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Monday, 7 October, 2024
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भारत में कैसे हुई स्पैम कॉल की शुरुआत और स्पैमर कैसे जानते हैं आपकी पूरी जानकारी

स्पैम कॉल की संदिग्ध दुनिया की अंदरूनी कहानी पर तीन-पार्ट की इस सीरीज़ की पहली रिपोर्ट में दिप्रिंट स्पैम कॉल की शुरुआत, स्पैमर द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों और किसी के लिए कई फोन नंबर हासिल करना कितना आसान है, इस बारे में पता लगा रहा है.

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कल्पना कीजिए कि आप काम से संबंधित किसी मीटिंग में हैं, अचानक एक फोन आता है और दूसरी तरफ से आवाज़ आती है, “आप XXX के क्रेडिट स्कोर के साथ कार लोन के लिए एलिजिबल हैं. आपकी कार मॉडल-YYYY, जिसे Z साल पहले खरीदा गया था, को अपग्रेड किया जा सकता है…”

आप लगभग तुरंत फोन काटते हैं, अब आप बस यही सोच सकते हैं कि कॉल करने वाले के पास यह जानकारी कैसे थी.

इस सीरीज़ की पहली रिपोर्ट में दिप्रिंट स्पैम कॉल की शुरुआत, स्पैमर द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों और किसी के लिए कई फोन नंबर हासिल करना कितना आसान है, इस बारे में पता लगा रहा है. इस जांच के लिए दिप्रिंट ने डेटा प्राइवेसी और अकाउंटेबिलिटी के बारे में टेलिकॉम ऑपरेटरों, टेलीमार्केटर्स, पूर्व सरकारी अधिकारियों और वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटरों से बात की.

स्पैम कॉल परेशान करने वाले होते हैं — यहां तक कि खतरा भी. फरवरी में जारी किए गए लोकल सर्किल्स के एक सर्वे के मुताबिक, इसमें शामिल 60,000 भारतीयों में से 60% से अधिक को पिछले साल प्रतिदिन औसतन तीन या उससे अधिक स्पैम या परेशान करने वाले कॉल्स आए.

स्पैम कॉल को सरल शब्दों में मोबाइल या लैंडलाइन नंबरों के माध्यम से विज्ञापन, टेलीमार्केटिंग या ग्राहक अधिग्रहण के लिए लोगों के बड़े समूहों को किए गए अनचाहे, दोहराए गए या अवांछित फोन कॉल के रूप में परिभाषित किया जाता है. जब ऐसी कॉल धोखाधड़ी में समाप्त होती हैं, तो उन्हें स्कैम कॉल कहा जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि स्पैमर्स से निपटने के लिए ट्राई डीएनडी ऐप जैसे नियम और उपकरण मौजूद हैं, लेकिन अनरजिस्टर्ड कॉल करने वालों और खराब कार्यान्वयन के कारण उनके द्वारा मचाई गई तबाही काफी हद तक अनियंत्रित है. टेलिकॉम इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि नए ज़माने के स्मार्टफ़ोन भी ऐसे लैंडलाइन नंबरों से कॉल आने पर हर बार लोकेशन की पहचान करने में सक्षम हैं.

लेकिन क्या कॉलर सच में वहां है? कभी हां, कभी न.

इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने यह भी बताया कि स्मार्टफोन द्वारा पता लगाई गई लोकेशन हमेशा सही नहीं हो सकती. वक्त के साथ और नंबरों की कमी के कारण, मोबाइल नंबर और लैंडलाइन नंबर के बीच की रेखाएं धुंधली हो गई हैं. इसका मतलब यह है कि कुछ मामलों में, जो नंबर लैंडलाइन जैसा दिखता है वो किसी का मोबाइल नंबर भी हो सकता है.

वर्चुअल नंबर

बेहतर बाज़ार पहुंच और लागत-प्रभावशीलता की तलाश में, ज़्यादातर कंपनियां और कॉल सेंटर अब वर्चुअल नंबर का विकल्प चुन रहे हैं.

वर्चुअल नंबर वास्तविक फोन नंबर होते हैं, लेकिन वह किसी खास डिवाइस या पते पर नहीं होते. कोई यह नहीं बता सकता कि कॉल के लिए फिक्स्ड लैंडलाइन नंबर या वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल किया जा रहा है. उदाहरण के लिए डिलीवरी एजेंट और स्पैमर दोनों की कॉल में इंदौर का STD कोड हो सकता है.

यही वह जगह है जहां वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (VNO) काम आते हैं.

VNO टेलीफोनी क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स हैं जिनके पास नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होता. दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा एकीकृत लाइसेंस दिए जाने के बाद क्लाइंट (व्यवसायों) को वर्चुअल नंबर दे सकते हैं, मुख्य रूप से ग्राहकों और एजेंटों के बीच कॉल रूट करते हैं. VNO व्यवसायों को बाज़ार पहुंच का विस्तार करने के लिए अपनी पसंद के स्थानीय क्षेत्र कोड का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं.

स्पैम कॉल का स्ट्रक्चर

स्पैम कॉल अक्सर इंदौर या जमशेदपुर जैसे विशिष्ट शहरों के STD कोड वाले नंबरों से क्यों आते हैं? और क्या स्पैमर सच में इन शहरों में रहते हैं? याद रखिए, उदाहरण के लिए ज़ोमैटो राइडर्स या उबर ड्राइवरों से आने वाले कॉल में संभवतः गाजियाबाद या बेंगलुरु का STD कोड हो सकता है.

परंपरागत रूप से हर किसी की तरह, टेलीमार्केटर्स और व्यवसाय ऑप्टिकल केबल वाले लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करते थे. कुछ सर्विस कॉल सेंटर अभी भी फिक्स्ड लाइन का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, अधिकांश अब मैन्युअल डायलिंग से बचने के लिए एप्लिकेशन यूज़ करते हैं.

रजिस्टर्ड टेलीमार्केटर (लोन प्रोवाइडर) ने कहा कि कंपनी का मुख्यालय महाराष्ट्र के पुणे में है, लेकिन कॉल झारखंड के जमशेदपुर में उनके कार्यालय से किए जा रहे थे.

इंडस्ट्री के एक सूत्र ने बताया, “बल्क लैंडलाइन नंबर प्राप्त करने के लिए टेलीमार्केटिंग व्यवसाय को टेलिकॉम ऑपरेटर के साथ रजिस्टर्ड होना पड़ता है. वह अपने क्षेत्र में स्थित एक्सचेंज (सर्विस प्रोवाइडर) से दो एमबीपीएस (मेगाबिट प्रति सेकंड) प्राइमरी रेट इंटरफेस (PRI) किराए पर ले सकते हैं और ज़रूरत के हिसाब से 20-30 या उससे ज़्यादा लैंडलाइन नंबर हासिल कर सकते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “इन सभी लाइनों को जोड़ने वाला एक जंक्शन बॉक्स है. कभी-कभी PRI को केवल आउटगोइंग कॉल के लिए प्रोग्राम किया जाता है. अगर यह एक बड़ा उद्यम है, तो वह एक अलग चैनल की तलाश भी कर सकते हैं जो अधिक नंबर प्रदान करता है.”

लेकिन ऐसा हमेशा नहीं हो सकता है. फिक्स्ड लाइनों को मोबाइल नंबर से भी जोड़ा जा सकता है और कॉल को पैच किया जा सकता है.

वीएनओ लाइसेंस धारक के साथ काम करने वाले एक वरिष्ठ कार्यकारी के अनुसार, कंपनी बल्क नंबर आवंटित करने से पहले उपभोक्ताओं के साथ केवाईसी प्रक्रिया शुरू करती है, जो अस्थायी रूप से क्लाइंट को आवंटित किए जाते हैं. सौदा पूरा होने के बाद, दोहराव से बचने के लिए कम से कम तीन महीने के लिए नंबरों का उपयोग बंद कर दिया जाता है.

कार्यकारी ने कहा, “वीएनओ लाइसेंस धारकों को दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियमन (टीसीसीसीपीआर), 2018 में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करना होगा. किसी कंपनी के साथ सौदा करने से पहले, वीएनओ को अनिवार्य रूप से अपने टेलीमार्केटिंग रजिस्ट्रेशन नंबर और पहचान का सत्यापन करना होगा. प्रिंसिपल एंटिटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. ट्रैक रखने के लिए टेलिकॉम डिपार्टमेंट द्वारा रेगुलर ऑडिट किए जाते हैं.”

वीएनओ के अधिकारियों ने यह भी कहा कि कई कंपनियां अनिवार्य लाइसेंस के बिना काम करती हैं, जिसका मतलब है कि कई प्री-रिकॉर्डेड या टेलीमार्केटिंग कॉल अपंजीकृत टेलीमार्केटर्स (यूटीएम) से हैं. जब इन फर्मों को दूरसंचार विभाग और एक्सेस प्रदाताओं के ध्यान में लाया जाता है, तो उन्हें ब्लॉक कर दिया जाता है और नंबर निलंबित कर दिए जाते हैं.

वीएनओ कंपनी एक्सोटेल के उपाध्यक्ष (कैरियर ऑपरेशंस) विवेक जथन्ना ने दिप्रिंट को बताया, “एक्सोटेल के पास यूएल वीएनओ-पैन इंडिया और ऑडियोटेक्स लाइसेंस हैं, जो केवाईसी मानदंडों, नंबर आवंटन नियमों और टीसीसीसीपीआर, 2018 का सख्ती से पालन करते हैं. यह उपाय नियामक दिशानिर्देशों के अनुरूप कठोर सत्यापन और नियंत्रण तंत्र के माध्यम से पहचान की चोरी और दुरुपयोग को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.”

इंडस्ट्री के एक सूत्र ने एक और मुद्दे को भी उजागर किया — फिक्स्ड लैंडलाइन के लिए नंबरिंग संसाधनों की कमी.

नाम न बताने की शर्त पर एक एक्जीक्यूटिव ने कहा, “नंबरों की कमी है, जिसके कारण व्यवसायों को भी कई अलग-अलग क्षेत्र दिए जाते हैं. अब, एक महत्वपूर्ण और अनुरोधित कॉल को आसानी से एक अनचाहे कॉल के साथ भ्रमित किया जा सकता है क्योंकि यूजर्स के लिए संयोजनों का पता लगाना मुश्किल हो रहा है. इसका मतलब यह भी है कि आज एक सीरीज़ आपको लोकप्रिय लग सकती है और कल, दूसरी.”

एक व्यक्ति के पास वैध पते और पहचान प्रमाण के साथ कानूनी रूप से 9 फोन नंबर हो सकते हैं — एक कॉल सेंटर स्थापित करने के लिए पर्याप्त. जैसा कि अंदरूनी सूत्र ने बताया, “यह सब्ज़ियां खरीदने जितना आसान है.”

अवैध कॉल सेंटरों की बढ़ती संख्या के बारे में पूछे जाने पर, इंदौर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “अवैध कॉल सेंटरों की समस्या हर जगह है, खासकर विकसित शहरों में. वह किसी भी संदेह को दूर करने के लिए पॉश सोसाइटियों में स्थित हो सकते हैं, लेकिन अंदर, वह स्पैमिंग और लोगों को ठगने में व्यस्त हैं. जब भी कोई शिकायत होती है, तो कार्रवाई की जाती है.”

उन्होंने आगे कहा, “हो सकता है कि आपका स्थानीय दुकानदार आपसे वैध पहचान पत्र न मांगे या फिर किसी दूसरे पहचान पत्र की व्यवस्था कर दे. केवाईसी प्रक्रिया में धोखाधड़ी हो सकती है और आप ऐसे लोगों के नाम पर पंजीकृत कई सिम कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं जो आपसे जुड़े भी नहीं हैं.”

कई शहरों के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वह नियमित रूप से दूरसंचार विभाग को फोन नंबरों के अवैध इस्तेमाल के बारे में सूचित करते हैं. फिक्स्ड लैंडलाइन, मोबाइल नंबर या वर्चुअल नंबर के ज़रिए स्पैम कॉल के खतरे के अलावा, कॉल स्पूफिंग ऐप भी हैं जो यूजर्स को कॉल करने के लिए मामूली शुल्क पर किसी भी नंबर को कॉपी करने की अनुमति देते हैं.

स्पैम कॉल से कैसे निपटें

स्पैमर में सिर्फ UTM ही नहीं, बल्कि रजिस्टर्ड टेलीमार्केटर भी शामिल हैं जो ग्राहकों की सहमति या पसंद के बिना अनचाहे वाणिज्यिक संचार (UCC) में लिप्त हैं.

TRAI के दिशा-निर्देश कंपनियों को रजिस्टर्ड ग्राहकों के साथ UCC शुरू करने से रोकते हैं, लेकिन TRAI DND ऐप और शिकायत हेल्पलाइन जैसे लक्षित कदमों के बावजूद, यह समस्या जारी है.

UCC के बारे में शिकायत दर्ज करने के लिए कोई व्यक्ति कॉल या संदेश के संक्षिप्त विवरण के साथ 1909 पर एक SMS भेज सकता है, साथ ही टेलीमार्केटर का नंबर और कॉल या संदेश की तारीख भी बता सकता है.

इसके अलावा, राष्ट्रीय ग्राहक वरीयता रजिस्टर (NCPR) भी है, जो एक राष्ट्रीय डेटाबेस रजिस्ट्री है जिसमें ग्राहकों के मोबाइल नंबरों की एक सूची होती है, जो बैंकिंग, रियल एस्टेट, उपभोक्ता सामान और अन्य जैसी सात निर्दिष्ट श्रेणियों से UCC की प्राप्ति को रोकने के बारे में अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर सकते हैं.

TRAI के DND एप्लिकेशन के साथ, जो केवल Android यूजर्स के लिए उपलब्ध है, उपभोक्ता पंजीकृत टेलीमार्केटर से कॉल और संदेश रोकने के लिए श्रेणी-वार प्राथमिकताएं चिह्नित कर सकते हैं. वह UTM की रिपोर्ट भी कर सकते हैं.

Apple यूजर्स शिकायत दर्ज करने के लिए अन्य विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे 1909 पर मैसेज भेजना या अलग-अलग दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की गई DND सुविधाओं को सक्रिय करना. ट्रूकॉलर जैसे समुदाय-आधारित एप्लिकेशन भी स्पैम कॉल करने वालों की पहचान करने और उन्हें खंडों में वर्गीकृत करने में ग्राहकों की सहायता करते हैं.

TRAI ने पहले भी उल्लेख किया है कि उसके प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं रहे हैं. हालांकि, रजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स द्वारा स्पैमिंग को कुछ हद तक रोका गया है.

अगस्त 2024 में जारी TRAI के परामर्श पत्र के अनुसार, पिछले चार साल में रजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स के खिलाफ शिकायतों की संख्या में कमी आई है, जबकि UTM के खिलाफ शिकायतों की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है.

TRAI ने यह भी कहा, “कई संस्थाओं ने 10-अंकीय मोबाइल/लैंडलाइन नंबरों का उपयोग करके प्रचार कॉल करना शुरू कर दिया है. ये संस्थाएं वाणिज्यिक संचार के लिए ऑटो डायलर/रोबो कॉल का उपयोग भी कर रही हैं, नियामक प्रावधानों को दरकिनार कर रही हैं और इस तरह लगभग सभी के लिए परेशानी पैदा कर रही हैं.”

यहां इसने TCCCPR, 2018 में कड़े संशोधनों का प्रस्ताव रखा, जिसमें 10 अंकों वाले नंबरों से फोन कॉल और संदेशों के लिए अनिवार्य टैरिफ की मांग की गई.

ट्राई ने यह भी सुझाव दिया कि प्रतिदिन 50 से अधिक कॉल करने वाले और 50 से अधिक एसएमएस भेजने वाले दूरसंचार ग्राहकों को संभावित स्पैमर के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए और उनकी जांच की जानी चाहिए. इसने यह भी कहा कि कॉल के कंटेंट की सत्यता की जांच करने के लिए कोई पुख्ता तंत्र नहीं होने के कारण, एसएमएस और कॉल के लिए अलग-अलग नियम होने चाहिए. परामर्श पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि ऑटो डायलर/रोबो-कॉल का उपयोग करके वाणिज्यिक संचार को रोकने के लिए “एक उचित नियामक उपाय को आगे बढ़ाने की तत्काल ज़रूरत” है.

इसके अलावा, सितंबर में एक बयान में ट्राई ने इस साल की पहली छमाही के भीतर 7.9 लाख शिकायतों के साथ यूटीएम से कॉल में उल्लेखनीय वृद्धि को उजागर किया.

अन-रजिस्टर्ड कॉल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई उपयोग सीमा से लेकर प्रेषक के सभी दूरसंचार संसाधनों को दो साल तक के लिए डिस्कनेक्ट करने तक हो सकती है.

जून में नियामक संस्था ने भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण और गृह-पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा विनियमित संस्थाओं के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा आवंटित लेनदेन और सेवा कॉल के लिए नंबर सीरीज़ 160 के अनन्य उपयोग पर जोर दिया.

और अगस्त में ट्राई ने दूरसंचार ऑपरेटरों सहित सभी सर्विस प्रोवाइडर्स को अन-रजिस्टर्ड स्रोतों से सभी पूर्व-रिकॉर्ड और प्रचार कॉल को रोकने का निर्देश जारी किया.

ट्राई के सितंबर के बयान के अनुसार, स्पैम कॉल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में 2.75 लाख से अधिक टेलीफोन नंबर काट दिए गए हैं और 50 संस्थाओं को ब्लॉक कर दिया गया है. यह कदम तब उठाया गया जब नियामक संस्था ने दूरसंचार कंपनियों से यूटीएम को ब्लॉक और डिस्कनेक्ट करने के लिए कहा. ट्राई ने दूरसंचार विभाग को यह भी सिफारिश की है कि अगर दूरसंचार कंपनियां स्पैम कॉल को रोकने में विफल रहने के लिए उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने में असफल रहती हैं, तो उनकी बैंक गारंटी को भुना लिया जाए.

स्पैम कॉल की संदिग्ध दुनिया की अंदरूनी कहानी पर तीन-पार्ट की इस सीरीज़ की यह पहली रिपोर्ट है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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