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Saturday, 21 December, 2024
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चीन में फंसे भारतीय छात्रों को सीधे मुंबई ले जाया जाएगा, कोरोनावायरस से निपटने के लिए भारत कर रहा है तैयारी

दुनियाभर में फैल रहे कोरोनावायरस को देखते हुए भारतीय उड्डयन मंत्रालय ने एयरपोर्ट ऑथरिटी से कहा है कि चीन से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की जाए.. देश के सात हवाई अड्डों पर यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की जा रही है.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस का प्रकोप चीन से निकलकर दुनिया के आधे से ज्यादा देशों में फैल चुका है. भारत चीन के वुहान में फंसे भारतीय छात्रों को देश वापस लाने के लिए भारत सरकार तैयारी कर रही है. मुंबई में उनके लिए खास तैयारियां की गई हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल कहते हैं, ‘इस फ्लू से आम लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. सावधानी ही इलाज है. अगर आप चीन से आ रहे हैं और आपको तेज बुखार और सर्दी खांसी है तो आप घर मत जाइए बल्कि अस्पताल जाइए.’

डॉ केके दिप्रिंट से विशेष बातचीत में कहते हैं, ‘भारत पूरी तरह से इस बीमारी से निपटने के लिए तैयार है, इसीलिए थर्मल स्कैन देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर लगाए गए हैं.’ सरकार ऐसे मरीजों को सीधे हवाई अड्डे से अस्पताल ले जा रही है, उन्हें बिलकुल अलग और निगरानी में रखा जाता है. 14 दिनों में इसके लक्षण मरीज में पूरी तरह से दिखने लग जाते हैं. वह आगे कहते हैं इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है, यह सार्स जितनी खतरनाक नहीं है.

बता दें की चीन के वुहान शहर से फैला कोरोनावायरस अब थाईलैंड में सात, जापान में तीन, दक्षिण कोरिया में तीन, अमेरिका में तीन, वियतनाम में दो, सिंगापुर में चार, मलेशिया में तीन, नेपाल में एक, फ्रांस में तीन और ऑस्ट्रेलिया में चार लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. जबकि श्रीलंका में भी 40 वर्षीय चीनी महिला पर्यटक की संक्रमण से मौत हो गई है.

एम्स और आरएमएल ने की खास तैयारी 

भारत में देश की राजधानी दिल्ली के ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में खास व्यवस्था की गई है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चार मरीजों को कोरोनावायरस के शक में भर्ती कराया गया है.

कोरोनावायरस को लेकर आपात जैसी स्थिति दुनियाभर में उत्पन्न हो गई है ऐसे में भारत कितना तैयार है…इसपर राष्ट्रीय आपदा मैनेजमेंट ऑथरिटी ने वायरस से बचाव को लेकर गाइडलाइन भी जारी की है.

कोरोनावायरस के संक्रमण के लिए हम कितने तैयार हैं के सवाल पर पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) के पल्मोनिस्ट डॉ जीसी खिलनानी कहते हैं, ‘बीमारी चूंकि संक्रमण से फैलती है इसलिए विदेश से खासकर चीन से आने वाले लोगों को आगे आकर चेकअप कराना चाहिए. हां, हीट स्कैन से फायदा इतना होता है कि आने वाले लोगों को तेज बुखार है वह पता चल जाता है.’

वह आगे कहते हैं अगर सपोर्ट मेडिसिन (बुखार के दौरान और निमोनिया में दी जाने वाली दवाएं) दी जाती हैं..लेकिन  इस वायरस में कोई भी एंटीबायोटिक का असर नहीं पड़ता है और इसके लिए कोई वैक्सीनेशन तैयार नहीं हो सकी है.

जहां तक बीमारी के पता लगने की बात का सवाल है इसपर वह कहते हैं, ‘एक हफ्ते से लेकर दस दिनों तक का समय लगता है..अगर मरीज़ का हवाई अड्डे की हीट स्कैनिंक में पता नहीं चल पाता है और बाद में उसे संक्रमण हो जाता है ऐसे में पूरे परिवार को देख-रेख की जरूरत है..क्योंकि यह संक्रमण छूने, खांसने से फैलता है.’

उन्होंने डॉक्टरों और नर्सों को भी विशेष सतर्क रहने की सलाह दी है. खिलनानी कहते हैं,’ डॉक्टरों व नर्सों को भूल कर भी बिना विशेष गाउन, मास्क और विशेष तरह के तैयार किए गए चश्मे पहनकर ही मरीज़ को देखना चाहिए.

पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल कहते हैं, यह साधारण फ्लू जैसा ही वायरस है और मैं कहना चाहता हूं कि यह सार्स से कम खतरनाक है.’ ये बीमारी हवा से नहीं फैलती है..इसका एकमात्र इलाज क्लोज कांटेक्ट में आने से बचना है. उन्होंने कहा, ‘इस वायरस के लक्षण 14 दिनों में दिखाई देते हैं.’ इसलिए वे लोग चीन से सर्दी जुकाम और बुखार के साथ भारत आ रहे हैं वह परिवार में न जाकर अस्पताल पहुंचे.

डॉ अग्रवाल कहते हैं, इस फ्लू से आम जनता को डरने की जरूरत नहीं है, जहां मरीज ईलाज कराने जा रहा है वहां के डॉक्टर, नर्स और वार्ड ब्वाय को सतर्क रहने की जरूरत है.

चीन से आने वाले यात्रियों की एयरपोर्ट पर हीट स्कैनिंग की जा रही है..क्या होती है थर्मल स्कैनिंग और क्या इससे फर्क पड़ता है. डॉ खिलनानी दिप्रिंट से विशेष बातचीत में बताते हैं, ‘अगर आपके शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होता है तो सरकार के द्वारा की गई इस व्यवस्था से इसकी पहचान की जाती है. और मरीज को सीधे हवाई अड्डे से अस्पताल ले जाता जाता है. यह संक्रमण को बढ़ने से रोकने की एक प्रक्रिया है.’

दुनियाभर में फैल रहे कोरोनावायरस को देखते हुए भारतीय उड्डयन मंत्रालय ने एयरपोर्ट ऑथरिटी से कहा है कि चीन से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की जाए.. देश के सात हवाई अड्डों पर यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की जा रही है.

कैसे काम करता है थर्मल स्कैनर

जैसे कैमरे से हम अमूमन चेकिंग के दौरान कोई भी जिंदा चीज जब इंफ्रारेड इनर्जी से निकलता है तो थर्मल कैमरा इस हीट को सेंसर करता है और गर्माहट को रिकॉर्ड करता है. कैमरा 2डी इमेज के द्वारा एक अलग प्रकार का चित्रण देता है. अगर इंसान के शरीर का तापमान 101 डिग्री से अधिक है तो वह फोटो अलग तरह से चित्रण प्रस्तुत करती है जिससे पता चलता है कि शरीर में कुछ गलत है.

कितना कारगर है यह थर्मल स्कैनर

थर्मल कैमरा तभी कारगर है जब आपके शरीर का तापमान साधारण शरीर के तापमान से अधिक होता है. इसका यह बिलकुल मतलब नहीं है कि अगर आपको बुखार है तो आपको कोरोनावायरस ही हो. इसके लिए अन्य स्क्रीनिंग सिस्टम की जरूरत होती है. थर्मल इमेज को देखना उतना आसान नहीं है जितना अन्य चित्रों को देखना.

सबसे पहले थर्मल स्कैनर का उपयोग भारत में 2002-03 में सिंगापुर में फैले  सार्स वायरस के दौरान किया गया था. तभी से यह देश के हर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर काम कर रहा है. मुंबई में 2009 में स्वाइन फ्लू के दौरान इसका उपयोग किया गया था. वहीं 2014 में  पश्चिमी अफ्रीका में फैले इबोला के दौरान भी इसका उपयोग किया गया था.

क्या है कोरोनावायरस

कोरोनावायरस वायरस समूह का ही है जो साधारणत: जानवरों में पाया जाता है. इसे मिडल इस्ट रेस्पाइरेटरी सिंड्रोंम कोरोनावायरस (MERS-COV) भी कहते हैं.  कुछ मामलों में जिसे वैज्ञानिक जूनोटिक कहते हैं जिसका मतलब होता है कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है. यह विषाणु वैसे ही फैलता है जैसे लोगों को साधारणतया सर्दी-खांसी होती है.

कोरोनावायरस कैसे फैलता है

इंसानी कोरोनावायरस अधिकतर संक्रमित इंसान को सीधे छूने, संक्रमित इंसान के यहां वहां थूकने, छींकने के दौरान सावधानी न बरतने,  हाथ से हाथ का कांटैक्ट करने से और मरीज के सामान को सीधे छूने जैसे नाक, मुंह और आंखों से निकलने वाले तरल से फैलता है.

लक्षण

कफ, बुखार, निमोनिया, सांस जल्दी जल्दी आना, कुछ मामलों में डायरिया और उल्टी भी आती है. जब यह पूरी तरह से फैल जाता है तो इसमें गंभीर निमोनिया और किडनी काम करना बंद कर देती है

अभी तक इस बीमारी के लिए कोई इलाज नहीं है. सिर्फ सपोर्टिव दवाओं के द्वारा ही इसका इलाज किया जा रहा है. कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है.

बचाव

अभी तक चूंकि इस बीमारी के लिए वैक्सीन का इजाद नहीं किया जा सका है. लेकिन इसे फैलने से रोका जा सकता है
बार-बार साबुन और सिर्फ पानी से हाथ धोकर

बिना धुले हाथों से आंख, नाक और मुंह छूने से बचना, बीमार लोगों के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए.

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