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Sunday, 29 September, 2024
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आईसीएमआर-एनआईवी ने मिलकर बनाया स्वदेशी एंटीबॉडी टेस्ट किट ‘कोविड कवच एलिसा’

आईसीएमआर ने ज़ायडल कैडिला के साथ इस किट के व्यापक उत्पादन के लिए हाथ मिलाया है. व्यापक उत्पादन के लिए इस तकनीक को ज़ायडल कैडिला को दे दिया गया है.

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नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे ने मिलकर टेस्टिंग के मामले में बड़ी सफलता पाई है. प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के मुताबिक दोनों ने मिलकर आईजीजी एलिसा टेस्ट ‘कोविड कवच एलिसा’ को विकसित और प्रमाणित किया है. इसके जरिए
कोविड-19 के एंडीबॉडी की तलाश की जाएगी.

कोविड-19 अब तक 214 देशों में फ़ल चुका है. ज़्यादातर देश हर संभव प्रयास के बाद भी इस वायरस के प्रसार को फ़ैलने से रोकने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं. दुनिया भर में इससे जुड़े हर तरह के टेस्ट की मांग है. इलाज से जुड़ा ज़्यादातर सामान भारत में बाहर से मंगाया जा रहा है.

ऐसे में भारतीय वैज्ञानिक लगातार इस प्रयास में लगे हुए हैं कि वो कोविड-19 के कारक सार्स-कोव-2 से जुड़ा स्वदेशी इलाज विकसित कर लें. एनआईवी देश की सर्वोच्च लैबोरेट्री है जिसमें वॉयरोलॉजी से जुड़े रिसर्च की सारी उच्चतम सुविधाएं मौजूद हैं.

एनआईवी के निपुण वैज्ञानिकों की टीम भारत में लैबोरेट्री कंफर्म पेशेंट से सार्स-कोव-2 वायरस को अलग करने में सफल रही. इसकी वजह से सार्स-कोव-2 के स्वदेशी उपचार का रास्ता तैयार हुआ. हालांकि, सार्स-कोव-2 के मामले में आरटी-पीसीआर टेस्ट को सर्वोत्तम टेस्ट माना जाता है, किसी आबादी में कितने लोगों का सामना वायरस से हुआ है इसे समझने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट अहम है.

आईसीएमआर और एनआईवी के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से जुड़े एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए पूरी तरह से स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट को विकसित करने और मान्यता देने के लिए काफी मेहनत की है. इस टेस्ट को मुंबई के दो जगहों पर किया गया और ये काफी सफल बताया जा रहा है.


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बड़ी बात ये बताई जा रही है कि इसके सहारे 90 सैंपलों को एक साथ टेस्ट किया जा सकेगा और इसके नतीजे 2.5 घंटे में ही आ जाएंगे. एक और अहम बात ये है कि एलिसा आधारित टेस्ट ज़िला स्तर पर भी आसानी से किया जा सकता है क्योंकि ये वायरस को निष्क्रिय कर देता है.

इसमें आरटी-पीसीआर किट की तुलना में वॉयो-सेफ्टी और वॉयो-सिक्योरिटी की भी ज़रूरत नाम मात्र होती है. हाल ही में भारतीय बाज़ार में आए अन्य रैपिड टेस्ट किट की तुलना में इसकी सफलता के मौके ज़्यादा हैं. इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा, ‘एंटी बॉडी ढूंढने के लिए भारत में विकसित किया गया ये टेस्ट एक अहम भूमिका निभाएगा. इससे वायरस के संपर्क में आई आबादी की निगरानी में मदद मिलेगी.’

आईसीएमआर ने ज़ायडल कैडिला के साथ इस किट के व्यापक उत्पादन के लिए हाथ मिलाया है. व्यापक उत्पादन के लिए इस तकनीक को ज़ायडल कैडिला को दे दिया गया है. ज़ायडल कैडिला इनोवेशन आधारित एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी है.

कंपनी तेज़ी से सभी प्रक्रियाएं पूरी कर रही है ताकि ये टेस्ट किट जल्द से जल्द व्यापक तौर पर मुहैया कराई जा सके. इस टेस्ट किट को ‘कोविड कवच एलिसा’ का नाम दिया गया है और भारत सरकार द्वारा इसे बेहद कम समय में ‘मेक इन इंडिया’ का बेहतरीन उदाहरण बताया जा रहा है.

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