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Sunday, 22 December, 2024
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भारत-म्यांमार कलादान जलमार्ग मई में खुलेगा, लेकिन ‘असली फायदा’ तभी जब 110 किमी सड़क पूरी हो जाएगी

जलमार्ग भारत और म्यांमार के बीच व्यापार को बढ़ावा देने और पूर्वोत्तर को रणनीतिक लिंक प्रदान करने के लिए मल्टीमॉडल परियोजना का हिस्सा है.

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नई दिल्ली: स्वीकृत होने के पंद्रह साल बाद, कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) का वॉटरवेज़ कंपोनेंट अगले महीने ऑपरेशनल होने वाला है, जिसमें कोलकाता से म्यांमार में सितवे बंदरगाह तक पहला वाणिज्यिक कार्गो आंदोलन शुरू होगा. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को इस बात की जानकारी दी.

सितवे में गहरे पानी का बंदरगाह 3,200 करोड़ रुपये के कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमटीटीपी) का हिस्सा है. विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित और पहली बार 2008 में स्वीकृत इस परियोजना का उद्देश्य भारत और म्यांमार के बीच व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देना और अन्य दक्षिण एशियाई देशों तक पहुंच को आसान बनाना है. एक बार तैयार हो जाने पर, यह स्थलरुद्ध पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ने और मौजूदा संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर दबाव कम करने के लिए एक रणनीतिक वैकल्पिक लिंक भी प्रदान करेगा.

नाम न छापने की शर्त पर आईडब्ल्यूएआई के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा विकसित – केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन – सितवे बंदरगाह का निर्माण 2018 में पूरा हो गया था. लेकिन म्यांमार में राजनीतिक उथल-पुथल और चिन और रखाइन राज्य में तीव्र संघर्ष के कारण लाइसेंस व अनुमोदन प्राप्त करने में देरी सहित कई बाधाओं के कारण इसे चालू नहीं किया जा सका.

IWAI के एक अधिकारी ने कहा, “म्यांमार से बंदरगाह को चालू करने की अनुमति इस साल जनवरी में मिली थी. अब सारी मंजूरियां मिल गई हैं और हमें उम्मीद है कि मई के दूसरे सप्ताह में कोलकाता से सितवे बंदरगाह तक सीमेंट ले जाने वाला पहला वाणिज्यिक कार्गो शुरू हो जाएगा.”

चावल से लदा एक जहाज पिछले महीने सितवे बंदरगाह से बांग्लादेश जा चुका है. अधिकारी ने कहा, “यह एक तरह का ट्रायल रन था.”

KMTTP कोलकाता को सितवे बंदरगाह से जोड़ता है, जो कलादान नदी के साथ एक जलमार्ग मार्ग के माध्यम से म्यांमार में पलेटवा से जुड़ा हुआ है. IWAI द्वारा विकसित सितवे में बंदरगाह और पलेटवा में अंतर्देशीय जल टर्मिनल दोनों का काम पूरा हो चुका है.

पलेटवा से भारत-म्यांमार सीमा पर मिजोरम में ज़ोरिनपुई को जोड़ने के लिए 110 किलोमीटर की सड़क बनाई जा रही है. इरकॉन इंटरनेशनल की सहायक कंपनी इरकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज लिमिटेड जो कि रेल मंत्रालय के तहत एक इंजीनियरिंग और निर्माण निगम है – सड़क के काम के लिए परियोजना सलाहकार है. ज़ोरिनपुई आगे 100 किमी सड़क के माध्यम से लॉन्गतलाई से जुड़ा हुआ है. लॉन्गतलाई से, एक मौजूदा राजमार्ग इसे आइज़ॉल से जोड़ता है, जो बदले में गुवाहाटी सहित अन्य पूर्वोत्तर शहरों से जुड़ा हुआ है.


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‘वास्तविक लाभ सड़क संपर्क पूरा होने के बाद ही’

सितवे, जो 19वीं शताब्दी के अंत में सबसे व्यस्त चावल-निर्यात बंदरगाहों में से एक था, म्यांमार के रखाइन राज्य में कलादान के मुहाने पर स्थित है.

जबकि सितवे गहरे पानी का बंदरगाह 20,000 डीडब्ल्यूटी (डेडवेट टनेज) की अधिकतम क्षमता वाले जहाजों के लिए उपयुक्त है, पुराना बंदरगाह 2,000 डीडब्ल्यूटी तक के छोटे जहाजों के लिए ही उपयुक्त है. एक बार जब सितवे के माध्यम से कार्गो की आवाजाही शुरू हो जाती है, तो यह न केवल भारत और म्यांमार के बीच बल्कि दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के अन्य देशों के बीच व्यापार का प्रवेश द्वार बन सकता है.

अधिकारियों ने कहा कि जबकि सितवे बंदरगाह और पलेटवा टर्मिनल तैयार हैं, सितवे और पलेटवा के बीच कलादान नदी पर मेंटेनेंस ड्रेजिंग के बाद ही परिचालन शुरू हो पाएगा. तब तक जहाज कार्गो को सितवे बंदरगाह तक ले जाएंगे.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि परियोजना का वास्तविक लाभ इसके पूरी तरह से पूरा होने के बाद ही महसूस किया जा सकेगा. इसमें म्यांमार को पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने वाले KMTTP के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक, पलेटवा और ज़ोरिनपुई के बीच 110 किलोमीटर की सड़क लिंक शामिल होगी.

म्यांमार में भारत के पूर्व राजदूत गौतम मुखोपाध्याय ने दिप्रिंट को बताया कि कलादान परियोजना का पूर्वोत्तर तक वैकल्पिक पहुंच और मिज़ोरम और चिन राज्य के दुर्गम क्षेत्रों से संपर्क के रूप में रणनीतिक और विकासात्मक महत्व है.

उन्होंने कहा,”लेकिन इसकी व्यावसायिक व्यवहार्यता पर विचार करने और सचेत रूप से विकसित करने की आवश्यकता है. एक ओर जातीय प्रतिरोध संगठनों और पीपुल्स डिफेंस फोर्स और दूसरी ओर सैन्य शासन से जुड़ा आंतरिक संघर्ष एक बड़ी चुनौती होगी.”

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, ने कहा कि इसमें समय लगने वाला है. हालांकि KMTTP को पूरा करने की आधिकारिक समय सीमा और 18-20 महीने है, इसमें से अधिकांश म्यांमार में स्थिरता पर निर्भर करेगा.

इरकॉन के एक अधिकारी ने जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, उन्होंने कहा, “110 किलोमीटर की सड़क चिन और रखाइन राज्य के कुछ सबसे खराब संघर्ष वाले क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जहां अराकान सेना (रखाइन राज्य में एक जातीय मिलिशिया) सक्रिय है. वहां सुरक्षा हमेशा एक मुद्दा रहेगा. अतीत में कानून और व्यवस्था के मुद्दों के कारण काम रुका हुआ था.”

सड़क संपर्क सहित KMTTP परियोजना अतीत में कई समय सीमा से चूक चुकी है.

परियोजना को कई झटके लगे हैं, जिसमें अराकान सेना द्वारा 2019 में दो इंजीनियरों का अपहरण भी शामिल है. पिछले साल की शुरुआत में, भारत ने इंजीनियर्स प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड और सीएंडसी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया था, जो सड़क का निर्माण कर रहे थे. इसके बाद इरकॉन को सड़क परियोजना को पूरा करने के लिए स्थानीय ठेकेदारों को काम पर रखने की अनुमति दे दी गई.

इरकॉन के अधिकारी ने पहले कहा था, “हालांकि, हमें उम्मीद है कि अगर म्यांमार में राजनीतिक स्थिरता बनी रहती है, तो केएमटीटीपी अगले दो वर्षों में पूरा हो जाएगा.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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