नई दिल्ली: भारत सरकार ने 2000 रुपये के नोट छापने बंद कर दिये हैं ताकि धीरे धीरे उनका चलन बंद कर दिया जाए. ये बात उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को बताई.
ये निर्णय मोदी सरकार के इस शक के चलते लिया गया है कि इस बड़े नोट का इस्तेमाल जमाखोरी, हवाला और टैक्स चोरी में हो रहा है.
भारत के केंद्रीय बैंक यानी रिज़र्व बैंक जो कि देश में मुद्रा जारी करता है, ने दिप्रिंट के ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया. उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
नवंबर 2016 में जब सरकार ने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए थे तो 2000 का नोट बाज़ार में लाया गया था. नोटबंदी को काले धन के खिलाफ बड़ी मुहिम के रूप में पेश किया गया था. उस समय बाज़ार में आई मुद्रा की भारी कमी को देखते हुए बड़ी संख्या में दो हज़ार के नोट जारी किये थे.
मार्च 2018 तक चलन में कुल मुद्रा 18.03 लाख करोड़ थी जिसमें 6.73 करोड़ या 37 प्रतिशत 2000 के नोट थे और करीब 7.73 लाख करोड़ – यानि 43 प्रतिशत 500 रुपये के नोट थे. बाकी नोट छोटे मूल्य के थे.
कदम की आलोचना हुई
जब 2000 रुपये का नोट लाया गया था, नरेंद्र मोदी सरकार की ये कह कर आलोचना की गई थी कि वे इतने बड़े मूल्य का नोट बाज़ार में ला रहा है जबकि उसने 1000 रुपये का नोट खत्म किया था.
विपक्षी दलों का कहना था कि 2000 रुपये का नोट कालाबाज़ारी करने वालों, हवाला कारोबारियों और कर चोरी करने वालों की मदद करेगा. और सरकार ने जिस आशय से नोटबंदी की थी- कर चोरी रोकने, हवाला आदि – उसका असर उल्टा पड़ जाएगा.
पिछले अप्रैल में ये भय सही भी सिद्ध हुआ था जब देश के कई शहरों में नोटों की भारी कमी हो गई थी. सरकार को शक था पीएनबी- नीरव मोदी बैंक फ्रॉड के बाद लोग पैसा इकट्ठा कर रहे हैं, साथ ही चुनाव के पहले धन इकट्ठा किया जा रहा था.
आयकर विभाग ने भी इस दौरान 2000 रुपये के नोटों की भारी जब्ती की थी. 2000 के नोट की आलोचना करने वाले कई बैंकर भी थे. कोटक महिंद्रा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर, उदय कोटक ने सरकार के 2000 के नोट को लाने के निर्णय पर सवाल खड़े किए थे जबकि वो 1000 के नोट को बाज़ार से हटा रही थी.
मुद्रा में घटता हिस्सा
2000 रुपये के नोटों में कमी कुछ समय पहले शुरू हुई थी. आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में अगस्त 2018 में दिखाया था कि 2017-2018 में 2000 के 7.8 करोड़ नोट जोड़े गए थे जिससे मार्च में इनकी कुल संख्या 336.3 करोड़ हो गई थी. 2016-17 में 328.5 करोड़ नोट बाज़ार में प्रसार में थे.
कुल मुद्रा के हिस्से के रूप में भी 2000 रुपये के नोटों का योगदान कम हुआ है: मार्च 2018 में ये 37.3 प्रतिशत दर्ज किया गया जो कि मार्च 2017 के 50.2 प्रतिशत से 13 प्रतिशत कम था.
उसके उलट नए 500 रुपये के नोट की छपाई बढ़ा दी गई है. भारत ने 2017-18 में 958.7 करोड़ के 500 से के नोट छापे जबकि इसके पिछले साल 588.2 करोड़ 500 के नोट सर्कुलेशन में थे.
कुल मुद्रा में 500 रुपये की हिस्सेदारी भी मार्च 2017 की 22.5 प्रतिशत से बढ़कर 2018 मार्च में 42.9 प्रतिशत हो गई है.
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