द करने का आदेश दिया था. यह प्रिंट और टेलीविजन पत्रकारों के लिए था. क्योंकि ऑनलाइन मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों को वर्तमान में सरकारी मान्यता नहीं दी जाती है.

हालांकि, यह आदेश पीएमओ द्वारा 24 घंटे से भी कम समय में समाप्त कर दिया गया था. क्योंकि इसको व्यापक तौर पर मीडिया की स्वतंत्रता रोकने के रूप में देखा गया.

सर्वेक्षण में शुरू में 515 नामों को शामिल किया गया था. लेकिन भारतीय समाचार वेबसाइट फ़र्स्टपोस्ट सहित दो नामों को बाहर करने के लिए बुधवार देर रात को सूची को अपडेट किया गया था. जिसने सूचीबद्ध होने के बाद ट्विटर पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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