नई दिल्ली: बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) आयुक्त, 1989 बैच के आईएएस अधिकारी इकबाल सिंह चहल का, अब हर ओर गुणगान हो रहा है, कि एक साल पहले कार्यभार संभालने के बाद, उन्होंने मुम्बई में कोविड-19 संकट को किस तरह संभाला है.
चहल को इस साल केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथों, वर्ष 2021 के ‘लोकमत महाराष्ट्रियन ऑफ दि इयर’ पुरस्कार से भी नवाज़ा गया, और एक अन्य केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘सही नज़रिए और संसाधनों के युक्तिसंगत इस्तेमाल’ के लिए उनकी सराहना की.
लेकिन, घटनाक्रम से वाक़िफ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, कि सिर्फ पांच साल पहले, 2016 में, उन्हें अनौपचारिक ढंग से, केंद्र सरकार को छोड़ने पर ‘मजबूर’ कर दिया गया था, और समय से पहले उन्हें उनके मूल महाराष्ट्र काडर वापस भेज दिया गया था, जबकि उनके केंद्रीय डेपुटेशन की अवधि पूरी होने में, तीन साल बाक़ी थे.
यूपीए सरकार में पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के नज़दीकी, जिनका ताल्लुक़ महाराष्ट्र से है, चहल ने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी), और संयुक्त सचिव की हैसियत से काम किया.
WCD मंत्रालय भेजे गए
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही, 2015 में चहल को कहीं कम प्रतिष्ठित महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्लूसीडी) मंत्रालय रवाना कर दिया गया, जहां अपने कार्यकाल के दौरान, तब की डब्लूसीडी मंत्री मेनका गांधी के साथ ‘मतभेदों’ के चलते, उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘गृह मंत्रालय में वो सभी केंद्र-शासित क्षेत्रों को देखते थे, जिसमें दिल्ली और अगमुट काडर भी शामिल था. इसे मंत्रालय में सबसे अहम पदों में से एक समझा जाता है और वो मंत्री के पीएस भी थे. लेकिन जब ये सरकार सत्ता में आई, तो उन वो वरिष्ठ अधिकारियों में से एक थे, जिन्हें गृह मंत्रालय से बाहर कर दिया गया’.
एक सूत्र ने, जो उस समय डब्लूसीडी मंत्रालय के मामलों से वाक़िफ थे, बताया कि डब्लूसीडी मंत्रालय में चहल के, तत्कालीन मंत्री मेनका गांधी के साथ ‘मतभेद’ पैदा हो गए.
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सूत्र ने बताया, ‘वो आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास योजना) के कार्यान्वयन को लेकर कुछ कराना चाहते थे, जिसके लिए मंत्री ने मना कर दिया था…उसके बाद वो बस निकल जाना चाहते थे’.
दिप्रिंट ने चहल और मेनका गांधी दोनों से, कॉल्स और लिखित संदेशों के ज़रिए, टिप्पणी लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन इस ख़बर के छपने तक, उनकी ओर से जवाब हासिल नहीं हुआ था. दिप्रिंट ने एमएचए तथा डीओपीटी से प्रतिक्रिया लेने के लिए, पीआईबी प्रवक्ता को भी एक ईमेल भेजा, लेकिन इस ख़बर के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला था.
ख़बरों के अनुसार, उन्हें उस समय जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया, जब वो किसी को सूचित किए बिना, 90 दिन की छुट्टी पर चले गए थे.
पहले अधिकारी ने कहा, ‘वो हमेशा एक बेहतरीन अधिकारी रहे हैं, लेकिन विशेष रूप से इस व्यवस्था में उनकी क़द्र नहीं की गई, क्योंकि उन्हें कांग्रेस सरकार के क़रीबी के तौर पर देखा गया’.
‘मंत्रियों के बहुत से ओएसडीज़ को इस समस्या का सामना करना पड़ता है…चूंकि उन्हें किसी मंत्री या सरकार का क़रीबी समझा जाने लगता है, इसलिए दूसरी किसी व्यवस्था में उनके लिए, अपने आप को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है’.
महाराष्ट्र में अहम विभाग संभाले
वापस महाराष्ट्र में, चहल को जल संसाधन और शहरी विकास के बेहद महत्वपूर्ण विभाग दिए गए, जिसके बाद उन्हें बीएमसी कमिश्नर नियुक्त कर दिया गया.
पहले आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘जिस समय वो वापस महाराष्ट्र गए, वहां एनडीए की सरकार थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने काम से, ख़ुद को अच्छा साबित कर दिया’.
दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता के साथ हाल ही में एक बातचीत में, चहल ने बताया कि उन्होंने आईएएस परीक्षा 1989 में पास कर ली थी, जब उनकी उम्र 22 साल से भी कम थी- जिससे वो इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने वाले, सबसे युवा उम्मीदवारों में से एक बन गए थे. चार बच्चों के पिता, जिनमें एक तिड़वां भी शामिल हैं, चहल पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव, अजीत सिंह चाथा के दामाद हैं.
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