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Thursday, 21 November, 2024
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चीन से अब तक आयात होने वाले सैनिटाइजर डिस्पेंसर पंप को जल्द ही बनाना शुरू कर सकता है भारत

कोविड के दौरान डिस्पेंसर पंप की घरेलू मांग 50 लाख यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है. इनमें से 90% चीन से आयात किया गया है.

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नई दिल्ली: भारत में जल्द ही सैनिटाइजर डिस्पेंसर पंप का बड़े पैमाने पर घरेलू उत्पादन शुरू हो सकता है. यह एक छोटी और अपेक्षाकृत सस्ती वस्तु देश की कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में आत्मनिर्भरता हासिल करने की कोशिश में बाधा बनी हुई है.

गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति को इस हफ्ते के शुरू में सूचित किया गया था कि केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के अधीन विभिन्न टूल रूम, टेक्नोलॉजी सेंटर्स और इन-हाउस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) फैसिलिटी की तरफ से इन पंपों के लिए डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है.

मंत्रालय ने गुरुवार को एक प्रेजेंटेशन में समिति को बताया कि पंप का उत्पादन शुरू करने के लिए इन केंद्रों को मोल्डिंग और अन्य मशीनों का इंतजार है.

कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य आनंद शर्मा के नेतृत्व वाली समिति सरकार की कोविड-19 प्रबंधन योजना की समीक्षा कर रही है और इस बारे में विभिन्न मंत्रालयों को आमंत्रित कर जानकारी हासिल कर रही है. एमएसएमई मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को संसदीय समिति के समक्ष दिया गया प्रेजेंटेशन इसी प्रक्रिया का हिस्सा था.

मंत्रालय ने संसदीय समिति के समक्ष अपने प्रेजेंटेशन में कहा, ‘हमने अपनी इन-हाउस आरएंडडी फैसिलिटी को सक्रिय कर दिया है और इन पंप के निर्माण में अंतर पाटने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में हमने ऐसी मशीनों के लिए वित्त पोषण को मंजूरी दी है.’

महामारी के दौरान डिस्पेंसर पंप की घरेलू मांग 50 लाख यूनिट होने का अनुमान है. इनमें से 90 फीसदी का आयात चीन से किया गया है, जिससे सरकार को इन्हें सस्ती दर पर देश में ही निर्मित करने के तरीकों पर विचार करना पड़ रहा है.

दिप्रिंट ने जून में ही बताया था कि कैसे सरकार 5 से 20 रुपये की कीमत पर इन पंप का उत्पादन बढ़ाने में मुश्किलों का सामना कर रही है, जबकि वह महामारी को देखने हुए अन्य जरूरी सामानों के संबंध में घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सफल रही है, जैसे अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट, मास्क, वेंटिलेटर और टेस्ट किट आदि.

आकार में छोटे होने के बावजूद सैनिटाइजर डिस्पेंसर पंप में 16 कंपोनेंट होते हैं, जो मुख्यत: प्लास्टिक से बने होते हैं.

तमाम स्थानीय निर्माताओं ने इसके लिए कोशिशें की लेकिन सस्ती कीमत और बड़े पैमाने पर जरूरत के अनुरूप उत्पादन न हो पाने के कारण चीन से आयात करने के पक्ष में ही रहे.

एमएसएमई मंत्रालय की इकाइयों की तरफ से किए गए कुछ अन्य इनोवेशन में लकड़ी के बॉक्स वाला अल्ट्रावायलेट सैनिटाइटर, प्लाज्मा आधारित सैनिटाइजर (कीटाणुओं को मारने के लिए ल्यूमिनश गैस का इस्तेमाल होता है) और नॉन-कॉन्टैक्ट डिस्पेंसर शामिल हैं.

मंत्रालय का लक्ष्य अंततः इस आरएंडडी का उपयोग इनके वाणिज्यिक उत्पादन में करने का है.


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चीन पर भारत की निर्भरता

जून में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच टकराव और उसके बाद से सीमा पर लगातार जारी तनाव के बीच स्वदेशी लॉबी की तरफ से चीनी सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘वोकल फॉर लोकल’ की जरूरत पर बल दिया है. यह कहना आसान है लेकिन करना उतना आसान नहीं हो सकता क्योंकि खिलौनों से लेकर फर्नीचर, मूर्तियों और यहां तक कि सिंदूर जैसी भारतीय घरों की तमाम जरूरतें चीनी आयात पर निर्भर हैं.

चीन उन देशों की सूची में सबसे ऊपर है जहां से भारत अपना माल आयात करता है. 2019-20 में भारत ने चीन से 65 बिलियन डॉलर का सामान आयात किया, जो उसके कुल आयात का लगभग 14 प्रतिशत था.

भारतीय आयात क्षेत्र में चीन के वर्चस्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका, जो देश के कुल आयात में दूसरा सबसे बड़ा हिस्सेदार है, की भागीदारी 35.6 बिलियन डॉलर यानी केवल 7.5 फीसदी है.

निश्चित तौर पर चीन से भारत का आयात 2019-20 में 2018-19 की तुलना में काफी हद तक घटा है लेकिन कुल आयात में इसकी हिस्सेदारी उसी तरह बनी हुई है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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