नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने भारत के 15 राज्यों में पैर पसार लिया है वहीं इससे 131 लोग संक्रमित हैं जबकि तीन लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए एक ओर जहां महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी ऑफिसों को भी सात दिन के लिए बंद कर दिया गया है. वहीं अब सरकार निजी लैब के दरवाजे भी कोविड-19 की जांच के लिए खोल रही है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने सभी निजी लेबोरिटीज़ से गुजारिश की है कि वह आगे आएं और कोविड-19 की जांच मुफ्त में करें.
यही नहीं भार्गव ने यह भी कहा कि हमलोगों ने एनएबीएल से मान्यता प्राप्त निजी लेबोरेट्रीज को भी कोविड 19 की जांच के लिए आगे आने की गुजारिश की है.
भागर्व ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एनबीएल से मान्यता प्राप्त निजी लेबोरिट्रीज़ जल्द ही ऑपरेशनल होंगी और लोगों की कोविड-19 की जांच मुफ्त में की जा सकेगी.
आईएमआर के महानिदेशक ने यह भी कहा कि देश में 2 उच्च तकनीक से सुसज्जित प्रणालियों पर भी काम कर रहे हैं जो तेजी से परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाएं हैं. इनका संचालन 2 स्थानों पर किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इस प्रयोगशालाओं में प्रतिदिन 1400 नमूनों का परीक्षण किया जा सकेगा. इन प्रयोगशालाओं को इस सप्ताह के अंत तक शुरू कर देंगे. उन्होंने बताया कि देश में फिलहाल 72 आईसीएमआर लेबोरेट्रीज़ काम कर रही हैं. इस महीने के अंत तक 49 और लेबोरेट्रीज में परीक्षण का काम शुरू हो जाएगा.
बता दें कि फिलहाल डीआरडीओ और सरकारी मेडिकल डॉलेज और डीबीटी लेबोरेट्रीज से भी जुड़े हुए हैं. भारत में कोरोनावायरस की स्टेज 2 है. इसे यहीं नियंत्रित कर लिए जाने के लिए सरकार पूरी कोशिश में जुटी हुई है.
इस दौरान भार्गव ने यह भी कहा कि ऐसे मरीज जिनमें अभी लक्षण न हों लेकिन जिन्होंने बीते 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय उड़ान ली हो उनमें अगर लक्षण नजर आएं तो उनकी जांच की जानी चाहिए.
आईसीएमआर में महामारी एवं संचारी रोग के प्रमुख रमन आर. गंगाखेडकर ने कहा कि जांच क्षमता कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि 52 लैब की क्षमता के मुताबिक भारत वर्तमान में प्रतिदिन दस हजार जांच कर सकता है.
उन्होंने कहा, ‘प्रतिदिन करीब 600 नमूने की जांच की जा रही है.’
उन्होंने कहा कि फिलहाल 60 हजार जांच के उपकरण उपलब्ध हैं और अतिरिक्त दो लाख किट के आदेश दिए गए हैं.
54 हजार लोगों को रखा जा रहा है सामुदायिक निगरानी में.हर्षवर्द्धन
सरकार ने कोरोना वायरस से निबटने के लिए देश भर में डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल कर्मियों के प्रयासों की सराहना करते हुए मंगलवार को कहा कि भारत में करीब 54 हजार लोगों को सामुदायिक निगरानी में रखा जा रहा है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘वायरस से प्रभावित लोगों के उपचार के लिए उनसे एक मीटर की दूरी से संपर्क करने की आवश्यकता के बीच, ऐसे रोगियों के इलाज का जोखिम उठाने के लिए मैं डॉक्टरों एवं पैरा मेडिकल कर्मियों की सराहना करता हूं जो ईमानदारी एवं प्रतिबद्धता से काम कर रहे हैं.’’
चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल कर्मियों की स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा की गयी सराहना का सदस्यों ने मेजें थपथपा कर समर्थन किया. बाद में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने भी पूरक प्रश्न पूछते हुए इनके प्रयासों की सराहना की.
हर्षवर्द्धन ने सांसदों से अनुरोध किया कि वे कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों के लिए अलग से बनायी गयी सुविधाओं का अपने क्षेत्रों में मुआयना कर सरकार को अपने सुझाव दें ताकि इन सुविधाओं को बेहतर बनाने में मदद मिल सके.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश भर में कुल 54 हजार लोगों को सामुदायिक निगरानी में रखा जा रहा है तथा लोगों को पृथक सुविधा में रखे जाने के दौरान स्वास्थ्य कर्मी उनसे संपर्क बनाये रखते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के रोगियों के उपचार में रेट्रोवायरल औषधियों के उपयोग के बारे में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक दुनिया भर के वैज्ञानिकों से संपर्क बनाए हुए हैं.
वर्तमान जांच प्रोटोकॉल के मुताबिक कोरोना वायरस के अधिक जोखिम वाले देशों की यात्रा करने वाले लोगों और पॉजिटिव पाए गए लोगों के संपर्क में आने वालों को 14 दिनों के लिए पृथक वार्ड में रखा जा रहा है और जिन लोगों में लक्षण दिख रहे हैं उनकी जांच की जा रही है.