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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअमीर पानी से गाड़ी धो रहे, स्विमिंग पूल में इस्तेमाल कर रहे, गरीब बूंद बूंद को हैं मोहताज- रिसर्च

अमीर पानी से गाड़ी धो रहे, स्विमिंग पूल में इस्तेमाल कर रहे, गरीब बूंद बूंद को हैं मोहताज- रिसर्च

नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में छपे एक रिसर्च में कहा गया है कि अमीर वर्ग न सिर्फ गरीब और निम्न वर्ग के हिस्से के पानी का दुरुपयोग करते हैं बल्कि उनकी जरूरत का पानी भी उन तक नहीं पहुंचता है.

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नई दिल्ली: अगर आप भी स्विमिंग पूल में नहाने के शौकीन हैं और आपको भी इस भयंकर गर्मी में स्विमिंग पूल में अधिक से अधिक समय बिताना पसंद है तो यह खबर आपको चिंता में डाल सकती है. अमीर लोगों का स्विमिंग पूल शहर के गरीब लोगों के पानी की जरूरतों को प्रभावित कर रहा है. इसकी जानकारी एक रिसर्च से मिली है.

नए रिसर्च के मुताबिक सामाजिक असमानताएं, जलवायु परिवर्तन और शहरी आबादी में वृद्धि होने के कारण बड़े शहरों में जल की मांग काफी बढ़ी है. नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में पाया गया है कि शहर में रहने वाले लोग अपनी निजी इस्तेमाल के लिए आवश्यकता से अधिक पानी खर्च करते हैं. साथ ही अमीर लोग गरीब तथा निम्न वर्ग के लोगों के हिस्से के पानी का इस्तेमाल भी निजी उपयोग में करते हैं जिसमें उनकी बड़ी-बड़ी गाड़ियों की धुलाई, बगीचों में पानी और स्विमिंग पूल में बार-बार पानी चेंज करना शामिल है. 

रिसर्च करने वाली टीम ने कई शहरों में इसपर अध्ययन किया लेकिन सबसे अधिक फोकस दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर पर किया गया जहां शहरी जल संकट काफी अधिक है. 

सामाजिक असमानता बड़ी समस्या

रिसर्च टीम ने पाया कि गरीब और निम्न वर्ग के लोग काफी गंदगी में रहते हैं और पीने तथा निजी उपयोग के लिए काफी सीमित पानी का उपयोग करते हैं. साथ ही पानी का भारी बिल भर पाने में भी वह अक्षम है. टीम ने लंदन, मियामी, बार्सिलोना, बीजिंग, टोक्यो, मेलबर्न, इस्तांबुल, काहिरा, मास्को, बैंगलोर, चेन्नई, जकार्ता, सिडनी, मापुटो, हरारे, साओ पाउलो, मैक्सिको सिटी और रोम सहित दुनिया भर के 80 शहरों पर रिसर्च किया.

रिसर्च में शामिल रीडिंग विश्वविद्यालय के हाइड्रोलॉजिस्ट प्रोफेसर हन्ना क्लॉक ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि का मतलब है कि बड़े शहरों में पानी अधिक मूल्यवान संसाधन बन रहा है, लेकिन हमने दिखाया है कि सामाजिक असमानता सबसे बड़ी समस्या है. गरीब लोगों को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में 80 से अधिक बड़े शहर पिछले 20 वर्षों में सूखे और पानी के निरंतर उपयोग के कारण पानी की कमी से पीड़ित हैं, लेकिन हमारे अनुमानों से पता चलता है कि यह संकट और भी बदतर हो सकता है क्योंकि अमीर और गरीब के बीच की खाई दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ती जा रही है.’ 

शोधकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि पानी की कमी वाले शहर में पानी का आवंटन अधिकतर वर्ग पर आधारित है. जैसे अमीर लोगों के मुहल्ले में अधिक पानी की सप्लाई जबकि गरीब और निम्न वर्ग वाले इलाके में पानी की कम सप्लाई. कई बार तकनीकी खामियों के कारण भी पानी का आवंटन प्रभावित होता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खाई को कम किया जा सकता है अगर अमीर वर्ग पानी के दुरुपयोग को कम करें और पानी का वितरण समान रूप से हो.


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