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Friday, 19 April, 2024
होमदेश'टिकटॉक' के कंपटीशन में स्वदेशी 'मित्रों' ने मचाई धूम, लांच के पहले ही महीने में 50 लाख हुए डाउनलोड्स

‘टिकटॉक’ के कंपटीशन में स्वदेशी ‘मित्रों’ ने मचाई धूम, लांच के पहले ही महीने में 50 लाख हुए डाउनलोड्स

मित्रों टीवी टिकटॉक जैसा दिखता और लगता है, और यूज़र्स को छोटे वीडियोज़ के लिए उसी तरह का प्लेटफॉर्म देता है. इसके लॉन्च का मक़सद भारत के सोशल मीडिया क्षेत्र में, विदेशी दबदबे को चुनौती देना है.

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नई दिल्ली: वीडियो सामग्री के लिए चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक का, एक आईआईटी ग्रेजुएट की ओर से ‘स्वदेशी’ जवाब, बड़ी सनसनी फैला रहा है, और लॉन्च के एक महीने के भीतर, इसके 50 लाख डाउनलोड्स हो गए हैं.

मित्रों टीवी टिकटॉक जैसा दिखता और लगता है, और यूज़र्स को छोटे वीडियोज़ के लिए उसी तरह का प्लेटफॉर्म देता है. एप के संस्थापक ने दिप्रिंट को बताया कि इसके लॉन्च का मक़सद भारत के सोशल मीडिया क्षेत्र में, विदेशी दबदबे को चुनौती देना है, और ये सुनिश्चित करना है कि नागरिकों का डेटा देश के अंदर ही रहे.

एप के बेंगुलूरू में रह रहे संस्थापक, जो आईआईटी रुड़की के ग्रेजुएट हैं, ने कहा कि, ‘मैं उन एप्स को पसंद नहीं करता जिनकी जड़ें भारत में नहीं हैं. भारतीयों का डेटा भारत में ही रहना चाहिए.’ उन्होंने अपनी पहचान छिपाने का फैसला किया, क्योंकि ये एप एक साइड प्रोजेक्ट था, जो उन्होंने एक बहु-राष्ट्रीय कम्पनी में काम करते हुए लॉन्च किया था.

संस्थापक ने आगे कहा,’अगर एप भारत में नहीं बनी है, तो आपको नहीं पता कि सीमा पार करने के बाद, डेटा कहा जाता है.’

संस्थापक के अनुसार, मित्रों टीवी को 3-4 महीने में बनाया गया. इसकी टीम में फिलहाल तीन लोग हैं, और वो सब अपने फुल टाइम जॉब के साथ ही, एप का काम भी देख रहे हैं. संस्थापक ने कहा कि एप की कामयाबी ने उन्हें हैरत में डाल दिया है.

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फाउण्डर ने बताया कि ‘इस एप के लिए उनके पास लम्बे प्लान्स थे, और वो धीरे धीरे आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन, भारत के लोगों की बदौलत, मुझे लगता है कि अब हमारे पास वो विकल्प नहीं है.’


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भारत में टिक टॉक

मित्रों टीवी का लॉन्च ऐसे समय हुआ है, जब चीनी कम्पनी बाइटडांस की प्रोडक्ट टिकटॉक, अपनी लोकप्रियता और कई विवादों के बीच, संतुलन बिठाने की कोशिश कर रही है.

पिछले साल कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में आरोप लगाया था, कि टिकटॉक अपना डेटा चीनी सरकार के साथ साझा करती है. कुछ दूसरे सांसदों ने भी यही चिंता जताई है. टिकटॉक ने इस आरोप का खण्डन किया है, और कहा है कि भारतीय यूज़र का इसका डेटा, सिंगापुर और अमेरिका में रखा गया है.

Graphic: Soham Sen | ThePrint

लेकिन ऐसा लगता है कि टिकटॉक ने इन चिंताओं का संज्ञान लिया है, और बताया जा रहा है कि वो अब भारत के अंदर, अपना डेटा स्टोरेज स्थापित करने की प्रक्रिया में है.

इस महीने, दो प्लेटफॉर्म्स के यूज़र्स के बीच चल रहे युद्ध के बीच, इस सोशल मीडिया दिग्गज को, यू-ट्यूब के सामग्री निर्माता के ग़ुस्साए ग्राहकों द्वारा चलाई जा रही मुहिम का भी, सामना करना पड़ रहा है.

ये युद्ध तब शुरू हुआ जब यू-ट्यूब ने, एक इनफ्लुएंसर कैरी मिनाटी के एक वीडियो को हटाने का फैसला किया, जिसमें उसने अपने टिकटॉक समकक्ष आमिर सिद्दीक़ी के खिलाफ, कथित रूप से अभद्र भाषा इस्तेमाल की थी. ये वीडियो सिद्दीक़ी के आरोपों के बाद आया था, कि यूट्यूब के इनफ्लुएंसर्स ने टिकटॉक सामग्री की चोरी की थी. सिद्दीक़ी का ये आरोप तब आया था जब एक यूट्यूब यूज़र एल्विश यादव ने, एक वीडियो में टिकटॉक इनफ्लुएंसर्स को ‘रोस्ट’ कर दिया था.

इंटरनेट के इस महान युद्ध में नेटिज़ंस ने, गूगल प्ले स्टोर पर टिकटॉक के खिलाफ़ 40 लाख रिव्यूज़ की बारिश कर दी, जिनमें अधिकतर निगेटिव थे. इस मुहिम के नतीजे में टिकटॉक की रेटिंग, जैसे कि एप में दिखता है, 4.5 स्टार्स (अधिकतम 5 स्टार्स) से गिरकर 1.3 आ गई, जिसके बाद गूगल नुक़सान की भरपाई के लिए सामने आया.

टिकटॉक का इस्तेमाल करते हुए पोर्नोग्राफी सामग्री को आगे बढ़ाने, और इसके प्लेटफॉर्म पर जानवरों के साथ पर क्रूरता दिखाने वाले वीडियोज़ पर भी चिंताएं ज़ाहिर की गईं, जिसकी वजह से पिछले साल, थोड़े समय के लिए इसपर पाबंदी भी लगाई गई.

लेकिन टिकटॉक भारत में ख़ूब फलता-फूलता दिख रहा है, जहां इसके 20 करोड़ यूज़र्स हैं, और इसका शुमार सबसे अधिक डाउनलोड होने वाले एप्स में होता है.

इसके डाउनलोड्स पर उस अभियान का भी असर नहीं पड़ा, जिसमें नेटिज़ंस के बीच यूट्यूब-टिकटॉक युद्ध छिड़ गया था, जिसमें एक हैशटैग आंदोलन भी शामिल था, जिसमें एप पर पाबंदी की मांग की गई थी, और लोकप्रिय यू-ट्यूबर्स ऐसे वीडियो बना रहे थे, जिनमें उन्हें बहुत सारे फोन्स से टिकटॉक एप को हटाते हुए देखा जा सकता था.

सेंसर टावर, जो एप इंडस्ट्री का विश्लेषण करता है, उसके अनुमान दिखाते हैं कि 8 से 15 मई के बीच भारत में, टिकटॉक को 59 लाख बार डाउनलोड किया गया (गूगल प्ले और एप्पल एप स्टोर दोनों के डाउनलोड्स).

16 मई से 23 मई के बीच, जब टिकटॉक के खिलाफ मुहिम अपने चरम पर थी, तब कुल डाउनलोड्स की संख्या 59.4 दर्ज की गई थी.


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‘जियो प्रभाव’

इसमें कोई शक नहीं है कि मित्रों टीवी की शुरूआत आशाजनक रही है. गुड़गांव स्थित एक विश्लेषक और सत्यापित ट्विटर यूज़र @deepakabbot ने एक स्क्रीन शॉट साझा किया, मित्रों टीवी 20 मई को थोड़ी देर के लिए, गूगल प्ले स्टोर एप रैंकिंग में, टिकटॉक से आगे निकल गया था.

मित्रों टीवी के संस्थापक द्वारा पेश की गई संख्या के हिसाब से, एप के पास फिलहाल 35 से 40 लाख एक्टिव यूज़र्स हैं. संस्थापक ने कहा कि ‘जियो प्रभाव’ की बदौलत, अधिकतर यूज़र्स टियर 2 और टियर 3 इलाक़ों से हैं, जहां से टिकटॉक को भी अपनी लोकप्रियता मिली है.

‘जियो प्रभाव’ एक ऐसा वाक्यांश है, जिसके ज़रिए पूरे भारत में इंटरनेट डेटा में हुए विस्तार को व्यक्त किया जाता है. डेटा का ये विस्तार टेलिकॉम फर्म रिलायंस जियो द्वारा मुहैया कराए जा रहे सस्ते डेटा (शुरू में फ्री) की बदौलत हुआ है.

संस्थापक ने बताया कि यूज़र्स हासिल करने के लिए, टीम को एप की मार्केटिंग पर कोई पैसा ख़र्च नहीं करना पड़ा, और इसे ये फ़ौरी कामयाबी ‘ज़ुबानी प्रचार’ से मिली है.

लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस एप का इंटरफेस, बहुत कुछ टिकटॉक के इंटरफेस जैसा ही है, जिसे कॉपीराइट का उल्लंघन क़रार दिया जा सकता है.

A screenshot from a TikTok video

जब दिप्रिंट ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर क़ानून एक्सपर्ट पवन दुग्गल को, दोनों एप्स के स्क्रीनशॉट्स भेजकर कॉपीराइट उल्लंघन की स्थिति आंकने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा कि इसकी ‘संभावना है कि पुराना एप टिकटॉक, नए एप मित्रों टीवी को चुनौती दे सकता है.’

A screenshot of the MitronTV app

उन्होंने आगे कहा,’लेकिन टिकटॉक को दिखाना पड़ेगा कि नया एप मित्रों टीवी, उसके फीचर्स, आर्किटेक्चर और यूज़र इंटरफेस की विशेषताओं की हू-बहू नक़ल कर रहा है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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