नई दिल्ली: पिछले दिनों आई अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर 2018 की वार्षिक रिपोर्ट को भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने कहा है कि जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी रिपोर्ट में मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा के पीछे कोई षडयंत्र बताया है वह पूरी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रसित है. उन्होंने यह भी कहा है यह रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर काम करती है.
मोदी सरकार द्वारा शुरू और कार्यान्वित की गई बड़ी-बड़ी योजनाएं से समाज के हर जाति, धर्म और क्षेत्र के लोगों को लाभ हुआ है. सभी गरीबों, वंचिचों चाहे वो किसी भी धर्म या हिंग के हों के जीवन स्तर को उठाने और अपनी उपलब्धियों पर भाजपा गर्व करती है. बलूनी ने कहा है कि भारत के लोकतांत्रिक संस्थाओं की जड़ें बहुत गहरी हैं. जब भी देश में हिंसा हुई है ऐसे अधिकतर मामलों में स्थानीय विवादों और अपराधी तत्वों का हाथ होता है. और जब भी जरूरत हुई है तब प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अल्पसंख्यकों और समाज के कमजोर तबके के लोगों के विरुद्ध हुई हिंसा की आलोचना की है. लेकिन दुर्भाग्यवश इन तथ्यों को इस रिपोर्ट में सिरे से खारिज कर दिया गया है.
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क्या कहा गया है भारत के लिए रिपोर्ट में
जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर 2018 में भारत में घटित विभिन्न उन्मादों पर संस्था का कहना है कि 2018 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थितियां निरंतर खराब हुई है. इसमें मौजूदा मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा है कि धार्मिक स्वतंत्रता का यह इतिहास रखने वाले भारत में हाल के वर्षों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ उपद्रव को प्रोत्साहन दिया गया है जिसमें सरकारी सहमति भी शामिल है. यही नहीं रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि गैर- हिंदू और निम्न जाति के हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकी, उत्पीड़न भरे हिंसा को बढ़ावा दिया है.
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें भी कहीं गई हैं. आईआरएफए की रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता के बार बार उल्लघंन करने के मामलों को देखते हुए भारत को टीयर 2 में रखा गया है. रिपोर्ट में 2018 में एक तिहाई राज्य सरकारों ने गैर हिंदुओं और दलितों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और गोहत्या विरोधी कानूनों का भी हवाला दिया है. यही नहीं मुस्लिमों की हत्या और दलितों के साथ हिंसा पर भी बात की गई है. वहीं नहीं सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देते हुए कहा है कि कुछ राज्य सरकारें धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोकने में असमर्थ रहीं हैं और पर्याप्त काम नहीं कर रही हैं.
नरेंद्र मोदी ने उपद्रव को कम करने के लिए कुछ नहीं कहा
वहीं कुछ अपराधियों को दंड मुक्त किए जाने का भी दावा किया है. वहीं सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी का हवाला देते हुए रिपोर्ट में लिखा गया है कि पीएम ने भी बमुश्किल ही उपद्रव को कम करने वाले बयान दिए है यही नहीं उनकी राजनीतिक पार्टी के कुछ सदस्यों ने हिंदू चरमपंथी समूहों के साथ जुड़ाव रहा और उन्होंने भड़काऊ भाषण दिया.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग विदेश में धार्मिक और आस्था की स्वतंत्रता के उल्लघंन की निगरानी करता है. हालिया जारी की गई रिपोर्ट में 2018 के मामले शामिल किए गए हैं.
पाकिस्तान की ईशनिंदा रही चर्चा का विषय
भारत के अलावा पाकिस्तान पर भी विस्तार से चर्चा की गई है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए और अधिक कदम उठाने की जरूरत है. बता दें की पाकिस्तान में आसिया बीबी के मामले में विश्वभर में चर्चा रही थी और उन्हें ईशनिंदा के एक मामले में मौत की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था.
पोम्पिओ ने कहा कि पाकिस्तान में 40 से अधिक लोग ऐसे हैं जो उम्रकैद की सजा काट रहे हैं या फिर ईशनिंदा कानून के तहत उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है. पोम्पिओ ने कहा, ‘हम उनकी रिहाई की मांग करते रहेंगे और धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक दूत की नियुक्ति को लेकर भी सरकार को प्रोत्साहित करेंगे.’
बता दें कि ईशनिंदा मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में एक ज्वलंत मुद्दा है, जहां कट्टर मुस्लिम समुदाय के लोग इस्लाम का अपमान करने के आरोप में लोगों की पीट-पीटकर हत्या तक कर देते हैं.