नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है वहीं इसे भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा को रोक दिया है साथ ही भारतीय कांसुलर को एक्सेस भी देने की बात कही है.
भारत के पक्ष में रहे 15 जज, कहा वियना कन्वेंशन का हुआ उल्लंघन
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में बुधवार शाम को अपना फैसला सुनाया. बता दें कि 15 न्यायाधीशों द्वारा सुनाए गए इस फैसले में भारत को 15:1 से जीत मिली है. भारत के पक्ष में 15 वोट पड़े जबकि पाकिस्तान के पक्ष में कुल एक वोट पड़ा. जजों ने माना है कि कुलभूषण मामले में पाकिस्तान ने न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया और वियना कन्वेंशन का उल्लघंन किया है. अदालत ने पाकिस्तान से यह भी कहा कि कुलभूषण के मामले में भारत को कांसुलर एक्सेस दिया जाए.
रीमा ओमर (अंतरराष्ट्रीय कानूनी सलाहकार) दक्षिण एशिया ने लिखा है कि योग्यता के आधार पर भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. जाधव के अधिकार और अधिसूचना की पुष्टि करते हुए कोर्ट ने पाकिस्तान को उसकी सजा और सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है.
भारत की कुछ मांगें भी खारिज
हालांकि, आईसीजे ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने, जाधव की रिहाई और उन्हें सुरक्षित भारत पहुंचाने की नई दिल्ली की कई मांगों को खारिज कर दिया. फिर भी आईसीजे का यह फैसला भारत के लिए बड़ी जीत है और पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है. कोर्ट ने भारत की अपील के खिलाफ पाकिस्तान की ज्यादातर आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया.
वकील हरीश साल्वे दे रहे थे दलील
संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय अदालत पीस पैलेस द हेग में अदालत के अध्यक्ष न्यायाधीश अब्दुल अहमद युसुफ ने फैसला सुनाया. न्यायाधीश अब्दुल यह फैसला भारतीय समयानुसार शाम 6.30 बजे सुनाया. भारतीय विदेश मंत्री ने विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इरान) दीपक मित्तल और नीदरलैंड में भारतीय राजदूत वेणु राजामणि के साथ एक टीम वहां मौजूद थे. बता दें कि भारत की तरफ से जाधव का केस वरिष्ठ भारत के वकील हरीश साल्वे लड़ रहे हैं.
रक्षामंत्री और सुषमा स्वराज ने किया फैसले का स्वागत
अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फैसले का स्वागत किया. वहीं एक के बाद एक ट्वीट कर सुषमा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे भारत के लिए बड़ी जीत बताया है. सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया कि मैं कुलभूषण जाधव केस को आईसीजे में ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करती हूं.
I wholeheartedly welcome the verdict of International Court of Justice in the case of Kulbhushan Jadhav. It is a great victory for India. /1
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) July 17, 2019
कब गिरफ्तार किए गए थे कुलभूषण
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव का पाकिस्तानी एजेंसियों ने तीन मार्च 2016 को ईरान से अपहरण कर लिया था जहां वह अपने व्यापार के सिलसिले में गए थे. पाकिस्तान ने जाधव को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था और उन्हें भारत का ‘जासूस’ बताया था. पाकिस्तान ने भारत को इसकी सूचना जाधव को उठाने के 22 दिनों के बाद 25 मार्च 2016 को एक संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से दी थी.
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक नियमों का पालन करते हुए उसी दिन जाधव से राजनयिक संपर्क की मांग की लेकिन उसकी अनुमति नहीं दी गई.
मुंबई के पोवाई क्षेत्र के रहने वाले जाधव (49) के मामले की सुनवाई सिविल अदालत के बजाय सैन्य अदालत में की गई, और एक अस्पष्ट सुनवाई के बाद 10 अप्रैल 2017 को उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई.
पाकिस्तान से जाधव को रिहा करने की अपीलों के बार-बार खारिज होने के बाद भारत ने इस संबंध में वाणिज्य दूतावास संबंधों पर वियना समझौते का खुला उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आठ मई 2017 को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
जाधव को जासूस कहने के पाकिस्तान के आरोप को बेबुनियद बताते हुए भारत ने वैश्विक अदालत में कहा कि जाधव की गिरफ्तारी के बहुत समय बाद तक इसकी सूचना नहीं दी गई और पाकिस्तान ने आरोपी को भी उसके अधिकार नहीं बताए.
भारत ने आईसीजे को बाद में बताया कि पाकिस्तान ने वियना समझौते का उल्लंघन करते हुए भारत के बार-बार आग्रह करने के बावजूद जाधव को राजनयिक संपर्क उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं दी.
भारत ने आईसीजे से कहा कि उसके जाधव को मौत की सजा दिए जाने की सूचना एक प्रेस विज्ञप्ति से मिली.
आईसीजे में अपनी याचिका में भारत ने जाधव को दी गई मौत की सजा को तत्काल रद्द करने और उसे रिहा करने की मांग की. भारत ने जोर देकर कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानून और वियना समझौते के नियमों का बेशर्मी से किया गया उल्लंघन है, जिसके तहत कैदी को विशिष्ट सिविल और राजनीतिक अधिकार दिए जाने का प्रावधान है.
भारत ने आईसीजे से पाकिस्तान सरकार को सैन्य अदालत का आदेश रद्द करने का निर्देश देने की मांग करने और ऐसा न किए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय कानून और समझौते के अधिकारों का उल्लंघन करने के कारण आईसीजे द्वारा उस आदेश को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की.