नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर बलिदान चिन्ह पर विवाद बढ़ता जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने बीसीसीआई से अपील करते हुए कहा है कि वह विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी से उनके दस्तानों पर बने सेना के चिन्ह को हटाने को कहें. समाचार एजेंसी एएनआई ने आईसीसी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अगर एमएस धोनी और बीसीसीआई आईसीसी को यह बताने में सफल रहता है कि बलिदान बैज का कोई राजनीतिक, धार्मिक और रेसियल संदेश नहीं है तो आईसीसी उनके बैज ग्लव्स लगे रहने देने की अनुमति दे सकता है.
आईसीसी विश्व कप-2019 में भारत के पहले मैच में धोनी को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विकेटकीपिंग दस्तानों पर भारतीय पैरा स्पेशल फोर्स का चिन्ह का इस्तेमाल करते देखा गया था. आईसीसी ने बीसीसीआई से कहा है कि वह धोनी के दस्तानों पर से यह चिन्ह हटवाए. इस मामले में बीसीसीआई कमीटी एडमिनिस्ट्रेटर प्रमुख विनोद राय ने कहा कि हमलोगों ने पहले ही धोनी के बलिदान चिन्ह वाले ग्लव्स पहने जाने को लेकर एक पत्र लिखा है. राय ने बताया कि इस मामले में वह मीटिंग के बाद आगे बात करेंगे.
आईसीसी के महाप्रबंधक, रणनीति समन्व्य, क्लेयर फरलोंग ने आईएएनएस से कहा, ‘हमने बीसीसीआई से इस चिन्ह को हटवाने की अपील की है.’ धोनी के दस्तानों पर ‘बलिदान ब्रिगेड’ का चिन्ह है. सिर्फ पैरामिल्रिटी कमांडो को ही यह चिन्ह धारण करने का अधिकार है.
Committee of Administrators (CoA) chief Vinod Rai: We have already written (to ICC to seek permission for MS Dhoni to wear 'Balidaan' insignia on his gloves), will speak more after the meeting (CoA meeting) pic.twitter.com/fMaQ2agbcV
— ANI (@ANI) June 7, 2019
धोनी को 2011 में पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद उपाधी मिली थी. धोनी ने 2015 में पैरा ब्रिगेड की ट्रेनिंग भी ली है. इस पर हालांकि सोशल मीडिया पर धोनी की काफी तारीफ हो रही है, लेकिन आईसीसी की सोच और नियम अलग हैं.
ICC Sources: If MS Dhoni and BCCI convince ICC that the "balidaan badge" does not have any political, religious, or racial message, ICC may consider the request pic.twitter.com/qRQDQwgr3j
— ANI (@ANI) June 7, 2019
आईसीसी के नियम के मुताबिक, ‘आईसीसी के कपड़ों या अन्य चीजों पर अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीति, धर्म या नस्लभेदी जैसी चीजों का संदेश नहीं होना चाहिए.’