नई दिल्ली: अमेरिका में अगले महीने जो बाइडन प्रशासन कार्यभार संभालने जा रहा है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे में भारत एक बार फिर सामान्य तरजीही प्रणाली (जीएसपी) के तहत करीब 6 अरब डॉलर के व्यापार लाभों की बहाली के लिए कवायद तेज करने की योजना बना रहा है.
हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा, ‘भले ही नरेंद्र मोदी सरकार कैथरीन ताई को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) नियुक्त किए जाने को दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों के प्रति एक ‘नए नजरिये’ के तौर पर देख रही है लेकिन अगले कुछ वर्षों में किसी ‘व्यापार सौदे’ के आसार नहीं बन पाएंगे.
एक सूत्र ने कहा कि बाइडन स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी देश के साथ कोई मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेंगे लेकिन एक ‘मिनी ट्रेड डील’, जिसे एक तरजीही व्यापार समझौते (पीटीए) के रूप में भी जाना जाता है, की संभावना पर भी नए प्रशासन का ध्यान केंद्रित नहीं हो सकता है. साथ ही जोड़ा कि हालांकि, बाइडन प्रशासन जीएसपी लाभों को बहाल कर सकता था, जिसके लिए भारत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को राजी करने की कोशिश कर रहा था.
जून 2019 में जीएसपी सूची से हटाए जाने तक भारत को 46 अरब डॉलर का सामान अमेरिका को निर्यात करने पर लगभग 6 अरब डॉलर का लाभ मिलता था, क्योंकि 2,167 उत्पादों पर शून्य या न्यूनतम टैरिफ होता था. जीएसपी के तहत चमड़ा, आभूषण और इंजीनियरिंग जैसे श्रम केंद्रित उत्पादों को तरजीह दी जाती थी.
दिसंबर 2016 से दिसंबर 2018 तक दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) रहे मार्क लिंस्कॉट का कहना है, ‘अभी काफी समय तक एफटीए वार्ता शुरू होने की कोई संभावना नहीं है. इसे लेकर अमेरिका की कई शंकाएं हैं और पूरे यूएसटीआर कार्यालय सहित नई यूएसटीआर की वही सोच रहेगी. इसके अलावा, यूएसटीआर निगोशिएटिंग अथॉरिटी अगली गर्मियों में खत्म हो रही है. किसी नए तरजीही व्यापार समझौते के लिए कांग्रेस की तरफ से जबर्दस्त समर्थन की जरूरत पड़ेगी.’
लिंस्कॉट, जो अब अटलांटिक काउंसिल के नॉन-रेजीडेंट सीनियर फेलो हैं, ने कहा, ‘उम्मीद है कि बाइडन प्रशासन की तरफ से जल्द कुछ टैरिफ कटौती की जा सकती है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि एफटीए के बारे में लंबे समय मतलब कुछ सालों तक गंभीरता से कोई विचार किया जाएगा.’
उन्होंने कहा कि हालांकि, नई यूएसटीआर अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों पर अधिक ध्यान देंगी.
हाल ही में हस्ताक्षरित यूएस-मैक्सिको-कनाडा समझौते, जिसने एनएएफटीए की जगह ली, में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ताई धाराप्रवाह मंदारिन बोल लेती हैं और चीन के साथ व्यापार के मामले में उनके सख्त रुख अपनाने की उम्मीद है.
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लाइटहाइजर कभी भारत नहीं आए
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने जीएसपी के तहत लाभों की बहाली को भारत के साथ ‘तरजीही’ व्यापार सौदा किए जाने के साथ जोड़ दिया था, जिसमें यह उम्मीद की जा रही थी कि नई दिल्ली अमेरिका की कृषि उपज के लिए अधिक बाजार पहुंच मुहैया कराए.
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘ट्रम्प प्रशासन के दौरान व्यापार संबंधों में एक अजीब पैटर्न दिखता था जिसमें बातचीत एक-दूसरे की संवेदनशीलता को समझने के बजाये ‘अधिक व्यावहारिकता’ वाली साबित हुई.’
अधिकारी ने कहा कि यहां तक कि मौजूदा यूएसटीआर रॉबर्ट लाइटहाइजर ने भारत की एक भी यात्रा नहीं की, जिससे वार्ता काफी हद तक बाधित हुई.
ट्रम्प के नेतृत्व में भारत और अमेरिका ने ट्रेड पॉलिसी फोरम नहीं बनाया, जो दोनों देशों के व्यापार से संबंधित मामलों पर एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संवाद तंत्र हुआ करता था. सामरिक और वाणिज्यिक संवाद भी बंद कर दिया गया.
लाइटहाइजर के बुधवार को भारतीय उद्योग परिसंघ के तत्वावधान में भारतीय उद्योगों को संबोधित किए जाने की उम्मीद है.
पिछले हफ्ते फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ‘कुछ बड़े’ काम करके द्विपक्षीय व्यापार पर अमेरिका के साथ ‘लंबित मुद्दों’ को सुलझाने के लिए ‘बेहद गंभीर’ था.
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और जैसा कि आप जानते ही हैं अक्सर जब व्यापार संबंधी चर्चाएं होती हैं तो…बहुत हद तक ये दो सरकारों के बीच सौदेबाजी जैसी होती हैं. और व्यापार के बारे में तो आप जानते ही हैं, और हमें सुन रहे अन्य सभी लोग भी जानते ही होंगे कि जब तक यह हो न जाए तब तक अंतिम रूप से कुछ तय नहीं होता. सारी समस्या इसके विस्तृत पहलू में छिपी होती है. आप जानते ही हैं, जब तक आपने मुहर नहीं लगाई तब तक सौदे का कोई मतलब नहीं है.’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘एफटीए भी केवल व्यापार सौदा नहीं हैं, मेरा मतलब है कि व्यापार सौदे सीधे तौर पर केवल सौदे नहीं होते हैं, क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि इसके लिए आपको बहुत कुछ रणनीतिक तरीके से सोचता पड़ता है. कुछ हद तक आपको रणनीतिक तरीके से सोचना भी चाहिए और मुझे उम्मीद है कि नए प्रशासन के आने के बाद हम बहुत गंभीर चर्चा करेंगे.’
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