नई दिल्ली : विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर पहुंचा. वहां से ये सांसद चुराचांदपुर जिले के राहत शिविर पहुंचे और लोगों का हाल-चाल जाना. उन्होंने कहा वह राज्य के लोगों की मांग का प्रतिनिधित्व करने आए हैं. विपक्षी दल का यह प्रतिनिधिमंडल राज्य में दो दिन के दौरे पर है. इसमें कुल 21 सदस्य शामिल हैं. वहीं मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने प्रतिनिधिमंडल से राज्य में शांति बहाली में मदद करने की अपील की.
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राहत कैंप पहुंचने के बाद कहा, “उनके चेहरों से साफ झलकता है कि वे बहुत डरे हुए हैं. वे किसी से बात नहीं करना चाहते हैं. वे जानते हैं कि यह सरकार उन्हें कोई मदद नहीं देने वाली है.”
#WATCH | Manipur | Opposition MPs of I.N.D.I.A parties visit a relief camp in Churachandpur district. pic.twitter.com/R2TukSVMGk
— ANI (@ANI) July 29, 2023
गौरतलब है कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के सांसदों का यह प्रतिनिधिमंडल मणिपुर मामले पर संसद में प्रधानमंत्री मोदी के बयान न देने पर राज्य का दौरा करने का फैसला किया. इससे पहले दोनों सदन इस मुद्दे पर चर्चा और प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर लगातर स्थगित होते रहे. इसके बाद लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
चुराचांदपुर राहत शिविर दौरे के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने कहा, “राहत शिविर में हमने कई लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं. हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि यहां के हालात बदलेंगे और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं.”
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सुष्मिता देव ने कहा, “हमारा यहां आना और पीड़ितों से मिलना जारूरी था, दुख की बात यह है कि केंद्र सरकार को अपना प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहिए था लेकिन विपक्षी दलों को यहां प्रतिनिधिमंडल भेजना पड़ा है.”
#WATCH | Manipur | After visiting a relief camp in Churachandpur district, RJD MP Manoj Jha says, "We met several people in the relief camp here and listened to their problems. We have assured them that there will be a change in the situation and we are all working in that… pic.twitter.com/ltsRKN6Weo
— ANI (@ANI) July 29, 2023
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‘मणिपुर के लोगों की मांग का प्रतिनिधित्व करने आए हैं’
इससे पहले विपक्षी दलों को गठबंधन ‘इंडिया’ के 21 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित मणिपुर के दो दिन के दौरे पर इम्फाल पहुंचा. राज्य में पहुंचने के बाद विपक्षी दलों ने कहा कि उनके दौरे का मकसद ‘लोगों की मांग का प्रतिनिधित्व करना है”.
मणिपुर की हालात को लेकर लोकसभा में विपक्षी दलों की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “हम चाहते हैं कि लोगों की बात सुनी जाए. हम उनकी मांग संसद में पहुंचाएंगे. हम मणिपुर के लोगों और उनकी चिंताओं का प्रतिनिधित्व करने आए हैं.”
निचले सदन में कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “हम मणिपुर की राज्यपाल के समक्ष कई मांगें रखेंगे. हालांकि, हम चाहते हैं कि सार्वजनिक सर्वेक्षण हो और कोई भी फैसला लेने से पहले (उनकी मांगों पर) हम आपस में चर्चा करें.”
इससे पहले प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, वे राज्य में हिंसा पर लगाम लगाने में नाकाम रहने वाले मौजूदा मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर चर्चा करेंगे.
“हम विपक्षी दलों के इस प्रतिनिधिमंडल के मणिपुर पहुंचने पर बहुत ही खुश हैं. उन्हें राहत शिविरों का दौरा करना चाहिए और लोगों से मिलना चाहिए, जो लगभग 3 महीने से अभी तक अपने घर से दूर हैं. उन्हेंं केंद्र सरकार को जमीनी हालात के बारे में जानकारी देनी चाहिए, ताकि जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल हो सके. हम मणिपुर के सीएम के इस्तीफे की भी मांग करेंगे.”
राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल से शांति बहाली में मदद करने को कहा
इससे पहले शनिवार को, मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ‘इंडिया’ के नेताओं से अपील की कि वे हिंसाग्रस्त उत्तर-पूर्व में शांति बहाली में योगदान करें. उन्होंने सभी दलों और उनके नेताओं से राज्य को वापस पटरी पर लाने में मदद का भी आह्वान किया.
दौरे पर पहुंचे प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने कहा कि वह कोई भी राजनीतिक बयान देने से बचेंगे और केवल जमीनी स्तर पर स्थिति को समझने पर ध्यान देंगे.
राज्य में जातीय हिंसा का केंद्र रहे चुराचांदपुर में राहत केंद्रों का दौरा करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल उइके ने कहा, “लोग पूछ रहे हैं कि राज्य में शांति कब बहाल होगी. मैं समुदायों और लोगों को एक साथ लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हूं. हम सभी राजनीतिक दलों से भी इस प्रयास में हमारी मदद करने का आह्वान कर रहे हैं.”
विपक्षी प्रतिनिधिमंडल के दो दिन के दौरे पर मणिपुर की राज्यपाल ने कहा, “मैं उनसे अपील करूंगी कि राज्य में शांति बहाली में योगदान दें.”
चुराचांदपुर राहत आश्रयों में जातीय हिंसा से विस्थापित लोगों से मिलने के बाद राज्यपाल ने कहा, “जिन लोगों ने हिंसा में परिजनों को गंवाया है और जिनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है सरकार उन्हें मुआवजा उपलब्ध कराएगी. मैं मणिपुर में सबी समुदायों में शांति लाने और लोगों के कल्याण व भलाई के लिए हरसंभव कोशिश करूंगी.”
राहत शिविरों में उनके दौरे पर विस्थापित कई लोगों ने उनसे पूछा कि वे कब तक वापस लौटेंगे.
राज्यपाल ने कहा, “यहां लोग अपने घर लौटना चाहते हैं. मैं राज्य में शांति बहाल करने के हित में सभी दलों को एक साथ लाने का प्रयास कर रही हूं.”
Students carry out a silent protest demanding their right to education, during a visit of opposition MPs of INDIA to a relief camp at Don Bosco School in Manipur's Churachandpur district.
Their future is at stake. Bringing normalcy to the region is the only way forward! pic.twitter.com/aeljAkbWRP
— Congress (@INCIndia) July 29, 2023
वहीं मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में डॉन बॉस्को स्कूल के एक राहत शिविर में भारत के विपक्षी सांसदों के दौरे के दौरान छात्रों ने शिक्षा के अधिकार की मांग करते हुए मौन विरोध प्रदर्शन किया.
उन्होंने कहा, “उनका भविष्य दांव पर है. क्षेत्र में सामान्य स्थिति लाना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है!”
प्रतिनिधिमंडल में INDIA के ये नेता हैं शामिल
दोनों सदनों के 21 सदस्यीय विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, के सुरेश और फूलो देवी नेताम शामिल हैं; जदयू के राजीव रंजन ललन सिंह; तृणमूल कांग्रेस से सुष्मिता देव; डीएमके से कनिमोझी; सीपीआई के संतोष कुमार; सीपीआई (एम) से एए रहीम, राजद के मनोज कुमार झा; सपा के जावेद अली खान; झामुमो की महुआ माझी; एनसीपी के पीपी मोहम्मद फैज़ल; जेडीयू के अनिल प्रसाद हेगड़े, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर; आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन; आप के सुशील गुप्ता; शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत; वीसीके के डी रविकुमार; वीसीके के थिरु थोल थिरुमावलवन; और आरएलडी के जयंत सिंह शामिल हैं.
मणिपुर में करीब 3 महीने से जारी जातीय हिंसा के कारण 150 से भी अधिक लोगों की मौत हुई है और हजारों लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है.
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