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रविवार, 27 अप्रैल, 2025
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दक्षिण एशिया में कैसे कोविड-19 का ‘सबसे बड़ा’ स्त्रोत बन गया तब्लीगी जमात

मलेशिया से थाईलैंड, पाकिस्तान और अब भारत तक, तब्लीगी जमात ने कोरोनोवायरस को अपनी बड़ी-बड़ी सभाओं के जरिए जगह-जगह फैलाया है.

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नई दिल्ली: भारतीय मूल की एक गैर-राजनीतिक वैश्विक सुन्नी इस्लामिक तब्लीगी जमात, दक्षिण एशिया में नोवेल कोरोनवायरस के सबसे बड़े खतरे के तौर पर उभरी है. मार्च की शुरुआत में इसके द्वारा आयोजित एक धार्मिक मण्डली को इस क्षेत्र में कोविड-19 के सैकड़ों संक्रमित मामलों का स्रोत माना जा रहा है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भारतीय गृह मंत्रालय राष्ट्रीय राजधानी के निजामुद्दीन क्षेत्र में मार्च में हुए तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए करीब तीन हज़ार लोगों का पता लगाने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ संपर्क में है. मंत्रालय दक्षिण एशिया के देशों से आए लोगों जिसमें कोविड-19 का हॉटस्पॉट कहे जाने वाले मलेशिया के लोग भी थे उनका पता लगाने की कोशिश कर रहा है.

सूत्रों ने बताया कि काफी सारे लोगों की पहचान की जा चुकी है और अब उन लोगों की जांच और उन्हें आइशोलेट करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

इमिग्रेशन ब्यूरो के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बाहर से जो लोग आए थे उनकी सूची तैयार कर राज्य सरकारों को भेज दी गई है, साथ में उन लोगों के पते भी दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि यह एक संपूर्ण सूची है और इसमें तब्लीगी जमात के लोगों की पहचान नहीं है क्योंकि वे मिशनरी वीजा पर भारत नहीं आए थे.

निजामुद्दीन में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों में से करीब 10 लोग जिसमें तब्लीगी जमात के कश्मीर प्रमुख भी शामिल थे, भारत में इस बीमारी का शिकार हो गए हैं.

सरकार ने तेलंगाना में छह लोगों की मृत्यु दर्ज की है.

कश्मीर में पुलिस ने उन लोगों की सूची बनाई है जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे और लोगों से अपील की है कि वो आगे आकर ऐसे लोगों की पहचान करे.

कश्मीर में इस ऑपरेशन में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘जो लोग इस बैठक में शामिल हुए थे हम उनकी पहचान करने के लिए तेज़ी से काम कर रहे हैं.’


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अधिकारी ने बताया कि कश्मीर में सामने आए संक्रमित 27 मामलों में से करीब 18 लोग निजामुद्दीन के कार्यक्रम में शामिल हुए थे या उन लोगों के संपर्क में आए थे.

अंडमान और निकोबार द्वीप के भी छह लोगों को संक्रमित पाया गया है जो इस बैठक में शामिल हुए थे. तमिलनाडु से भी मामले सामने आ रहे हैं.

मलेशिया कनेक्शन

फरवरी में तब्लीगी समुदाय के 16 हजार लोग आसपास के क्षेत्र से मलेशिया की मस्जिद में आकर जमा हुए थे.

न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि विश्व के सबसे बड़े इस्लामिक मिशनरी आंदोलन के 16 हजार प्रतिभागियों ने आधे दर्जन देशों में कोरोनावायरस फैलाया है. जिससे ‘दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ा वायरल वेक्टर’ बना.

अखबार के मुताबिक ‘चार-दिवसीय सम्मेलन से जुड़े 620 से अधिक लोग मलेशिया में संक्रमित पाए गए, जिसने देश को महीने के अंत तक अपनी सीमाओं को सील करने पर ला खड़ा किया है. ब्रुनेई में 73 कोरोनोवायरस के अधिकांश मामले सभा से जुड़े हैं, जैसा कि थाईलैंड से भी 10 मामले हैं.’

18 मार्च को अल-जजीरा ने मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्री डॉ एडम बाबा के हवाले से रिपोर्ट किया कि मलेशिया के जो लोग इसमें शामिल हुए उनमें से आधे लोग ही जांच के लिए आगे आए हैं जो इस डर को बढ़ाता है कि मस्जिद से उत्पन्न खतरा दूरगामी हो सकता है.

पाकिस्तान में 35 लोगों ने रायविंड में अपने मुख्यालय में स्क्रीनिंग की जिसमें तब्लीगी जमात के 27 सदस्य थे. ये लोग रविवार को कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए.

तब्लीगी जमात क्या है

तब्लीगी जमात (विश्वास फैलाने के लिए सोसाइटी) एक गैर-राजनीतिक वैश्विक सुन्नी इस्लामिक मिशनरी आंदोलन है, जो मुसलमानों से प्राथमिक सुन्नी इस्लाम में लौटने का आग्रह करता है, विशेष रूप से अनुष्ठान, दृष्टिकोण और व्यक्तिगत व्यवहार के मामलों में.

1927 में भारत के मेवात में मुहम्मद इलियास अल-कांधलावी द्वारा इसे शुरू किया गया था. इसे ’20वीं शताब्दी के इस्लाम में सबसे प्रभावशाली धार्मिक आंदोलनों में से एक’ कहा जाता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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