scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेशसमलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने पर केंद्र सरकार ने SC में क्यों किया विरोध

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने पर केंद्र सरकार ने SC में क्यों किया विरोध

हलफनामे में, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि एक ही लिंग के व्यक्तियों का रिलेशनशिप में एक साथ रहना, एक पति, एक पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ कोई तुलना नहीं हो सकती.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका का विरोध किया है.

केंद्र ने हलफनामा में कहा कि समान लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा का एक साथ रहना, जिसे अब अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, यह भारतीय परिवार धारणाओं से बिल्कुल अलग है इसलिए इनके लिए फैसले भी अलग प्रकार से होने चाहिए.

केंद्र ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की विभिन्न याचिकाकर्ताओं की मांग का प्रतिवाद करते हुए हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में, केंद्र ने याचिका का विरोध किया है और कहा है कि समलैंगिकों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि इन याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं है.

सरकार ने LGBTQ+ विवाह की कानूनी मान्यता की मांग वाली याचिका के खिलाफ अपने हलफनामे में कहा कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं जिन्हें समान नहीं माना जा सकता है.

हलफनामे में, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि एक ही लिंग के व्यक्तियों का रिलेशनशिप में एक साथ रहना, एक पति, एक पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ कोई तुलना नहीं हो सकती.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

केंद्र ने अपने हलफनामे में यह स्पष्ट किया है भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के डिक्रिमिनलाइजेशन के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध करते हुए, सरकार ने कहा कि समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह मान्यता देने से व्यक्तिगत के साथ-साथ कानूनी प्रावधानों का भी उल्लंघन होगा- निषिद्ध संबंधों की डिग्री, शादी की शर्तें और अनुष्ठान की आवश्यकताएं और साथ ही घरेलू हिंसा कानून समेत कई कानूनी प्रावधान समलैंगिक शादी में लागू करना बहुत मुश्किल है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा विदेशी विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और अन्य कानूनों के तहत समान-लिंग विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए विभिन्न याचिकाओं का निपटारा किया जा रहा है.

पहले की याचिकाओं में से एक में कानूनी ढांचे की अनुपस्थिति को उठाया है जो LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने की अनुमति देता है.


यह भी पढ़ें: एयरइंडिया के विमान में यात्रियों से बदतमीजी और धूम्रपान की कोशिश, अमेरिकी नागरिक के खिलाफ मामला दर्ज


share & View comments