नई दिल्ली: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले हफ्ते संसद को सूचित किया कि उनके मंत्रालय ने तीन नए रेल मार्गों- उत्तर-दक्षिण गलियारा, पूर्व-पश्चिम उप-गलियारा, पूर्वी तट गलियारा – तथा रेलवे की एक और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर वाली परियोजना हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट-डीपीआर) तैयार करने को अपनी मंजूरी दे दी है. इन परियोजनाओं पर अंतिम निर्णय डीपीआर और वित्तपोषण के विकल्पों (फाइनेंसिंग ऑप्शंस) के आधार पर लिया जाएगा.
हालांकि, इस कदम के पीछे की उस कहानी के बारे में काफी कम लोगों की पता है जो शासन कार्य के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के आधार पर मंत्रालयों और विभागों के बीच बढ़ते तालमेल को दर्शाती है.
रेल मंत्रालय ने पहले इन तीन गलियारों (कोर्रिडोर्स) के प्रस्तावित संरेखण (एलाइनमेंट) – जो इसके अपने सलाहकारों द्वारा एक मानक प्रक्रिया के माध्यम से विकसित की गयी थी – की मैपिंग की थी. फिर इसने देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए शुरू की गई 100 लाख करोड़ रुपये की परियोजना, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी), के आधार पर उसी एलाइनमेंट फिर से मैपिंग की.
और परिणाम एकदम अलग थे.
एनएमपी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जिओग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम – जीआईएस) मानचित्र पर देश के सभी बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स की सुविधाओं का विवरण मैप किया है. साथ ही, इसमें उन जंगल / आवास / अन्य संपत्तियों के डेटा शामिल भी हैं, जिनसे वे गुजर रहे हैं.
जब पहले के एलाइनमेंट को एनएमपी पर सुपर-इम्पोज किया गया, तो यह पाया गया कि मूल एलाइनमेंट कई सारे वन, खनन क्षेत्रों और औद्योगिक पार्कों से होकर गुजर रहा था. इसका मतलब होता लंबी चलने वाली और महंगी अनुमति की प्रक्रियाएं.
इससे बचने के लिए, एलाइनमेंट को इस प्रकार संशोधित किया गया ताकि इसे इनमें से किसी भी बुनियादी संपत्ति से गुजरने से बचाते हुए न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित किया जा सके.
अब इस संशोधित एलाइनमेंट को ही रेल मंत्रालय द्वारा अपनाया गया है, और इसी का उपयोग डीपीआर बनाने में किया जाएगा. अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो ये कॉरिडोर समय और लागत को कम करने में काफी हद तक मदद करेंगे.
यह इस बात का सिर्फ एक उदाहरण है कि सितंबर 2021 में शुरू किया गया जीआईएस-बेस्ड गति शक्ति मास्टर प्लान किस प्रकार बुनियादी विकास से जुड़े मंत्रालयों को अपनी परियोजनाओं के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद कर रहा है.
यह जीआईएस मानचित्र पर देश के बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं/संपत्तियों का एक विहंगम दृश्य प्रदान करता है. वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड) में लॉजिस्टिक्स मामलों के विशेष सचिव अमृत लाल मीणा ने दिप्रिंट को बताया, ‘बस एक माउस के क्लिक के साथ मंत्रालय अपनी प्रस्तावित परियोजनाओं के साथ उसी मार्ग से गुजरने वाली अन्य परिसंपत्तियों के बारे में पता लगा सकते हैं और योजना वाले चरण में ही आगे आने वाली बाधाओं के सम्बन्ध में जांच-पड़ताल कर सकते हैं.‘ मीणा गति शक्ति मिशन के प्रमुख भी हैं.
यह भी पढ़ेंः आईआरसीटीसी का रेलवे की जमीन पर फूड प्लाजा खोलने की अनुमति के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह
एनएमपी के तहत किया गया काम
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक विभिन्न बुनियादी ढांचे से सम्बंधित मंत्रालयों के आंकड़ों की 600 से अधिक लेयर्स (परतों) को एनएमपी पर मैप किया जा चुका है.
उदाहरण के लिए, रेल मंत्रालय ने अपने पूरे रेल लाइन नेटवर्क, इसके चौड़ीकरण, विद्युतीकरण, गेज परिवर्तन, कार्गो टर्मिनलों के विकास सहित अन्य परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति को एनएमपी में मैप कर दिया है.
इसी तरह, राजमार्गों के मामले में, राष्ट्रीय राजमार्गों का संपूर्ण डेटाबेस, भारत माला ग्रीनफ़ील्ड कॉरिडोर, प्रस्तावित मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के अलावा राज्य राजमार्गों के नेटवर्क, जिला सड़कें आदि भी अब एनएमपी पर उपलब्ध हैं.
दूरसंचार मंत्रालय ने भी टावरों और ऑप्टिकल फाइबर के नेटवर्क सहित अपने सभी बुनियादी ढांचे की मैपिंग कर दी है.
लगभग सभी केंद्रीय बुनियादी ढांचा से सम्बंधित मंत्रालयों ने अपने डेटा लेयर्स की मैपिंग कर दी है इसमें वन, जल स्रोतों, खानों आदि के संबंध में डेटा भी शामिल है, जो विभिन्न परियोजनाओं के लिए योजना बनाने और इनके लिए मंजूरी प्राप्त करने हेतु आवश्यक होते हैं.
मीणा ने कहा, ‘आज तक देश में बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं/परिसंपत्तियों के बारे में व्यापक जानकारी के लिए एक भी समग्र मंच (प्लेटफार्म) उपलब्ध नहीं था. अब, हर मंत्रालय जानता है कि कौन सा मंत्रालय देश भर में किस परियोजना की योजना बना रहा है. कोई भी मंत्रालय किसी भी अन्य बुनियादी ढांचे से सम्बंधित मंत्रालय के आंकड़े को एक ही प्लेटफार्म पर तथा किसी भी संयोजन में देख सकता है.’
रेलवे, सड़क और दूरसंचार मंत्रालयों द्वारा पूर्व-व्यवहार्यता मूल्यांकन (प्री-फिजिबिलिटी असेसमेंट)और डीपीआर की योजना बनने के लिए पहले से ही एनएमपी पोर्टल का उपयोग किया जा रहा है.
इस मंत्रालयों को गुजरात स्थित भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग संस्थान और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (भास्कराचार्य नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जिओ -इन्फार्मेटिक्स), जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त एजेंसी है, द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है.
शासन कार्य में कैसे सहायता कर रहा है गति शक्ति एनएमपी?
इन्फ्रा एसेट्स (बुनियादी परिसंपत्तियों) का डिजिटल मास्टर प्लान न सिर्फ मंत्रालयों को अपनी परियोजनाओं को बेहतर तरीके से संरेखित (एलाइन) करने, और यदि आवश्यक हो तो कार्यान्वयन से पहले उन्हें संशोधित करने, की सुविधा प्रदान कर रहा है बल्कि यह सिंक्रोनाइज्ड प्लानिंग (पुरे तालमेल के साथ बनी योजना) में भी मदद कर रहा है.
उदाहरण के लिए, अभी भी निर्माणाधीन 1,300 किलोमीटर से अधिक दुरी वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को लें.
मीणा ने कहा, ‘अब, एनएमपी की पड़ताल के बाद, दूरसंचार मंत्रालय इसी मार्ग पर अपने ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क के करीब 1,300 किलोमीटर की लाइन को भी बिछा रहा है. इस उद्देश्य के लिए किसी भी अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण किए बिना, राजमार्ग के राईट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) के अंदर ही यह केबल लाइन बिछाई जा रही है. यह न केवल योजना की लागत काम करेगा बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मकसद के लिए किसी भी तरह की दुबारा खुदाई की आवश्यकता नहीं होगी.’
इसी तरह के एक अन्य उदाहरण में, पेट्रोलियम मंत्रालय ने अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे के साथ- साथ अपनी मुंद्रा-पानीपत क्रूड ऑयल पाइपलाइन परियोजना को एलाइन करने का सुझाव दिया है, क्योंकि सड़क मंत्रालय पहले ही इस मार्ग के लिए आरओडब्ल्यू खरीद चुका है.’
गति शक्ति मिशन प्रमुख ने कहा कि धरातल इसके नतीजे पर योजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन के संदर्भ में नजर आएंगे, उन्होंने कहा, ‘अब सिंक्रनाइज़ कार्यान्वयन शुरू हो गया है … अब सभी ने आपस में बात करना शुरू कर दिया है, यह पहले के उन अनुभवों के विपरीत है जहां परियोजनाओं के कार्यान्वयन में इस वजह से देरी हुई थी क्योंकि विभिन्न विभागों ने अपने-अपने साइलो (सीमित दायरे) में काम किया था.’
एनएमपी के शुभारंभ के बाद से गति शक्ति मिशन द्वारा लगभग 80 परियोजनाओं पर चर्चा की गई है और संबंधित मंत्रालयों को परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए आवश्यक उपाय करने हेतु सुझाव दिए गए हैं.
एनएमपी को विकसित होते देखने के बाद, कई राज्य भी इसे अपने-अपने नियोजन (प्लानिंग) के मकसद से उपयोगी पा रहे हैं और इस मॉडल की नकल कर रहे हैं. आठ राज्यों- आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश – ने अपने-अपने राज्य मास्टर प्लान विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
यह भी पढ़ेंः रेलवे ने ट्रेनों में चादर, कंबल उपलब्ध करने की सुविधा फिर से शुरू की
अगला बड़ा कदम? राजस्व मानचित्र अपडेट करना
गति शक्ति मिशन वर्तमान में अपनी-अपनी अगली बड़ी परियोजना पर काम कर रहा है जो गांवों के भू-राजस्व मानचित्रों को एनएमपी में लाने के लिए है. यह उन बुनियादी ढांचे से जुड़े मंत्रालयों के लिए बहुत मददगार साबित होगा, जो अपनी परियोजनाओं की योजना बनाते समय भूमि अधिग्रहण में काफी अधिक समय लगा देते हैं.
वर्तमान में, प्रत्येक राज्य सरकार ने अपने स्तर से भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण किया है. लेकिन उपयोगकर्ताओं द्वारा एक प्लेटफार्म पर देखने के लिए समेकित भूमि रिकॉर्ड डेटा कहीं भी उपलब्ध नहीं है.
तो फिर एनएमपी इस मामले में कैसे मदद करेगा? उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि किसी मंत्रालय को 50 किमी के दायरे में भूमि अधिग्रहण की योजना बनानी है, जिसके अंदर करीब 20 गांव आते हैं. एक बार जब भू-राजस्व मानचित्र एनएमपी पर अपडेट हो जाते हैं, तो उस क्षेत्र में किसी भी परियोजना की योजना बनाने वाला मंत्रालय उन बीस गांवों के बारे में सब कुछ देख सकेगा, जिनसे होकर यह परियोजना गुजरेगी.
मीणा ने कहा, ‘आपको तहसील कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं है. सम्बंधित मंत्रालय को पता रहेगा कि कितनी जमीन का अधिग्रहण करना है और किस विशेष एलाइनमेंट में क्या समस्याएं हैं…मान लीजिए इसके बीच में कोई वन्यजीव अभयारण्य पड़ रहा है, जहां से मंजूरी मिलना मुश्किल है. तो फिर आप योजना के स्तर पर ही आप अपने एलाइनमेंट को संशोधित करके इसे दरकिनार कर सकते हैं.’
गति शक्ति मिशन के लिए निगरानी तंत्र
गति शक्ति मिशन द्वारा किए गए कार्यों की देखरेख के लिए, सबसे ऊपर, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह है.
इसके बाद, समूह की सहायता के लिए नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) नामक एक निकाय है. इस एनपीजी में सदस्यों के रूप में सात बुनियादी ढांचा से सम्बंधित मंत्रालयों के योजना प्रभारी शामिल होते हैं. समन्वय के दृष्टिकोण से सभी परियोजना प्रस्तावों को देखने के लिए यह निकाय प्रत्येक पखवाड़े में एक बार बैठक करता है.
कोई भी मंत्रालय किसी भी परियोजना से संबंधित किसी भी मुद्दे को ऑनलाइन उठा सकता है. उपयोगकर्ता मंत्रालयों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर एनपीजी द्वारा विचार किया जाता है और फिर गहन विचार-विमर्श के बाद, वे संबंधित मंत्रालयों को अपने सुझाव देते हैं कि कैसे वे इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ हल कर सकते हैं.
एनएमपी को 500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली परियोजनाओं के मामलों में आने वाली समस्याओं के निराकरण और नियामक बाधाओं के समाधान में तेजी लाने के उद्देश्य से 2013 में स्थापित एक संस्थागत तंत्र परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) के साथ भी एकीकृत किया गया है.
मीणा ने कहा, ‘इस एकीकरण से मदद मिलेगी. उदाहरण के लिए, यदि एनएमपी पर कोई परियोजना है और कोई समस्या उसकी प्रगति में बाधक है, तो यह सूचना स्वतः रूप से पीएमजी पोर्टल पर दिखाई देगी, जहां इसका समुचित समाधान निकाला जाएगा.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेः रेलवे स्टेशनों के सौ मीटर के दायरे में फेरीवाले व्यापार नहीं करें : मुंबई पुलिस आयुक्त