नई दिल्ली: अचानक से सूंघने और स्वाद का बोध खत्म हो जाना क्या कोविड-19 के संक्रमण की तरफ इशारा करते हैं वो भी बिना किसी दूसरे लक्षणों की गौर-मौजूदगी में?
दुनियाभर के डॉक्टरों ने पाया है कि नोवेल कोरोनावायरस से संक्रमित कुछ मरीज़ सूंघने का बोध खो देते हैं.
जबकि सूंघने का बोध खत्म हो जाने का पता अक्सर बड़ी मुश्किल से लगता है. कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों में यह शुरूआती संकेत हो सकता है. अगर इन मरीज़ों को प्रारंभिक चरण में ही अलग-थलग या यूं कहें कि पृथक कर लिया जाए तो स्पर्शोन्मुख मरीज़ों से संक्रमण के प्रसार को कम किया जा सकता है.
‘विश्वभर से मिल रहे सबूत’
यूनाइटेड किंगडम में कान, नाक और गले (ईएनटी) के विशेषज्ञों वाली एक पीठ ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि दक्षिण कोरिया, चीन और इटली में कोविड-19 से संक्रमित कुछ मरीज़ों में आंशिक या पूर्ण तौर पर सूंघने का बोध खत्म हुआ है जिसे एनोसमिया कहते हैं.
ईएनटी यूके ने कहा, ‘जर्मनी में यह दर्ज किया गया है कि हर तीन में से दो लोगों को एनोसमिया है. दक्षिण कोरिया में जहां बड़े स्तर पर जांच हुई है, वहां संक्रमित पाए गए 30 प्रतिशत लोगों में एनोसमिया का लक्षण पाया गया है’.
किंग्स कॉलेज लंदन में राइनोलोजी के प्रोफेसर क्लैयर होपकिंस के हवाले से ईएनटी यूके ने कहा, ‘मैंने व्यक्तिगत तौर पर इस हफ्ते चार मरीजों को देखा है, सभी 40 वर्ष के कम के हैं- उनमें एनोसमिया की शुरूआत होती दिखी. मैं आमौतर पर एक महीने में एक से ज्यादा को नहीं देखता हूं’.
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‘मुझे लगता है कि ये मरीज़ कुछ ऐसे छिपे हुए वाहक हो सकते हैं, जिन्होंने कोविड-19 के तेजी से प्रसार को बढ़ाया है.’
वायरल संक्रमण में अक्सर सूंघने का बोध चला जाता है
ईएनटी यूके के अनुसार, पोस्ट-वायरल एनोसमिया वयस्कों में गंध की भावना के नुकसान के प्रमुख कारणों में से एक है, ‘एनोस्मिया के 40 प्रतिशत मामलों में से.’
‘वायरस जो आम सर्दी को जन्म देते हैं, वे संक्रामक संक्रमण के कारण के रूप में जाने जाते हैं और 200 से अधिक विभिन्न वायरस ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण का कारण बनते हैं.’
ईएनटी यूके ने कहा, ‘पहले वर्णित कोरोनावायरस को 10-15 प्रतिशत मामलों के लिए माना जाता है. इसलिए यह शायद कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि नोवेल कोविड-19 वायरस भी संक्रमित रोगियों में एनोसमिया का कारण होगा.’
श्वसन वायरल संक्रमण से विशेष नर्व टिसू में चोट लग सकती है, जिससे सूंघने की क्षमता कम हो जाती है.
वायरस सहायक कोशिकाओं पर हमला करता है, गंध से संबंधित न्यूरॉन्स नहीं
हाल के एक प्री-प्रिंट अध्ययन में, अमेरिका में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने दिखाया कि घ्राण उपकला में कई प्रकार की कोशिकाएं- गंध गुहा में शामिल नाक गुहा के अंदर एक विशेष ऊतक जीन होते हैं जो रिसेप्टर्स एसीई2 और टीएमपीआरएसएस 2 को व्यक्त करते हैं, जो दोनों सार्स-कोव-2 (नोवेल कोरोनावायरस) द्वारा संक्रमण का मध्यस्थता करते हैं.
इन कोशिकाओं में उपचारात्मक कोशिकाओं के सबसेट शामिल हैं- मुख्य रूप से संरचनात्मक समर्थन से जुड़े, बोमन की ग्रंथि कोशिकाएं, जो नाक गुहा ऊतक को नम रखने के लिए पानी के बलगम का स्राव करती हैं, और क्षैतिज बेसल कोशिकाएं (एचबीसी), जो ऊतक क्षति पर सक्रिय आरक्षित स्टेम कोशिकाओं का कार्य करती हैं.
हालांकि, घ्राण न्यूरॉन्स, जो मस्तिष्क से गंध-संबंधी जानकारी का पता लगाते हैं और प्रसारित करते हैं, इन रिसेप्टर्स को व्यक्त नहीं करते हैं.
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शोधकर्ताओं का सुझाव है कि वायरस इन तीन प्रकार की कोशिकाओं में से किसी एक पर हमला कर सकता है, जिससे तंत्र में व्यवधान पैदा हो सकता है जो मानव को गंध की पहचान करने की अनुमति देता है.
हालांकि अध्ययन सटीक मार्ग की व्याख्या नहीं करता है जिसके माध्यम से नोवेल कोरोनावायरस गंध की भावना को प्रभावित करता है, निष्कर्ष प्रभावित कोशिकाओं को इंगित करता है- भविष्य के अध्ययन के लिए जांच के क्षेत्र को संकीर्ण करता है.
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