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Friday, 22 November, 2024
होमएजुकेशनलगातार चौथे साल सरकारी रैंकिंग में टॉप पर IIT मद्रास, IISC और IIT बॉम्बे ने बनाई शीर्ष तीन में जगह

लगातार चौथे साल सरकारी रैंकिंग में टॉप पर IIT मद्रास, IISC और IIT बॉम्बे ने बनाई शीर्ष तीन में जगह

शुक्रवार को सरकार की एनआईआरएफ रैंकिंग की घोषणा करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश के स्कूलों की भी रैंकिंग की जानी जाने चाहिए.

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नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने लगातार चौथे वर्ष भारत सरकार की नेशनल इंस्टीटूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की सभी संस्थानों के लिए समग्र (ओवरऑल) श्रेणी में टॉप स्थान हासिल किया है.

शुक्रवार को दिल्ली में जारी की गयी इस रैंकिंग में, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु ने ओवरऑल श्रेणी में दूसरा स्थान हासिल किया, और इसके बाद आईआईटी बॉम्बे का नंबर है.

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस रैंकिंग को शुक्रवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में जारी किया जहां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार, उच्च शिक्षा सचिव संजय मूर्ति और अन्य अधिकारी मौजूद थे.

जहां ओवरऑल श्रेणी विश्वविद्यालयों और स्वायत्त संस्थानों को एकसाथ मिलाकर क्रम प्रदान करती है, वहीँ विश्वविद्यालय श्रेणी केवल विश्वविद्यालयों को ही शामिल करती है. एनआईआरएफ में कुल मिलकर ग्यारह श्रेणियां – विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग, प्रबंधन (मैनेजमेंट), फार्मेसी, कॉलेज, चिकित्सा (मेडिकल(, कानून (लॉ), वास्तुकला (आर्किटेक्चर), दंत चिकित्सा और अनुसंधान – हैं, जिनके तहत शिक्षा संस्थानों को क्रमवार स्थान दिया गया है.

विश्वविद्यालय श्रेणी में आईआईएससी पहले नंबर पर है. इसके बाद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी दसरे एवं जामिया मिलिया इस्लामिया तीसरे नंबर पर है. जामिया ने पिछले साल के छठे नंबर से अपनी स्थिति में काफी सुधार किया है, जबकि आईआईएससी और जेएनयू ने पिछले साल की तरह ही अपनी स्थिति बरकरार रखी है.

इंजीनियरिंग (अभियांत्रिकी) संस्थानों की श्रेणी में शीर्ष तीन संस्थान हैं- आईआईटी मद्रास, दिल्ली और बॉम्बे. इसी तरह प्रबंधन श्रेणी में, भारतीय प्रबंधन संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेन्ट- आईआईएम) अहमदाबाद, बेंगलुरु और कलकत्ता क्रमशः नंबर एक, दो और तीन हैं.

मेडिकल (चिकित्सा) श्रेणी में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली ने एक बार फिर सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है. इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, (पीजीआईएमआर) चंडीगढ़ दूसरे नंबर पर और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, (सीएमसी) वेल्लोर तीसरे नंबर पर है.

फार्मेसी श्रेणी में- जामिया हमदर्द, दिल्ली अव्वल नंबर पर है और इसके बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, हैदराबाद दूसरे नंबर पर और पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, तीसरे नंबर पर है.

कॉलेज श्रेणी में दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाला मिरांडा हाउस कॉलेज पहले नंबर पर है, उसके बाद हिंदू कॉलेज, दिल्ली और प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई का स्थान है.

इस रैंकिग के अनुसार आईआईटी ने सिर्फ इंजीनियरिंग में ही नहीं बल्कि आर्किटेक्चर कैटेगरी में भी अपनी पहचान बनाई है. आर्किटेक्चर श्रेणी के शीर्ष तीन संस्थान हैं – आईआईटी रुड़की, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटी( कालीकट और आईआईटी खड़गपुर.

लॉ (कानून की पढाई) वाली कैटेगरी में- नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु पहले स्थान पर है और उसके बाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली और सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, पुणे आते है.

सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज, चेन्नई डेंटल कैटेगरी (दन्त चिकित्सा की श्रेणी) में शीर्ष क्रम पर है. इसके बाद मणिपाल कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज, मणिपाल और डॉ डी.वाई..पाटिल विद्यापीठ, पुणे क्रमश दूसरे और तीसरे नंबर पर है.

अंतिम श्रेणी में, यानी कि रिसर्च अथवा अनुसंधान में, तीन शीर्ष रैंक वाले संस्था आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी मद्रास और आईआईटी दिल्ली हैं.

इन संस्थानों को पांच मापदंडों के आधार पर रैंक किया जाता है – शिक्षण, सीखना-सिखाना (लर्निंग) एवं संसाधन, अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास, स्नातक स्तर के परिणाम, आउटरीच और समावेशिता तथा सहकर्मियों की धारना (पियर परसेप्शन).

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अगले साल से, एनआईआरएफ में एक और श्रेणी – ‘उद्यमिता’ (एन्त्रेप्रेंयूर्शिप) जोड़ी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में, किसी भी शिक्षा संस्थान की गुणवत्ता को आंकने के लिए सिर्फ दो पैमाने होने चाहिए – एनआईआरएफ रैंकिंग और मान्यता. यही कारण है कि मैं अधिकारियों से एनआईआरएफ में उद्यमिता को शामिल करने का आग्रह कर रहा हूं, ताकि यह एक समग्र मानदंड बन जाए.’

उन्होंने अधिकारियों से आने वाले वर्षों में स्कूलों की रैंकिंग पर काम शुरू करने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘हरेक माता-पिता को पता होना चाहिए कि वे अपने बच्चों को किस तरह के स्कूल में भेज रहे हैं.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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