scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअर्थजगतभारतीय जीडीपी में 2020-21 की पहली तिमाही में 23.9% की रिकॉर्ड गिरावट, राजकोषीय स्थिति भी बेहद खराब

भारतीय जीडीपी में 2020-21 की पहली तिमाही में 23.9% की रिकॉर्ड गिरावट, राजकोषीय स्थिति भी बेहद खराब

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए. इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है.

Text Size:

नई दिल्ली: कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए. इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है.

सकल घरेलू उत्पाद में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था. इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की.

ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है.

इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी.


यह भी पढ़ें: प्रणब मुखर्जी- ‘वो इंसान जो बहुत कुछ जानता था’ लेकिन कांग्रेस के लिए राहुल द्रविड़ जैसी ‘दीवार’ था


राजकोषीय घाटा

लेखा महानियंत्रक द्वारा जारी अलग आंकड़ों से पता चला है कि भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल-जुलाई की अवधि में पूरे साल के बजट अनुमानों के 103 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो अर्थव्यवस्था पर महामारी के नकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है और परिणामस्वरूप राजस्व संग्रह भी कम हुआ है.

बाजार में कुल 4 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की सरकार की कथित मंशा के बावजूद, कुल उधार 12 लाख करोड़ रुपये लेने के लिए, अप्रैल-जुलाई की अवधि में 8.2 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा अभी भी 68 प्रतिशत पर है.

यह मुख्य रूप से कर राजस्व में तेज गिरावट के कारण हुआ. अप्रैल-जुलाई की अवधि में पिछले साल के इसी अवधि की तुलना में कर राजस्व में 42 प्रतिशत की कमी आई है.

वी-शेप्ड रिकवरी

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने ऑडियो बयान में कहा कि अप्रैल-जून के बीच भारत में लगे कड़े लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां काफी प्रभावित हुई थीं.

उन्होंने कहा, ‘अन्य देशों के मुकाबले भारत में कड़ाई से लगे लॉकडाउन के कारण ये गिरावट अनुमान के मुताबिक है. भारत के पास वी-शेप्ड रिकवरी का अनुभव है और हम आगामी तिमाही में अच्छे आंकड़ों की उम्मीद कर रहे हैं.’

(रेम्या नैयर और भाषा के इनपुट के साथ)


यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री बनने की चाहत रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 वर्ष की उम्र में निधन


 

share & View comments