नई दिल्ली: स्विस वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी IQAir की 2022 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के स्तर के अनुसार 131 देशों की सूची में भारत की रैंकिंग में तीन अंकों का सुधार हुआ और अब ये 8वें स्थान पर आ गया है. हालांकि, पिछले साल मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत 12वें स्थान पर था.
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत का वार्षिक औसत पीएम2.5 स्तर 53.3 μg/m3 था, जो 2021 के औसत 58.1 से थोड़ा कम है, लेकिन वार्षिक पीएम2.5 सांद्रता 5 μg/m3 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देश से कम से कम सात गुना अधिक है.
92.7 μg/m3 के वार्षिक पीएम 2.5 स्तर के साथ, राजस्थान के अलवर में भिवाड़ी 2022 में भारत का सबसे प्रदूषित शहर और मध्य और दक्षिण एशिया क्षेत्र में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा.
दिल्ली 92.6 के साथ बहुत पीछे नहीं थी, इसके बाद बिहार में दरभंगा और असोपुर क्रमशः 90.3 और 90.2 थे. इस क्षेत्र के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल अन्य भारतीय शहरों में पटना, गाजियाबाद, धारूहेड़ा, छपरा, मुजफ्फरनगर, ग्रेटर नोएडा, बहादुरगढ़ और फरीदाबाद शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इस रिपोर्ट में शामिल भारत के लगभग 60 प्रतिशत शहरों में वार्षिक पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश से कम से कम सात गुना अधिक है.’
हालांकि, कम से कम सात भारतीय शहरों तारकेश्वर, डिगबोई, अलादी, कट्टुपल्ली, पोलमपल्ली, खरसावां और मुथैयापुरम को इस क्षेत्र के सबसे कम प्रदूषित शहरों की सूची में दिखाया गया है.
यह स्वीकार करते हुए कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में वायु गुणवत्ता निगरानी में वृद्धि हुई है, रिपोर्ट के लेखकों ने इस बात पर जोर दिया कि देश में ‘अभी भी एक प्रभावी और विश्वसनीय उत्सर्जन सूची की कमी से रणनीतियों की प्रगति को ट्रैक करने की क्षमता का अभाव है’.
रिपोर्ट ने क्षेत्रीय उत्सर्जन में कमी को निर्धारित करने के लिए ‘व्यापक राष्ट्रीय उत्सर्जन डेटाबेस’ की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
केवल 6 देश WHO की सुरक्षित लिमिट में
चारों ओर से घिरा मध्य अफ्रीका का देश चाड, 89.7 μg/m3 के सालाना PM2.5 स्तर के साथ दुनिया में सबसे प्रदूषित पाया गया. चाड के बाद (80.1) के साथ दूसरे नंबर पर इराक है, उसके बाद पाकिस्तान (70.9), बहरीन (66.6) और बांग्लादेश (65.8) हैं.
IQAir द्वारा जुटाई गई 2022 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, 131 देशों और क्षेत्रों में से केवल 13 ही 5 μg/m3 या उससे कम PM2.5 के स्तर को पाने में सफल रहे- जो WHO की गाइडलाइन है. इनमें पश्चिमी प्रशांत महासागर में गुआम शामिल है, जहां सालाना पीएम2.5 का स्तर सिर्फ 1.3 μg/m3 है, फ्रेंच पोलिनेशिया (2.5), यूएस वर्जिन आइलैंड्स (2.9), बरमूडा (3.0) और बोनेयर, कैरेबियन में सिंट यूस्टेशियस और सबा (3.3) शामिल हैं.
वहीं, सिर्फ छह देश ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड और न्यूजीलैंड जैसे डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित लिमिट पूरी करते हैं.
‘दुनिया भर में, खराब वायु गुणवत्ता की वजह से 93 बिलियन दिन लोग बीमारी के साथ जीते हैं और हर साल 6 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी कीमत 8 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, जो वैश्विक वार्षिक जीडीपी के 6.1 प्रतिशत से अधिक है. इसने यह भी बताया है कि प्रदूषण से होने वाली मौते ’90 प्रतिशत से अधिक’ निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं.
अफ्रीका के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका के 54 देशों में से 35 को छोड़कर, केवल 19 के पास ‘इस वर्ष की रिपोर्ट में शामिल करने के लिए पर्याप्त डेटा उपलब्ध था.’
उपमहाद्वीप के शीर्ष 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में लाहौर को मध्य और दक्षिण एशिया क्षेत्र में सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया गया, अन्य पाकिस्तानी शहर पेशावर और फैसलाबाद इस लिस्ट में शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, IQAir ने 131 देशों, क्षेत्रों के 7,323 शहरों से 30,000 से अधिक नियामक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और कम लागत वाले वायु गुणवत्ता सेंसर से PM2.5 वायु गुणवत्ता डेटा जुटाया है.
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