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Monday, 6 May, 2024
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भारत ने SCO बैठक के लिए चीन, पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों को भेजा न्यौता, बिलावल का आना कन्फर्म नहीं

सूत्रों ने कहा, अभी तक पाकिस्तान की तरफ से यह पुष्टि नहीं हुई है कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो बैठक में शामिल होंगे या नहीं.

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नई दिल्ली: भारत ने आगामी विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए पाकिस्तान और चीन सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्यों को औपचारिक रूप से निमंत्रण भेजा है, जो 4-5 मई को गोवा में आयोजित की जाएगी.

निमंत्रण में चीन के नए विदेश मंत्री किन गैंग और पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो शामिल हैं. भारत ने पिछले साल सितंबर में 9 सदस्यीय मेगा समूह की अध्यक्षता संभाली थी और इस साल प्रमुख मंत्रिस्तरीय बैठकें और शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा.

सूत्रों ने कहा, अभी तक पाकिस्तान की तरफ से यह पुष्टि नहीं हुई है कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो बैठक में शामिल होंगे या नहीं.

पाकिस्तान ने इस महीने के आखिर में मुंबई में होने वाले एससीओ फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा नहीं लिया है. जबकि सभी देशों ने एंट्रीज भेजी हैं, पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जिसने फिल्म समारोह में स्क्रीनिंग के लिए कोई फिल्म नहीं भेजी है.

आईएंडबी के अतिरिक्त सचिव नीरज शेखर ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘एससीओ का केवल एक देश है, जिसकी एंट्रीज नहीं प्राप्त हुई है, कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.’

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पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के मुद्दों के संबंध में दोनों देशों के बीच संबंध कई वर्षों से अनिश्चित बने हुए हैं, यहां तक ​​कि इस्लामाबाद किसी भी वार्ता के लिए पूर्व भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहा है.

इसके अलावा, पीएम मोदी पर पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में विदेश मंत्री बिलावल की टिप्पणी ने दोनों देशों के बीच संबंधों में किसी भी सुधार पर ग्रहण लगाया है.

इस 20 वर्षीय पुराने संगठन में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान और चार मध्य एशियाई देश – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य हैं.

ईरान इसका सदस्य बनने वाला नवीनतम देश है और भारतीय अध्यक्षता में पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में समूह की बैठक में भाग लेगा.

संघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की आखिरी बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्बेकिस्तान के समरकंद संघाई कोऑपरेशन की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे.

भारत के लिए एससीओ का महत्व यूरेशियन देशों के साथ अर्थशास्त्र और भू-राजनीति में निहित है. एससीओ भारत की ‘कनेक्ट सेंट्रल एशिया’ नीति को आगे बढ़ाने का एक संभावित मंच है.

एससीओ सदस्य देश भारत के विस्तारित पड़ोस से सटे विशाल हिस्से वाले हैं जहां भारत की आर्थिक और सुरक्षा दोनों अनिवार्यताएं हैं.

एससीओ की सदस्यता भारत को कुछ अन्य समूहों के लिए अहम काउंटर प्रदान करती है जिसका वह एक हिस्सा है. एससीओ भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ निकटता से निपटने के लिए एकमात्र बहुपक्षीय मंच प्रदान करता है.


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