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Saturday, 2 November, 2024
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‘भारतीय आर्थिक मॉडल’- अब RSS ने बेरोजगारी को लेकर अपने संकल्प प्रस्ताव में दिया समाधान का इशारा

अहमदाबाद में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में रोजगार के मुद्दे पर पारित एक प्रस्ताव में आरएसएस ने कहा कि भारत को और अधिक रोजगार पैदा करने, आयात कम करने के लिए घरेलू उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

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नई दिल्ली: राम मंदिर, धर्म परिवर्तन और अन्य मुद्दों से इतर हटकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) संघ ने कई वर्षों में पहली बार माना है कि देश में रोजगार के और अधिक अवसर उपलब्ध होने चाहिए.

संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘इस वक्त बहुत सारी चर्चाएं और बहसें चल रही हैं. हमारी युवा पीढ़ी बेरोजगारी से जूझ रही है और महामारी ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है. हम जानते हैं कि कुछ लोग ‘रोजगार प्राप्त करने लायक’ हीं नहीं हैं, लेकिन भारत के पास बाकी लोगों के लिए पर्याप्त अवसर होने चाहिए. ‘

उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा हमारे देश में आने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) या विदेशी समर्थन या कंपनियों पर निर्भर नहीं रह सकते. मेक इन इंडिया मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया एक अच्छा विचार रहा है, लेकिन इसे और भी तेज करने तथा इसके माध्यम से अधिक निवेश प्राप्त करने की आवश्यकता है.’

उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले, इस ने राज्य के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से लोगों के पलायन के स्तर का अध्ययन करने के उद्देह्य से एक जमीनी सर्वेक्षण किया था. इसके ध्यान का एक प्रमुख बिंदु गोरखपुर था जो एक ऐसा क्षेत्र जहां से हर साल बड़े शहरों के लिए काफी अधिक प्रवासन दर्ज किया जाता है.

इस वरिष्ठ इस अधिकारी ने कहा, ‘यह एक विस्तृत अध्ययन था और हमने इसे योगी सरकार को सौंप दिया था. हम बेरोजगारी की समस्या की ओर से आंख नहीं मूंद सकते. यह एक गंभीर संकट है और इसे हल किये जाने की नितांत आवश्यकता है.‘

‘भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने की जरूरत’ शीर्षक वाले आरएसएस के संकल्प प्रस्ताव में कहा गया है, ‘भारत, अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, विशाल मानव शक्ति और हमारे कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों कायापलट करने के लिए निहित उद्यमशीलता कौशल के साथ, पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने और समूची अर्थव्यवस्था को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है.‘

आरएसएस की कार्यकारी समिति के वरिष्ठ सदस्य राम माधव ने दिप्रिंट को बताया, ‘एक आत्मानिर्भर भारत के निर्माण के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को पूरा करने के लिए समाज को भी सहायता करनी होगी. इस संकल्प प्रस्ताव में, संघ ने कृषि-आधारित, ग्रामीण क्षेत्रों को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए स्थानीय पहल के बारे में ही अधिकतर बातें की है.‘

उन्होंने कहा, ‘स्वदेशी जागरण मंच सहित आरएसएस के अन्य संगठन सहयोगी लंबे समय से राज्यों में इस काम को कर रहे हैं. हमें और अधिक उद्यमी व्यक्तियों की आवश्यकता है.’

माधव ने आगे कहा, ‘हमें लघु एवं सूक्षम विनिर्माण उद्यमों (एमएसएमई) पर ध्यान देने की जरूरत है. यह प्रस्ताव सरकारी नीतियों के बारे में नहीं है, बल्कि सभी भारतीयों के द्वारा कोविड महामारी से पैदा हुई बेरोजगारी की चुनौती से निपटने के लिए किये जाने वाले सामूहिक प्रयासों के बारे में है.’

रोजगार के मुद्दे पर पारित इस संकल्प को आरएसएस द्वारा इस गंभीर संकट, और कैसे यह नई पीढ़ी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है, इस बात को स्वीकार करने के रूप में देखा जा रहा है.

‘भारतीय आर्थिक मॉडल’

भारत में रोजगार और आजीविका पर कोविड महामारी के गंभीर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, आरएसएस के इस संकल्प प्रस्ताव में कहा गया है, ‘हमने कुछ नए अवसरों की राह खुलते हुए भी देखा है, जिनका समाज के कुछ वर्गों ने लाभ उठाया है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) इस बात पर जोर देना चाहती है कि रोजगार की चुनौती को कम करने के लिए पूरे समाज को ऐसे काम के अवसरों का उपयोग करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी.‘

आरएसएस ने अपनी बैठक में घरेलू कंपनियों और उद्योगों के माध्यम से एक ‘भारतीय आर्थिक मॉडल’ बनाये जाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की.

इस संकल्प प्रस्ताव में कहा गया है, ‘एबीपीएस की राय है कि एक ऐसे भारतीय आर्थिक मॉडल पर जोर दिया जाना चाहिए जो मानव केंद्रित, श्रम प्रधान, एवं पर्यावरण के अनुकूल हो तथा विकेंद्रीकरण एवं इससे उत्पन्न लाभों के समान वितरण वाला होने के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सूक्ष्म, लघु और कृषि उद्योगों पर जोर देता हो.’

बता दें कि संघ से संबद्ध श्रमिक संगठन, भारतीय मजदूर संघ ने पहले ही और अधिक एफडीआई लाने के सरकार के विचार पर आपत्ति जताई थी.

‘महिलाओं के लिए रोजगार बढ़ाने की जरूरत’

आरएसएस के प्रस्ताव में ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने तथा महिलाओं के लिए अधिक रोजगार पैदा करने की आवश्यकता के बारे में भी बात की गयी है.

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘ग्रामीण रोजगार, असंगठित क्षेत्र के रोजगार, महिलाओं के लिए रोजगार और अर्थव्यवस्था में उनकी समग्र भागीदारी जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने की जरूरत है. हमारी सामाजिक परिस्थितियों के अनुकूल नई तकनीकों और सॉफ्ट स्किल्स को अपनाने के लिए प्रयास किये जाने आवश्यक हैं.’

यह प्रस्ताव देश भर में ‘उपरोक्त विचार के आधार पर रोजगार सृजन के कई ऐसे सफल मॉडल’ पर ध्यान देता है, जिनमें ‘स्थानीय विशिष्टताओं, प्रतिभा और आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है.

उन उद्यमियों, व्यापारियों, सूक्ष्म और लघु वित्तीय संस्थानों, और सहकारी क्षेत्र में काम कर रहे स्वयं सहायता समूहों – जो डायरेक्ट लोकल मार्केटिंग और कौशल विकास को बढ़ावा दे रहे हैं और इस प्रकार हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, घर में बने उत्पादों और पारिवारिक उद्यमों जैसे उद्यमों को प्रोत्साहित कर रहे हैं- का जिक्र करते हुए इस संकल्प में उनके बारे में कहा गया है की उनके कार्यों को देश के अन्य क्षेत्रों में दुहराए जाने की आवश्यकता है.

इसमें कहा गया है, ‘कुछ शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थानों ने भी रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. एबीपीएस उन सभी सफलता की कहानियों की सराहना करता है, जिन्होंने स्थायी रोजगार के अवसर पैदा किए हैं…. समाज में ‘स्वदेशी और आत्मनिर्भरता’ की भावना पैदा करने के प्रयास उपरोक्त पहलों को सही गति प्रदान करेंगे.’

आरएसएस के संकल्प प्रस्ताव में ‘अधिक मात्रा में हो रहे विदेशी आयात’ के बारे में भी ध्यान दिलाया गया है और कहा गया है कि देश को उन पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए.

इसने कहा कि देश के विनिर्माण क्षेत्र, जिसमें ‘रोजगार की काफी अधिक क्षमता’ है, को मजबूत करने की आवश्यकता है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी.‘

यह कहता है, “लोगों, विशेषकर युवाओं को शिक्षित कर के और उन्हें सही परामर्श देकर उद्यमिता को प्रोत्साहित करने हेतु अनुकूल माहौल बनाया जाना चाहिए, ताकि वे केवल नौकरी तलाशने की मानसिकता से बाहर आ सकें.’

इस संकल्प प्रस्ताव में कहा गया है कि महिलाओं, गांव के लोगों तथा दूरदराज एवं आदिवासी क्षेत्रों के लोगों के बीच इसी तरह की उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने की जरूरत है.

आरएसएस के इस संकल्प प्रस्ताव में कहा गया है, ‘शिक्षाविद, उद्योग और समुदाय के अग्रणी लोगों, सामाजिक संगठन और अन्य संस्थान इस दिशा में प्रभावी भागीदारी कर सकते हैं. उसके लिए यह आवश्यक है कि सरकारी और अन्य प्रयास इनके साथ मिलकर काम करें.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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