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Sunday, 15 September, 2024
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IHC थिएटर फेस्टिवल 2024 का आगाज़ 20 सितंबर से, इस साल 12 नाटकों का होगा मंचन

‘इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) थिएटर फेस्टिवल’ का हर साल आयोजन किया जाता है. दस दिन तक चलने वाले नाट्य महोत्सव की शुरुआत कवि-उपन्यासकार जेरी पिंटो द्वारा लिखित और निर्देशित 'ए लाइफ इन पोएट्री' से होगी.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में 20 सितंबर से शुरू होने वाले ‘‘इंडिया हैबिटेट सेंटर थिएटर फेस्टिवल’’ में 12 नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी.

इस साल फेस्टिवल 20 सितंबर से 29 सितंबर 2024 तक जारी रहेगा.

‘इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) थिएटर फेस्टिवल’ का हर साल आयोजन किया जाता है. दस दिन तक चलने वाले नाट्य महोत्सव की शुरुआत कवि-उपन्यासकार जेरी पिंटो द्वारा लिखित और निर्देशित ‘ए लाइफ इन पोएट्री’ से होगी.

आईएचसी थिएटर फेस्टिवल में मानव कौल, आकर्ष खुराना, नवीन किशोर और मनीष वर्मा सहित नाटक-कला के दिग्गज नाटक प्रस्तुत करेंगे. यह नाट्य महोत्सव रचनात्मक ऊर्जा का उत्सव है, जो लेखक, अभिनेता, निर्देशक, कलाकार, कविता, गद्य, रचनाकार, अतीत और वर्तमान के बीच की सीमाओं को मिटा देता है.

नवीन किशोर ‘मदर म्यूज क्विंटेट’ को नाटक के तौर पर प्रस्तुत करेंगे वहीं, आकर्ष खुराना की ‘अक्वारियस प्रोडक्शंस’ अपने 80वें प्रोडक्शन ‘दिस टाइम’ के जरिये अपनी नाट्य-कला की यात्रा प्रस्तुत करेगी, जिसमें समय बीतने, पुरानी यादों की अच्छाई और बुराई सहित अन्य विषयों को दर्शाया जाएगा.

नाट्य महोत्सव में 20 सितंबर को विजय तेंदुलकर के प्रसिद्ध नाटक ‘घासीराम कोतवाल’ का फिल्म रूपांतरण भी प्रदर्शित किया जाएगा.

आईएचसी थिएटर महोत्सव का समापन 29 सितंबर को विक्टर थौदम की ‘एबोरिजिनल क्राई’ प्रस्तुति के साथ होगा.

कलगिटुरा ग्रामीण महाराष्ट्र की लोक परंपरा और माहौल को जीवंत करता है, जबकि मनीष वर्मा की ब्लैक कॉमेडी जंप भीड़-भाड़ वाले शहर में शहरी अलगाव और जीवन के अकेलेपन को उजागर करती है.

मानव कौल का त्रासदी एक मां की मृत्यु के दुःख और पछतावे की मार्मिक अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा और पांडिचेरी का आदिशक्ति एक बार फिर उर्मिला के साथ नए क्षेत्र की खोज करेगा, जिसमें समकालीन प्रासंगिकता के जटिल नैतिक और लिंग-संबंधी मुद्दों को समझने के लिए एक प्राचीन कहानी का उपयोग किया गया है.

इंडिया हैबिटेट सेंटर के हैबिटेट वर्ल्ड की क्रिएटिव हेड प्रोग्राम्स सुश्री विद्युन सिंह ने कहा, ‘‘हमें अपने वार्षिक थिएटर फेस्टिवल पर गर्व है, जो भारत में विभिन्न शैलियों और भाषाओं में थिएटर का एक दिलचस्प मिश्रण लाता है. अखिल भारतीय थिएटर कलाकारों के लिए एक राष्ट्रीय मंच बनाने का हमारा दृष्टिकोण फलदायी हो रहा है और नए दर्शक और जागरूकता पैदा कर रहा है. इस साल की लाइन-अप में नाटकों और कहानियों की एक शानदार सीरीज़ शामिल है.’’

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