नई दिल्ली: चीन कोरोनावायरस के लिए ज़िम्मेदार है. ये हम नहीं कह रहे, ये एक ऑनलाइन सर्वे में भाग लेने वाले 67 प्रतिशत लोगों का मानना है. पर साथ ही कुछ लोग ये भी सोचते हैं कि भारत और चीन दोनों देशों के रिश्तों में प्रतिस्पर्धा और साझा उद्देश्य शामिल हैं.
तक्षशिला इंस्टीट्यूट और मनोज केवलरमानी द्वारा किया गया ये ऑनलाइन सर्वे कोरोनावायरस के मद्देनज़र चीन को लेकर लोगों के नज़रिए से जुड़ी कुछ रोचक बातें सामने लेकर आया है. ये सर्वे 1299 लोगों के बीच किया गया जिसमें से 1156 भारतीय शामिल हैं. अन्य लोग कनाडा, अमेरिका और चीन से हैं. इस सर्वे को 26 मार्च से 3 अप्रैल के बीच किया गया.
करीब 67 प्रतिशत लोगों का मानना है की कोरोनावायरस फैलने के पीछे चीन मुख्य रूप से ज़िम्मेदार है. इनमें से करीब 48 प्रतिशत ये सोचते हैं कि चीन अपने यहां जानवरों की गैरकानूनी तरीके से तस्करी पर प्रतिबंध नहीं लगा सका. वहीं करीब 18 प्रतिशत लोग कोरोनावायरस के एक बॉयोवेपन (जैव हथियार) होने की संभावना से इंकार नहीं करते.
कई लोगों को इसको ‘चाइनीज वायरस’ या ‘वुहान वायरस’ बुलाये जाने पर भी अप्पति नहीं है. सर्वे में भाग लेने वाले 50 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों का मानना है कि ऐसा कहना सही है क्योंकि इससे ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि चीन अपनी ज़िम्मेदारी से भाग नहीं सकता.
कोरोनावायरस को लेकर चीन का प्रयास ‘अपारदर्शी’
सर्वे में भाग लेने वाले करीब 65 प्रतिशत का ये भी मानना है कि इस महामारी को रोकने के लिए पड़ोसी देश चीन के किये गए प्रयास ‘तानाशाही और अपारदर्शी’ हैं. ये लोग इस बात से सहमत हैं कि चीनी सरकार ने आपदा के वास्तविक पैमाने को छुपाने की कोशिश की है. मात्र 3 प्रतिशत ही इस बात पर भरोसा करते हैं कि इस महामारी पर काबू पाकर चीन ने दूसरे देशों के सामने एक उदहारण प्रस्तुत किया है.
भारत-चीन संबंध और ‘पॉवर-पॉलिटिक्स’
चीन अन्य कई देशों को वेंटिलेटर, मास्क और अन्य ज़रूरी सामानों की सप्लाई कर रहा है. रविवार को ही चीन ने अमेरिका को 1,000 वेंटिलेटर दान में दिए. परन्तु इस सर्वे के मुताबिक भाग लेने वाले 56 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि ये चीन की भू-राजनीति का हिस्सा है. वे इस बात से सहमत हैं कि चीन इस मौके को अपनी धाक ज़माने के लिए उपयोग कर रहा है.
हालांकि जवाब देने वालों में से ज़्यादातर लोग ये नहीं मानते हैं कि चीन मुख्यतः भारत का दुश्मन है और भारत के उभरते कद को कम करना चाहता है. करीब 50 प्रतिशत का मानना है कि दोनों देशों के रिश्ते जटिल हैं, और दोनों ही साझा उद्देश्य और प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं.
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