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Friday, 17 May, 2024
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फोटोग्राफर को चोट ना लग जाए, कैसे हर स्टेशन पर उसका कैमरा संभालते रहे राजीव गांधी

फोटोग्राफर जगदीश यादव बताते हैं कि अगला स्टेशन आने से पहले जब ट्रेन धीमी हुई, और मैंने कूदने की कोशिश की तो राजीव जी ने मुझे गेट पर रोक लिया और कहा, ‘देखिए इस तरह आप ट्रेन से बार-बार कूद रहे हैं मुझे डर लगता है कि आपके हाथ-पैर में चोट लग सकती है.'

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नई दिल्ली: कहा जाता है कि एक इंसान अच्छा है या बुरा यह जानने के लिए यह मत देखिए कि वह क्या बोलता है, बल्कि यह देखिए कि वह क्या करता है, कैसे पेश आता है, उसका रवैया क्या है. राजीव गांधी के जन्मदिन पर उन्हें ऐसे ही जानने की कोशिश करते हैं. डिजिटल इंडिया, न्यू इंडिया, कम्प्यूटर क्रांति, दूरसंचार क्रांति उन्हीं के नाम जाती है, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा. अपने साफ-सुथरे काम और इमेज के कारण उन्हें मिस्टर क्लीन, नाइस मैन (अच्छा आदमी) कहा जाने लगा. हालांकि, बोफोर्स घोटाले के आरोप ने उनकी इमेज को धूल में मिला दिया. उन्हीं की नहीं बल्कि उस कांग्रेस की भी जिसने उनके नाम पर सबसे बड़ा जनादेश पाया था, वह चुनाव हार गई थी और तब से आज तक कभी भी पार्टी अकेले नहीं खड़ी हो पाई. हालांकि बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई थी.

बेशक राजीव ने राजनीतिक गलतियां की, उनके सर बदनामियां आईं, लेकिन एक इंसान के तौर पर वह संवेदनशील, फिक्रमंद अच्छे इंसान माने जाते हैं. फिलहाल हम बात करेंगे उनके निजी व्यक्तित्व से जुड़े एक किस्से को लेकर. जो उनके व्यक्तित्व से रूबरू कराने वाला है.

जब बोफोर्स मामले ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था, मिस्टर क्लीन की इमेज बेदाग न रही थी और वह चुनाव हार गए थे. आगे चुनाव के लिए देश के लोगों की नब्ज टटोलने वह उत्तर प्रदेश समेत हिंदी पट्टी के कई राज्यों की पैसेंजर ट्रेन से यात्रा करने में लग गए थे. यूपी के लिए जब वह यात्रा कर रहे थे तो उनके साथ देश के जाने-माने फोटोग्राफर जगदीश यादव साथ-साथ रहे.

एक फोटोग्राफर के तौर पर जगदीश यादव उनके साथ उस यात्रा के अनुभव को साझा करते हैं, जिसमें वह राजीव गांधी के साथ अपने आत्मीय बन चुके रिश्ते की बात करते हैं. राजीव गांधी का उन जैसे फोटोग्राफर के साथ व्यवहार उनके जेहन में हमेशा के लिए बस गया. वह इसे कभी न भूलने वाकया बताते हैं.

फोटोग्राफर की जेहन में बस गया राजीव गांधी का ‘अच्छा व्यवहार’

वह कहते हैं राजीव जी चुनाव हार गए थे. जनता दल के विश्वनाथ प्रताप यानी वीपी सिंह प्रधानमंत्री बन गये थे. गांधी ने इसके बाद उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों की पैसेंजर ट्रेन से यात्रा की. उत्तर प्रदेश की यात्रा के दौरान जगदीश यादव भी उन्हें कवर करने के लिए उनके साथ थे. उस समय आरक्षण आंदोलन से प्रदेश की राजनीति गर्म थी. राजीव गांधी एक पैसेंजर ट्रेन से जो कि हर प्लेटफार्म पर रुकती थी उत्तर प्रदेश और बिहार की यात्रा पर निकले थे. वह एक छोटे माइक सिस्टम के जरिए हर प्लेटफार्म पर पहले से इंतजार कर रहे लोगों को संबोधित करते थे. एक नेता का इस तरह आम आदमी की तरह जनता से सीधे कनेक्ट होना उस समय एक नई बात थी.

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यादव कहते हैं, ‘जब ट्रेन चलने को होती थी तो वह अपनी सीट पर आकर वापस बैठ जाते थे और उनके साथ मैं भी बैठ जाता था. अगले प्लेटफार्म के लिए जब ट्रेन रुकने को होती थी तो दो लोग दौड़ते थे आगे-आगे मैं और पीछे-पीछे राजीव गांधी. जगदीश बताते हैं कि उन दिनों वह आनंद बाजार ग्रुप में काम कर रहे थे और टेलीग्राफ को इन तस्वीरों की जरूरत थी.’


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एक फोटोग्राफर की जब वह फिक्र करने लगे

उन्होंने बताया कि जब ट्रेन धीमी होने लगती तभी मैं कूद जाता था ये क्रम चलता रहा. वह बताते हैं कि इस दौरान जो सबसे दिलचस्प बात हुई वह यह कि अगला स्टेशन आने से पहले जब ट्रेन धीमी हुई, और मैंने फिर कूदने की कोशिश की तो राजीव ने मुझे गेट पर रोक लिया और कहा, ‘देखिए इस तरह आप ट्रेन से बार-बार कूद रहे हैं मुझे भय लगता है कि आपके हाथ-पैर में चोट लग सकती है. आप ऐसा करें आप खाली हाथ कूदा करें, कैमरा मुझे पकड़ा दिया करें, जब आप कूद जाएंगे, सुरक्षित प्लेटफार्म पर खड़े हो जाएंगे तो मैं कैमरा आपको पकड़ा दिया करूंगा.’ जगदीश बताते हैं कि और वह आगे के प्लेटफार्मों के लिए ऐसा करना शुरू कर दिया और मेरा इस तरह ख्याल करने लगे. ‘वह कहते हैं, ‘इतने ऊंचे ओहदे पर रहते हुए उनका इस तरह केयरिंग होना, ध्यान रखना ओ भी एक फोटोग्राफर का जो कि मेरे जेहन में हमेशा के लिए बैठ गया.’ उन्होने कहा कि वह कई स्टेशनों तक मुझे इसी तरह कैमरा पकड़ाते रहे और मैं शूट करता रहा.

जगदीश ने कहा- आप आराम की जिंदगी को दे रहे हैं कष्ट

फोटोग्राफर जगदीश इस दौरान हुई दूसरी दिलचस्प बात साझा करते हुए कहते हैं कि राजीव ने इस दौरान कहा, ‘देखिए गर्मी बहुत है डिहाइड्रेशन का खतरा है, आप लिक्विड लेते रहिए.’ तब मैंने भी अपने दिल की बात कह दी. ‘राजीव जी आप लोग बहुत नाजुक तरीके से पले-बढ़े हैं, हम फोटोग्राफर लोग बहुत रफ-टफ होते हैं, हर मौसम, हर कंडीशन में काम करने की आदत सी है. शरीर को सहने की शक्ति मिल चुकी है, लिहाजा हमारे बारे में चिंता न करें.’

यादव ने आगे कहा, ‘लेकिन आप के लिए मैं बहुत चिंता कर रहा हूं कि इतनी आराम की जिंदगी के बाद इतनी तकलीफ उठाते हुए आप जो काम कर रहे हैं, इससे आपको नुकसान न हो जाए.’ राजीव ने जवाब दिया कि ‘नहीं मेरे पास मेडिसिन और खाते-पीते रहने के सामान ऱखे हैं, कोई टेंशन की बात नहीं है. आप अपनी शूट को एंज्वाय करें.’

राजीव ने कहा- जरा अपना कैमरा दिखाइए

जगदीश आगे बताते हैं कि इस दौरान जब हम दोनों बगल-बगल बैठे थे तभी एक और मजेदार बात यह रही कि उन्होंने कहा कि ‘जरा अपना कैमरा तो दिखाएं.’ मैंने उन्हें कैमरा दिखाया. मेरे पास उस समय 801एस कैमरा था. राजीव ने कहा, ‘यह कैमरा अच्छा है. हालांकि इसके बाद वाले भी कैमरे आ गए हैं, लेकिन यह भी कैमरा बढ़िया है.’ वह कहते हैं कि उनका इस तरह कैमरा देखना जाहिर तौर कैमरे को लेकर उनके शौक को उजागर करता है.

‘दोबारा मिलेंगे और आपकी खींची तस्वीरें देखेंगे’

जगदीश बताते हैं कि उन्होंने जाते-जाते वादा किया था कि, ‘वह एक बार जरूर मिलेंगे, तस्वीरें देखेंगे कि कैसी आपने खींची हैं.’ मैंने भी कहा कि आप भी अपनी शूट की हुई तस्वीरें दिखाइएगा क्योंकि सुना है आप भी तस्वीरें बहुत अच्छी शूट करते हैं. उन्होंने कहा बिलकुल दिखाएंगे.’

मारे गए राजीव गांधी, दोबारा ना मिल पाने का मलाल

यादव कहते हैं लेकिन दुर्भाग्य यह कि उसी साल चंद्रशेखर के इस्तीफा देने के बाद जब लोकसभा का चुनाव आया तो चुनाव प्रचार के दौरान वह मारे गए, जिसका मुझे बहुत दुख है और मैं उनसे नहीं मिल सका. इसका मुझे आज तक मलाल है.’

21 मई 1991 को 10 बजे रात को तमिलनाडु के श्रीपेरबंदूर में जब वह भाषण दे रहे थे तभी एक 30 साल की आत्मघाती हमलावर महिला ने उन्हें चंदन का हार पहनाने के लिए आगे बढ़ी, जैसे वह उनका पैर छूने के लिए आगे बढ़ी, कमर में बंधे बम का बटन दबा दिया और एक युवा स्वप्नद्रष्टा प्रधानमंत्री की मौत हो गई थी.

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