गुरुग्राम: हरियाणा के चरखी दादरी में पुलिस पर ऑनर किलिंग के प्रयास में एक आरोपी को गोली मारने और मामले में और “लोगों को नहीं फंसाने” के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है, हालांकि, जिला पुलिस प्रमुख ने आरोप से इनकार किया है.
सोनू के परिवार के सदस्य, जिसे कथित तौर पर पुलिस ने गोली मार दी थी, ऑनर किलिंग की कोशिश की एफआईआर में नामित लोगों के साथ, “गलती करने वाले” पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं.
इन परिवारों को सतगामा खाप और सांगवान खाप का समर्थन प्राप्त है, जिसका नेतृत्व चरखी दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान करते हैं, जो मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के भी समर्थक हैं. दोनों खापों में चरखी दादरी जिले के अंतर्गत आने वाले गांव शामिल हैं.
पिछले साल 14 नवंबर को अपनी बेटी साक्षी की इच्छा के विरुद्ध शादी से नाराज़ होकर, रोहतक जिले के पिलाना गांव के कुलदीप सिंह ने कथित तौर पर कुछ अन्य लोगों के साथ उसके वैवाहिक घर में घुसकर उसे आठ गोलियां मारीं और चरखी दादरी के उन्न गांव में उसके पति मोहित को भी गोली मार दी.
साक्षी और मोहित दोनों जाट हैं, लेकिन वे अलग-अलग गोत्र और गांव से हैं.
मोहित द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, हमले में साक्षी के पिता कुलदीप, उसका चचेरा भाई आकाश और चार-पांच अन्य शामिल थे. हमले के दौरान साक्षी तो बच गई, लेकिन मुख्य आरोपी के फरार हो जाने के कारण पुलिस ने कुलदीप के परिवार के सदस्यों को हिरासत में ले लिया.
चरखी दादरी के डिप्टी एसपी, सुभाष चंदर ने शुक्रवार को दिप्रिंट को बताया कि पुलिस ने अब तक कुलदीप, परमजीत, सोनू और अंकित को गिरफ्तार किया है. उन्होंने कहा कि हालांकि, साक्षी के पति द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में आकाश का नाम भी था, लेकिन जब हमला हुआ तो उसके मोबाइल की लोकेशन बहुत दूर की पाई गई.
सोनू के पिता बिजेंद्र सिंह द्वारा मंगलवार को चरखी दादरी की एसपी निकिता गहलौत को सौंपी गई शिकायत के अनुसार, 18 नवंबर को कुलदीप, सोनू और परमजीत के परिवार के सदस्यों ने कई लोगों की मौजूदगी में तीनों को पुलिस को सौंप दिया. दिप्रिंट के पास इस शिकायत की एक प्रति है.
शिकायत में आरोप है कि, “अगले दिन, इंस्पेक्टर बलवान सिंह और एएसआई मंजीत ढाका कुलदीप को इमलोटा गांव में ले आए और उससे कहा कि हमें मामले के लिए पुलिस से मिलना होगा. पुलिसकर्मियों ने हमसे कहा कि अगर हम 10 लाख रुपये देंगे तो वे किसी अन्य व्यक्ति को मामले में नहीं फंसाएंगे. उन्होंने यह भी वादा किया कि गिरफ्तार किए गए लोगों को प्रताड़ित नहीं किया जाएगा. नहीं तो, एफआईआर (साक्षी के मामले में) कुलदीप और चार-पांच अन्य के खिलाफ थी और पुलिस और गिरफ्तारियां कर सकती थी…हमने किसी तरह बलवान सिंह को 10 लाख रुपये दिए.”
बिजेंद्र ने कहा कि अगले दिन उन्हें अखबार से पता चला कि उनके बेटे सोनू के पैर में गोली लगी है और उसे पीजीआईएमएस, रोहतक में भर्ती कराया गया. उन्होंने दावा किया, “जब मैं सोनू से मिला तो उसने मुझे बताया कि 18 नवंबर की रात 10 बजे पुलिसकर्मी उसे रोहतक से रानीला के रास्ते में एक नहर के पास ले गए और भाग जाने के लिए कहा. जब उसने इनकार कर दिया तो उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई, उसके घुटने के नीचे एक पट्टी बांध दी गई और उसे अपने पैर फैलाने के लिए कहा गया. जैसे ही उसने ऐसा किया, पुलिसकर्मियों ने उसके बाएं पैर में गोली मार दी.”
उन्होंने आगे कहा, “अगले दिन पुलिस ने सोनू के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज की और आरोप लगाया कि उन्होंने उसे मुठभेड़ के बाद पकड़ लिया जब उसने गोलीबारी के बाद भागने की कोशिश की.”
बिजेंद्र का आरोप है कि 14 नवंबर को हुई गोलीबारी के बाद पुलिस ने कुलदीप की पत्नी, मां, बहन, बहनोई और अन्य रिश्तेदारों को भी उठा लिया और एक रात के लिए अवैध हिरासत में रखा. उन्होंने बताया कि दोषियों को गिरफ्तार करने में पुलिस की मदद करने के आश्वासन पर उन्हें छोड़ दिया.
मंगलवार को एसपी गहलौत ने बलवान सिंह और मंजीत ढाका को निलंबित कर दिया.
चरखी दादरी जिले की अपराध जांच एजेंसी के प्रभारी बलवान सिंह से फोन पर संपर्क नहीं हो सका. उन्होंने 19 नवंबर को सोनू से जुड़े मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी.
एफआईआर, जिसे दिप्रिंट ने भी देखा है, में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353, 186, 307 और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी.
बलवान सिंह का आरोप है कि 18 नवंबर को वह साक्षी के मामले की जांच के लिए एएसआई तेज सिंह, तीन हेड कांस्टेबल और एक ड्राइवर के साथ रानीला बस स्टैंड पर थे, तभी उन्हें सूचना मिली कि सोनू 14 नवंबर को गोलीबारी में इस्तेमाल पिस्तौल के साथ नहर के पास है.
इंस्पेक्टर ने एफआईआर में कहा, “जब पुलिस दल मौके पर पहुंचा, तो हमें एक युवक मिला जो हमें देखते ही तेजी से दूसरी दिशा की ओर चलने लगा. जब हमने उसे रुकने के लिए कहा तो उसने पुलिस पर गोली चला दी. मैंने झुककर खुद को गोली से बचाया और बचाव में जवाबी फायरिंग की. गोली उसके बाएं पैर में लगी और वह ज़मीन पर गिर पड़ा. पहचान मांगने पर युवक ने अपना परिचय पिलाना गांव निवासी बिजेंद्र के बेटे सोनू उर्फ काला के रूप में दिया.”
भिवानी-महेंद्रगढ़ से भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने गुरुवार को आंदोलनकारी परिवार के सदस्यों के साथ-साथ एसपी गहलौत और जिला आयुक्त मनदीप कौर से मुलाकात की.
गुरुवार को स्थानीय विधायक सोमबीर सांगवान ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने एक दिन पहले गृह मंत्री अनिल विज से मुलाकात की थी और उनसे हस्तक्षेप की मांग की थी. जब दिप्रिंट ने विज से संपर्क किया, तो गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने डीजीपी को जिला पुलिस के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच वरिष्ठ अधिकारियों से कराने का निर्देश दिया है.
प्रदर्शनकारियों के वकील और प्रवक्ता संजीव तक्षक ने गुरुवार को दिप्रिंट को फोन पर बताया कि सांसद और विधायक ने कौर और गहलौत से मुलाकात की और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है.
तक्षक ने कहा, “प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, वे अपना धरना समाप्त नहीं करेंगे.”
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एसपी ने आरोपों को बताया ‘बेतुका’
गुरुवार को दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, एसपी गहलौत ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को “बेतुका और निराधार” बताया और कहा कि ये उस पुलिस के लिए हतोत्साहित करने वाले थे जिसने साक्षी को उसके पिता और उनके साथियों द्वारा गोली मारे जाने के बाद बचाया था.
उन्होंने कहा, “14 नवंबर को जब हमें सतर्क किया गया कि कुलदीप ने अपनी बेटी साक्षी को उसके पति पर गोली चलाने के बाद उन्न गांव में उसके वैवाहिक घर से उसका अपहरण कर लिया है, तो पुलिस ने आरोपियों का पीछा किया. पीछा करने के कारण ही था कि कुलदीप ने साक्षी को रानीला गांव के पास बीच रास्ते में फेंक दिया. उसे आठ गोलियां लगीं थीं. पुलिस तुरंत उसे रोहतक के पीजीआईएमएस ले गई.”
एसपी ने बताया, “साक्षी की जान तो बच गई, लेकिन उसका अभी भी इलाज चल रहा है. सोनू को तब गिरफ्तार किया गया जब हमें जानकारी मिली किए वह साक्षी पर गोली चलाने के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार को नष्ट करके सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहा था. सोनू ने पुलिस पर गोली चलाई और बचाव में पुलिस ने उसके पैर में गोली मार दी.”
गहलौत ने कहा कि प्रकरण के लगभग दो महीने बाद पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से पता चलता है कि यह मामला झूठा और मनगढ़ंत है.
एसपी ने कहा कि चूंकि प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर थे, इसलिए उन्होंने पहले ही डिप्टी एसपी सुभाष चंदर को गोलीबारी और रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था और शिकायत में नामित दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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