गुरुग्राम: हरियाणा पुलिस की एक कांस्टेबल और राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC) की बस के कर्मचारियों के बीच विवाद ने दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच एक बड़े विवाद का रूप ले लिया, जिससे कई व्यस्त मार्गों पर यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. सोमवार को हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा कि इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है.
यह शनिवार को उस वक्त शुरू हुआ जब हरियाणा पुलिस की एक कांस्टेबल का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया जिसमें उन्होंने राजस्थान रोडवेज की बस में 50 रुपये का किराया देने से इनकार करते हुए दावा किया कि वे पुलिस में हैं, इसलिए उन्हें मुफ्त यात्रा करने का अधिकार है. वीडियो में कंडक्टर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि या तो वे जुर्माना भरें या बस से उतर जाएं.
इस घटना ने ट्रैफिक चालान विवाद को जन्म दिया. हरियाणा परिवहन विभाग के एक सूत्र के अनुसार, राजस्थान पुलिस ने हरियाणा की 87 रोडवेज बसों के चालान जारी किए, जिनमें से अधिकतर रविवार को जारी किए गए, जबकि हरियाणा ने शनिवार को 90 राजस्थान रोडवेज बसों पर जुर्माना लगाया था. राज्य रोडवेज बसों पर शायद ही कभी जुर्माना लगाया जाता है और ऐसा लगता है कि यह टारगेट करने जैसा था.
सूत्र के अनुसार, राजस्थान में नारनौल डिपो की चार और दादरी की एक बस सहित छह बसों को भी जब्त किया गया. सूत्र ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने रविवार को आरएसआरटीसी बसों के लिए कोई चालान जारी नहीं किया.
इस विवाद ने यात्रियों को प्रभावित किया, क्योंकि जयपुर, चूरू और राजस्थान के अन्य महत्वपूर्ण शहरों सहित कई लोकप्रिय मार्गों पर हरियाणा से बसें सोमवार को नहीं चलीं, क्योंकि बस चालकों ने बढ़े हुए चालान के मद्देनज़र बस चलाने से इनकार कर दिया.
हरियाणा जाने वाली या हरियाणा से होकर जाने वाली राजस्थान की बसों के लिए ऐसा नहीं लगता. राजस्थान राज्य सड़क निगम में उप महाप्रबंधक (प्रशासन) के निजी सहायक छोटे लाल मीणा ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी बसें हमेशा की तरह हरियाणा जा रही थीं.
सोमवार को हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने अंबाला में मीडियाकर्मियों को बताया कि मामला सुलझ गया है और हरियाणा रोडवेज की बसें राजस्थान के लिए अपनी सेवाएं फिर से शुरू कर दी हैं. बाद में राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने भी विज के हवाले से एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें कहा गया कि दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बातचीत के जरिए मामला सुलझ गया है.
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‘सोमवार को हरियाणा-राजस्थान मार्ग पर कोई बस नहीं’
ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष सरबत सिंह पुनिया ने बताया कि सोमवार को हरियाणा से राजस्थान के लिए कोई बस नहीं चली.
पुनिया ने दिप्रिंट से कहा, “वाहनों का चालान काटना आम बात है, लेकिन इस मामले में दोनों राज्यों की पुलिस ने बदले की भावना से चालान काटा, जिससे रोडवेज कर्मियों को नुकसान हुआ.”
पुनिया ने बताया कि ओवर-स्पीडिंग या गलत लेन में वाहन चलाने पर जुर्माना लगने पर बस चालक को जुर्माना भरना पड़ता है. अगर बस की क्षमता से अधिक यात्रियों के लिए जुर्माना लगाया जाता है, तो कंडक्टर को जुर्माना भरना पड़ता है.
पुनिया ने कहा, “हमारी बसों में 52 सीटों की क्षमता है, लेकिन कई बार बसों में 100 यात्री तक सवार होते हैं. इससे रोडवेज कर्मियों को कोई फायदा नहीं होता. ऐसा सिर्फ इसलिए होता है, क्योंकि बसों में यात्रा करने वाली आबादी के मुकाबले बसों की संख्या बहुत कम है.”
दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर विज ने पुष्टि की कि यह मुद्दा इतना बढ़ गया था कि राजस्थान जाने वाली बसें रद्द कर दी गईं. उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के प्रधान सचिव ने सोमवार को उन्हें बताया कि मुद्दा सुलझ गया है और बस सेवाएं फिर से शुरू कर दी गई हैं.
दिप्रिंट ने हरियाणा परिवहन विभाग के प्रधान सचिव नवदीप विर्क से भी कॉल और व्हाट्सएप मैसेज के ज़रिए संपर्क किया. उनका जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
कैसे शुरू हुआ मामला
शनिवार को वायरल हुए वीडियो में हरियाणा पुलिस की एक महिला कांस्टेबल वर्दी में चेहरा ढके हुए बस में बैठी हुई दिखाई दे रही हैं. कंडक्टर को उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर वे बस में यात्रा करना चाहती हैं, तो उन्हें टिकट लेना होगा, या फिर बस से उतरना होगा. कांस्टेबल इस बात पर अड़ी रहीं कि वे ऐसा नहीं करेंगी. बताया जा रहा है कि विवाद हरियाणा के धारूहेड़ा जाने वाली बस में हुआ था.
हरियाणा रोडवेज के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा पुलिस के कर्मियों को आधिकारिक ड्यूटी पर होने पर हरियाणा रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा करने की अनुमति है, लेकिन उन्हें उचित दस्तावेज़ साथ रखने होंगे.
“इसके लिए उन्हें अपने कार्यालय से एक प्राधिकरण पत्र साथ रखना होगा, जिसमें यह दर्शाया गया हो कि वे किस तरह की ड्यूटी पर हैं.”
उन्होंने कहा, “हालांकि, पुलिसकर्मी आमतौर पर अपने घर से कार्यालय जाते समय या वापस आते समय मुफ्त यात्रा करते हैं, जिसकी अनुमति नहीं है. हरियाणा रोडवेज के कंडक्टर आमतौर पर इसकी अनदेखी करते हैं और उन्हें बसों में मुफ्त यात्रा करने देते हैं. हालांकि, अन्य राज्यों की बसों के कंडक्टरों से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती.”
पुनिया ने कहा कि घटना के जवाब में हरियाणा पुलिस ने उसी दिन करीब 90 आरएसआरटीसी बसों के चालान जारी किए. कई इंटरनेट यूजर्स ने हरियाणा पुलिसकर्मियों द्वारा आरएसआरटीसी बसों के चालान जारी करने की तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें आरोप लगाया गया कि ऐसा लग रहा था कि वे इसे फोटो-ऑप के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे.
पुनिया के अनुसार, अगले दिन राजस्थान पुलिस ने 87 हरियाणा रोडवेज बसों के चालान जारी किए, जिसमें जब्त की गई रोडवेज बस पर औसतन 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. उन्होंने कहा कि आम तौर पर, लगभग 400 हरियाणा रोडवेज बसें रोजाना राजस्थान आती-जाती हैं.
राजस्थान के हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनू, सीकर, अलवर और भरतपुर जिले हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी और महेंद्रगढ़ जिलों के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं और दोनों तरफ से बड़ी संख्या में लोग राज्य भर में यात्रा करते हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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