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Thursday, 19 December, 2024
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‘मैं भारत का गौरव हूं’, द एलीफैंट व्हिस्परर्स की ऑस्कर विजेता गुनीत मोंगा ने 2010 में ये क्यों कहा था

इस महीने 95वें अकादमी अवॉर्ड्स में 'बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री' के लिए ऑस्कर जीतने वालीं गुनीत मोंगा ने 2010 में नॉमिनेट होने के दौरान अमेरिका पहुंचने के लिए हर संभव व्यक्ति से गुहार लगाई थी.

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नई दिल्ली: इस साल 95वें अकादमी अवॉर्ड्स में शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में डायरेक्टर गुनीत मोंगा की भारतीय फिल्म ‘द एलीफैंट व्हिस्परर्स’ ने ‘बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री’ श्रेणी में ऑस्कर का खिताब अपने नाम कर इतिहास रच दिया है, जिसके बाद से हर तरफ इस फिल्म और इसकी कहानी पर बात हो रही है.

लेकिन ये पहली बार नहीं जब वे ऑस्कर के लिए गईं हों इससे पहले साल 2010 में भी ये कहानी शुरू हुई थी, जो कि संघर्ष भरी रही थी. हाल ही में एक इंटरव्यू में गुनीत मोंगा ने 2010 में ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म कवि (2009) के लिए अमेरिका में होने वाली सेरेमनी में पहुंचने के अपने मज़ेदार किस्से को साझा किया.

उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने हर एक अमीर व्यक्ति, नामी-गिरामी शख्स को पत्र लिखे, जिसमें रिचर्ड ब्रैंसन, रतन टाटा आदि शामिल हैं, लेकिन किसी ने उन्हें जवाब नहीं दिया. मोंगा को उस समय अमेरिका जाने के लिए टिकट्स और स्पॉन्सरशिप की ज़रूरत थी.

यहां तक कि उन्होंने भारत का पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को भी पत्र लिखा, जहां से उन्हें जवाब तो आ गया वे उनसे मिलने भी गई, लेकिन वहां भी बात नहीं बन पाई.

कहते हैं न कि जब एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा खुलता है. उनकी मदद के लिए महाराष्ट्र के 17वें मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव पृथ्वीराज चव्हाण आगे आए.

अपनी कहानी बयां करते हुए मोंगा ने कहा, ”मैंने उन ईमेल्स में उन्हें लिखा कि मैं भारत का गौरव हूं, मैं ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई हूं. मेरी शॉर्ट फिल्म को ऑस्कर में चुना गया है. मेरी मदद कीजिए.”

आगे का सफर

मोंगा के सपनों को पंख तब लगने लगे, जब उन्हें भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का जवाब आया और वे राष्ट्रपति भवन में गईं.

उन्होंने कहा, ”मैंने उनके ई-मेल आईडी, उनके पीआरओ के नंबर निकाले और सभी को मेल किया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया.”

इस पर ठहाका लगाते हुए मोंगा ने कहा, ”प्रतिभा पाटिल ने मुझसे पूछा आपको क्या चाहिए.”

मोंगा ने बताया कि उन्होंने कभी राष्ट्रपति भवन नहीं देखा था, जब पहली बार वे वहां गई तो उन्होंने पाटिल से अपनी फिल्म को देखने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, ”मैंने उनसे रिक्वेस्ट की आप मेरी फिल्म देखिए और मुझे एक लेटर लिख कर दे दीजिए, जिसके जरिए मैं एयरलाइंस से टिकट के लिए बात कर सकूंगी, लेकिन राष्ट्रपति बजट सत्र में जाने के कारण व्यस्त थीं.”

इस पर मोंगा थोड़ा उदास हो गई और कहने लगीं, ”मैं इतनी दूर से आई हूं, और आप मेरी फिल्म भी नहीं देखेंगी.”

उन्हें अपनी उम्मीदों पर अब गुस्सा आने लगा था, क्योंकि उन्हें लगा था ऑस्कर में नॉमिनेट हो जाने के बाद दुनिया उन्हें बहुत सम्मान की नज़रों से देखेगी…लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई थी.

उनके सपनों को साकार करने के लिए तत्कालीन विज्ञान और तकनीकी मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण वहां उन्हें मिले, ”उन्होंने मुझसे पूछा कि आप राष्ट्रपति भवन में इतना निराश क्यों खड़ी हैं.”

मोंगा ने मंत्री से कहा, ”मैंने एक शॉर्ट फिल्म बनाई है. मैं भारत का गौरव हूं. मेरी फिल्म नॉमिनेट हुई है. मुझे ऑस्कर सैरेमनी के लिए किसी भी हालत में अमेरिका पहुंचना है. समारोह में केवल तीन हफ्ते बाकी थे, प्रेशर बढ़ रहा था और मेरी उम्मीद कम हो रही थी,वीज़ा और टिकट का कुछ अता-पता नहीं था.”

इस पर मंत्री ने उन्हें शाम में अपने घर आने और फिल्म दिखाने का न्यौता दिया. बातचीत के बीच में उन्होंने (मोंगा) मंत्री से कहा, ”मैं सच में वहां जाना चाहती हूं. मैं चाहती हूं आप मेरी टिकट कराएं और मुझे स्पॉन्सरशिप दीजिए.”

उन्होंने आगे कहा, ”मैं, हमारे फर्स्ट एसोसिएट डायरेक्टर विकास और शॉर्ट फिल्म का मुख्य किरदार कवि हम तीन लोगों को अमेरिका जाना था.”

इस बीत, मंत्री ने उनसे पूछा कि क्या आपने अपने पेरेंट्स को फोन किया, इस पर गुनीत ने कहा, ”हां किया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया”.

इसके बाद, आखिरकार मंत्री के फोन करने पर एयर इंडिया ने तीनों की टिकट का अरेंजमेंट करवा दिया. इसके बाद चीज़े सही होने लगीं और अमेरिकन एंबेसी को कॉल करने के बाद उन्हें वीज़ा भी मिल गया और वे ऑस्कर सेरेमनी में शामिल हुईं.

मोंगा की ज़िंदगी की पहली बड़ी इंटरनेशनल फिल्म कवि (2009) थी, ये फिल्म भारत में बॉन्डेड लेबर पर बनी थी, जिसे ग्रेग हेल्वे ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म को 2010 में सर्वश्रेष्ठ लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में स्टूडेंट अकादमी अवार्ड जीता था.

भारतीय फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा सिख्या एंटरटेनमेंट की संस्थापक हैं, जो एक बुटीक फिल्म प्रोडक्शन हाउस है, जिसने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर – पार्ट 1’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर – पार्ट 2’, ‘पेडलर्स’, ‘द लंचबॉक्स’, ‘मसान’, ‘ज़ुबान’ और ‘पगलेट’ जैसी प्रसिद्ध फिल्मों का निर्माण किया है.

2018 में, मोंगा अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज में शामिल होने वाले भारत के पहले निर्माताओं में से एक थीं. उन्होंने पीरियड्स पर एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में ”एंड ऑफ सेंटेंस”, जिसने बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म के लिए 2019 में ऑस्कर अवॉर्ड जीता था. 2021 में, गुनीत मोंगा को फ्रांसीसी सरकार द्वारा शेवेलियर डैन ल ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस से सम्मानित किया गया था.

गुनीत ने इस महीने 95वें ऑस्कर अकादमी अवार्ड्स में शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में भारतीय दंपति बोम्मन और बेल्ली के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ डॉक्यूमेंट्री ने पुरस्कार जीता, जिसकी निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस हैं. इस फिल्म में कट्टूनायकन्न समुदाय की जीवन शैली से जुड़े तमाम पहलुओं को बेहद खूबसूरती के साथ फिल्माया गया है.

बोम्मन और बेल्ली को मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व में कुछ साल पहले हाथी का एक बच्चा मिला था जिसकी हालत बेहद खराब थी. रिज़र्व में काम करने वाले दूसरे लोगों का मानना था कि हाथी के बच्चे को बचाना और नयी ज़िंदगी देना बहुत मुश्किल था, लेकिन बोम्मन हाथी के इस बच्चे को बचाकर अपने घर ले गये जहां उन्होंने और उनकी पत्नी ने उसका ध्यान रखना शुरू किया. बोम्मन और बेल्ली ने इसका नाम रघु रखा.इसके कुछ समय बाद बेल्ली को हाथी के एक अन्य बच्चे की ज़िम्मेदारी मिली जो एक मादा हाथी थी. इस डॉक्यूमेंट्री में बोम्मन और बेल्ली रघु से अपने बच्चे की तरह बात करते नज़र आते हैं.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हाथी के दोनों केयरटेकर बमन और बेला को सम्मानित किया है और इनाम में 1 लाख रुपए दिए हैं.

मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु के मुदुमलाई और अन्नामलाई हाथी शिविरों में सभी 91 महावतों और कांवड़ियों को एक-एक लाख रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया है. राशि का वितरण मुख्यमंत्री जन राहत कोष से किया जाएगा. स्टालिन ने महावतों और कांवड़ियों के लिए घरों के निर्माण के लिए 9.10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की भी घोषणा की है.

बता दें कि इस साल 95वें अकादमी अवॉर्ड फंक्शन के लिए बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण बतौर प्रजेंटर पहुंची थीं. फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ के अलावा एसएस राजामौली की फिल्म ‘आरआरआर’ के हिट सॉन्ग ‘नाटू नाटू’ को ऑरिजनल सॉन्ग कैटेगरी में ऑस्कर मिला है.


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