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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशगुना में शिकारियों के हाथों 3 पुलिस वालों की मौत के बाद MP के 'असहाय' वनरक्षकों की मांग- मिले बंदूक चलाने का हक

गुना में शिकारियों के हाथों 3 पुलिस वालों की मौत के बाद MP के ‘असहाय’ वनरक्षकों की मांग- मिले बंदूक चलाने का हक

मध्य प्रदेश की आरोन तहसील में 13 मई की तड़के संदिग्ध शिकारियों के साथ मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मियों— नीरज भार्गव, राजकुमार जाटव और संतराम मीणा की मौत हो गई थी.

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गुना: मध्य प्रदेश के गुना में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल आठ शिकारियों में से एक, साल 2020 में वन विभाग के खिलाफ इसी तरह के एक आपराधिक मामले में जमानत पर बाहर था. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

गुना की आरोन तहसील में 13 मई की तड़के संदिग्ध शिकारियों के साथ मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मियों— नीरज भार्गव, राजकुमार जाटव और संतराम मीणा की मौत हो गई थी.

ग्वालियर के नवनियुक्त महानिरीक्षक (आईजी) डी. श्रीनिवास वर्मा— गुना इन्हीं के क्षेत्राधिकार में आता है, ने कहा, ‘वन विभाग कर्मियों और जनता के बीच हमेशा झड़पें होती रही हैं लेकिन ऐसा संभवत: पहली बार है जब पुलिस पर इतने क्रूर ढंग से हमला किया गया.’ इस मामले के आठ में से चार आरोपी अभी भी फरार हैं.

पुलिस ने आरोपियों के पास से चार लुप्तप्राय काले हिरणों के कटे सिर, कुछ हिरणों के शव और एक मोर बरामद किया है.

पुलिस ने आरोपियों के पास से चार लुप्तप्राय काले हिरणों के कटे सिर, कुछ हिरणों के शव और एक मोर बरामद किया | फोटो: विशेष प्रबंध

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर के तत्कालीन आईजी को हटाने का आदेश दिया और इस घटना से प्रभावित परिवारों को एक करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की.

राज्य सरकार ने हमले के एक दिन बाद आरोपियों— जो सभी मुसलमान हैं— के घरों को अवैध अतिक्रमण बताते हुए ध्वस्त करा दिया.

बहरहाल, इस मामले ने एक बार फिर अक्सर लुप्तप्राय प्रजातियों को निशाना बनाने वाले शिकारियों के कारण उन खतरों को उजागर किया है जिनका सामना सुरक्षाकर्मियों को करना पड़ता है.


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वन कर्मियों का क्या कहना है

13 मई को रात लगभग 2.30 बजे हारून पुलिस स्टेशन को एक मुखबिर ने सूचना दी थी कि शिकारी क्षेत्र पार कर रहे हैं और इसके बाद तीन सुरक्षाकर्मी जंगल की तरफ निकल पड़े. वहीं पर उन्हें गोली मार दी गई थी.

आईजी वर्मा ने कहा, ‘घटना की रात आरोपी पुलिस की एक राइफल छीनने में भी सफल रहे. हमने अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम गठित की हैं और राइफल की भी तलाश कर रहे हैं.’

नौशाद नाम के एक आरोपी गोलीबारी के दौरान मारा गया था और उसका भाई शहजाद कुछ देर बाद हुई मुठभेड़ में मारा गया. दो अन्य आरोपियों जिया खान और सोनू को गिरफ्तार कर लिया गया था और कथित तौर पर पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास करने पर उनके पैर में गोली मार दी गई.

चार अन्य आरोपी फरार हैं और उन्हें तलाशने के लिए पुलिस जंगलों में गश्त कर रही है.

फरार आरोपियों में विक्की भी शामिल है, जिसने दो साल पहले वन विभाग के सदस्यों पर बंदूक चलाई थी.

अपना नाम न छापने की शर्त पर वन विभाग के एक अधिकारी ने 2020 की घटना के बारे में बताया, ‘जब हमने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसने एक देसी तमंचा निकाला और फायरिंग कर दी. मैं उसकी एक गोली का निशाना बनते बचा. हम तो दो साल पहले ही निशाना (मर गए होते) बन सकते थे और हमारे पास तो पुलिस की तरह बंदूक चलाने का अधिकार भी नहीं है.’

विक्की पर धारा 336 (मानव जीवन खतरे में डालना) के साथ ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम सहित आईपीसी की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे लेकिन जेल में कैदियों की संख्या घटाने की कवायद में सितंबर 2021 में उसे जमानत मिल गई थी.

एक अन्य वन अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास अपने बचाव के लिए केवल लाठी होती है. हमें बंदूकों की जरूरत है, साथ ही केस दर्ज किए बिना हमें उनका इस्तेमाल करने का अधिकार भी मिलना चाहिए.’

भारत में वन रक्षक केवल आत्मरक्षा में आग्नेयास्त्रों का उपयोग कर सकते हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर कानूनी अदालत में साबित करना भी जरूरी हो सकता है.’


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घर पर चलाया बुलडोजर

पुलिस टीम पर हमला करने के आरोपी सभी आठ लोग बुधौरिया गांव में रहते हैं, जो धार्मिक आधार पर बंटा है. जब दिप्रिंट ने दौरा किया, तो कड़ी निगरानी के लिहाज से दर्जनों पुलिसकर्मियों ने गांव को घेर लिया.

हमले के एक दिन बाद एमपी सरकार ने आरोपियों के घरों को ढहा दिया | फोटो: सतेंद्र सिंह | दिप्रिंट

जहां कभी संदिग्ध आरोपियों के घर होते थे, वहां मलबे के ढेर लगे हैं. हमले के एक दिन बाद ही राज्य सरकार ने कथित अपराधियों के घरों को यह दावा करते हुए ध्वस्त कर दिया था कि वे अतिक्रमण करके बनाए गए थे, जबकि उनके पड़ोसियों के घरों को हाथ भी नहीं लगाया गया है.

पिछले महीने, मध्य प्रदेश सरकार ने खरगोन में भी सांप्रदायिक हिंसा के बाद ‘अवैध दुकानों’ को ध्वस्त कर दिया था.

महिलाओं ने दिप्रिंट को बताया कि अधिकांश पुरुष अपनी जान को खतरा मान उसी दिन गांव से भाग गए थे.

मलबे के ढेर से निकाले गए घर के बचे-खुचे सामान के पास खड़ी नौशाद की भाभी फहमीदा ने कहा, ‘जब पुलिस आई, तो उन्होंने हमारे खेतों में गोलियों की बरसात कर दी. उन्होंने मुझे पीटा, हमारे बच्चों को पीटा. उन्होंने हमारा पूरा घर तोड़ दिया— आखिर क्यों? क्या केवल हमारा घर ही अवैध कब्जा करके बना है?’

वह अब अपनी पड़ोसी समीना के साथ रह रही है, जिसका घर कुछ मीटर की ही दूरी पर है.

गांव के निवासियों ने यह तो माना कि क्षेत्र में शिकार होता है लेकिन इसमें शामिल लोगों के बारे में कोई जानकारी होने से एकदम साफ इनकार कर दिया. वन अधिकारियों ने कहा कि गुना में शिकार मांस के लिए किया जाता था न कि व्यापार के लिए. पुलिस के मुताबिक, जिस रात यह घटना हुई और शिकारियों को पकड़ा गया, उस दिन यहां एक शादी थी.

ग्रामीणों ने यह आरोप लगाया भी कि सिर्फ उनके समुदाय के पुरुष ही इस घटना में शामिल नहीं थे, उन्होंने कहा कि हिंदू सरपंच के बेटे भी उस रात आरोपियों के साथ थे.

अपना घर-बार छोड़कर न भागने वाले कुछ लोगों में शामिल शाहनु खान ने कहा, ‘ऐसा हो या नहीं लेकिन दोषी इसी गांव को ठहराया जाता है. यह सब आसपास के सभी गांवों में होता है लेकिन आपको बार-बार बस एक ही नाम सुनाई देगा—बुधौरिया.’

कथित अतिक्रमण विरोधी अभियान के बारे में पूछे जाने पर, आईजी वर्मा ने कहा, ‘यह एक अन्य विभाग का काम है जो यह तय करता है कि अतिक्रमण कहां है और कहां नहीं है’. उन्होंने कहा, ‘लेकिन मेरा मानना है कि अगर किसी ढांचे को अतिक्रमण करके बनाया गया है तो उसे ढहा ही दिया जाना चाहिए.’


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शोक संतप्त परिवार

उधर, गुना में हेड कांस्टेबल नीरज भार्गव के घर में उनके एक चित्र को माला पहनाकर रखा गया है और कुछ लोग उसके आसपास एक चटाई पर बैठे हैं. उसकी मां पूरी तरह होश में नहीं हैं और छह माह की गर्भवती पत्नी को सांत्वना देना काफी मुश्किल साबित हो रहा है.

नीरज के पिता की भी बतौर पुलिस अधिकारी सेवाएं देने के दौरान मृत्यु हो गई थी और विभाग की तरफ से नौकरी का वादा किए जाने के बाद नीरज एक पुलिसकर्मी बन गया. अपनी मौत के बाद वह इसी तरह अपने पीछे एक 13 वर्षीय बेटा छोड़ गया है.

लड़के के पास बैठे नीरज के छोटे भाई विकास ने कहा, ‘लड़का अभी 8वीं कक्षा में है. अगर उन्होंने वादा किया कि वे उसे नौकरी देंगे तो हम उसे इसके लिए तैयार करेंगे.’

विकास ने कहा कि परिवार ने खबरों में एक करोड़ रुपये के मुआवजे के बारे में सुना था लेकिन अभी तक किसी ने यह राशि ट्रांसफर करने से जुड़ी कागजी खानापूर्ति के बारे में चर्चा तक नहीं की है. नीरज के कमाने वाला इकलौता सदस्य होने के कारण परिवार को उम्मीद है कि सरकार एक सदस्य को नौकरी भी देगी.

उसने कहा, ‘हमारे पास मुआवजे का अधिकार है और जब से इसकी घोषणा की गई है, हम यह राशि मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि जांच निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से की जाए.’

आईजी वर्मा ने कहा, ‘मुआवजा जल्द ही प्रदान किया जाएगा. यह सरकार पर निर्भर है कि वह इसे जल्दी से मंजूरी दे, लेकिन आमतौर पर ये चीजें एक महीने के भीतर होती हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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