नई दिल्ली: ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के मुद्दे पर सिर्फ़ छात्रों का विरोध ही नहीं हो रहा बल्कि अब ये मुद्दा राजनीतिक भी हो चला है. हालांकि, विरोध और राजनीति के बावजूद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी (आईआईटी) से लेकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) के निदेशकों का यही कहना है कि ये परीक्षाएं तय समय से होनी चाहिए.
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एनटीए के डीजी ने उन्हें जानकारी दी है कि जेईई के 8.58 लाख़ छात्रों में से 7.5 लाख़ छात्रों और नीट के 15.97 लाख़ छात्रों में से 10 लाख़ छात्रों ने पिछले 24 घंटे में अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिया है. इसी का हवाला देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘इससे साफ़ है कि छात्र चाहते हैं कि किसी कीमत पर परीक्षाएं कराई जाएं.’
लगातार NEET और JEE की परीक्षा को पोस्टपोन किए जाने को लेकर आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव ने दिप्रिंट से एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि अगर इन परीक्षाओं में देर होती है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
उनका मानना है कि देर होने पर लाख़ों विद्यार्थियों का अकादमिक सत्र बेकार चला जाएगा. उन्होंने कहा, ‘अभी परीक्षा होने पर हमें एक साल का कोर्स छह महीने में पूरा करना पड़ेगा, लेकिन परीक्षा टली तो पूरा सत्र बर्बाद हो जाएगा.’
ऐसी ही राय जताते हुए उत्तर प्रदेश स्थित आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफ़ेसर अभय करंदीकर ने व्हाट्सएप मैसेज के जरिए दिप्रिंट से कहा, ‘परीक्षाएं तय समय पर ही होनी चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘छात्रों की सुरक्षा के लिहाज़ से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने कई कदम उठाए हैं. एनटीए द्वारा उठाए गए अभूतपूर्व कदमों के बाद मुझे तो कोई दिक्कत नज़र नहीं आती.’ प्रोफ़ेसर करंदीकर का मानना है कि अगर परीक्षाएं स्थगित हुईं तो बच्चों को कष्ट और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा.
1 सितंबर से शुरू हो रही इन परीक्षाओं में मुश्किल से 4 दिन का समय बचा है लेकिन अभी भी इसे स्थगित कराने की मांग हो रही है. एनटीए द्वारा जारी किए गए पब्लिक नोटिस के मुताबिक इंजीनियरिंग में दाख़िले के लिए होने वाली जेईई (मेन) अप्रैल की परीक्षाएं 1-6 सितंबर और मेडिकल में प्रवेश के लिए होने वाली नीट यूजी 2020 की परीक्षा 13 सितंबर को होनी है.
सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुधवार को बुलाई गई ऑनलाइन मुलाकात में सात गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि अगर अभी परीक्षाएं होती हैं तो छात्रों को भारी मानसिक तनाव से गुज़रना पड़ेगा. चर्चा के दौरान इन मुख्यमंत्रियों ने मामले पर सामूहिक रूप से सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की भी बात की.
हालांकि, पहले दो बार स्थगित की जा चुकी इन परीक्षाओं को फ़िर से स्थगित किए जाने की मांग पर आईआईटी गांधीनगर के निदेशक प्रोफ़ेसर सुधीर के जैन ने ई-मेल पर दिप्रिंट से कहा, ‘इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस वैश्विक महामारी से जैसी परिस्थितियां पैदा हुई हैं उसकी वजह से छात्रों और परिजनों की चिंताओं को समझा जा सकता है. लेकिन हमें उन छात्रों के बारे में भी सोचना चाहिए जो सालों से इसकी तैयारी कर रहे हैं.’
प्रोफ़ेसर जैन का कहना है कि जब तक कोई प्रभावी वैक्सीन नहीं मिल जाती तब तक ये महामारी का हाल यही रहेगा. ऐसे में सबको अपने लक्ष्य की तरफ़ धीरे-धीरे कदम बढ़ाना चाहिए और इसी वजह से इन परीक्षाओं को समय से कराया जाना चाहिए. वहीं, परीक्षा कराने के सरकार के इस फ़ैसले को आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफ़ेसर टीजी सीतारमण का भी समर्थन हासिल है.
प्रोफ़ेसर सीतारमण ने भी ई-मेल पर ही दिप्रिंट से कहा, ‘जो अभी परीक्षा नहीं दे पाएंगे उनके पास छह महीने बाद परीक्षा देने का विकल्प होगा. परीक्षाएं कराने में देरी से छात्रों के साथ-साथ आईआईटी संस्थानों के लिए भी गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी और एक साल के तौर पर 2020 किसी काम का नहीं रह जाएगा.’
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को जेईई (मेन) और नीट अंडरग्रैजुएट परीक्षाओं को स्थगित करने से मना कर दिया था. 11 राज्य के 11 छात्रों द्वारा दाखिल की गई इससे जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों के बहुमूल्य समय को व्यर्थ नहीं किया जा सकता.
90 फीसदी छात्रों ने कसी कमर
याचिका में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा 3 जुलाई को जारी नोटिस को खारिज करने की मांग की गई थी. एनटीए द्वारा 3 जुलाई को जारी किए गए इस नोटिस में जेईई (मेन) अप्रैल 2020 और नीट अंडरग्रैजुएट की परीक्षाएं सितंबर में कराने की बात कही गई है.
इन परीक्षाओं को कराए जाने को लेकर आईआईआईटी मणिपुर के निदेशक एके दास ने फ़ोन पर बातचीत में दिप्रिंट से कहा, ‘नीट मेडिकल के लोगों के लिए है, अगर डरेंगे तो डॉक्टर कैसे बनेंगे.’
वह आगे कहते हैं, ‘मेरी ख़ुद की पत्नी डॉक्टर है. उनका भी यही मनाना है कि परीक्षा नहीं रुकनी चाहिए. परीक्षा रोकना कोई हल नहीं है.’ उन्होंने ये भी बताया कि उनके बेटे को ख़ुद नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर (एनएटीए) की परीक्षा देनी है और दावा किया कि उन्हें बातचीत में पता चला है कि 90% बच्चे परीक्षा देना चाहते हैं.
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