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Friday, 22 November, 2024
होमदेशसंक्रमण का मामला हो या फिर मौत का, कोविड-19 पुरुषों को अपना अधिक शिकार बना रहा है

संक्रमण का मामला हो या फिर मौत का, कोविड-19 पुरुषों को अपना अधिक शिकार बना रहा है

देश में कोरोनावायरस संक्रमितों में 76 फीसदी पुरुष हैं. इस वायरस की चपेट में आने से हुई मौतों में भी 73 फीसदी पुरुष ही हैं. चीन का शोध बताता है कि यह बायोलॉजिकल फैक्टर भी हो सकता है.

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नई दिल्ली:भारत में तीन चौथाई नोवेल कोरोनावायरस से संक्रमित और मौत के मामले पुरुषों में देखे गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी है.

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में 4,067 पुष्ट कोरोनोवायरस मामलों में से 24 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में 76 प्रतिशत पुरुष हैं. उन्होंने कहा कि देश में इस वायरस की चपेट में आने से हुई 109 मौतों में 73 फीसदी पुरुष हैं.

अग्रवाल ने एक पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया, मृतकों में, 63 फीसदी 60 वर्ष से अधिक आयु के, 30-60 आयु वर्ग के 30 फीसदी और 40 वर्ष से कम आयु वालों में 7 फीसदी थे.

मृतकों में से 86 फीसदी मरीज कई बीमारियों के शिकार थे उन्हें एक या दो या उससे अधिक स्वास्थ्य की समस्याएं थीं- जैसे मधुमेह, क्रोनिक किडनी रोग और हृदय रोग आदि. अग्रवाल ने कहा, चूंकि बुजुर्ग कई बीमारियों से पीड़ित होते हैं इसलिए उनमें कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या और संभावना भी अधिक है.

यह पहली बार है जब मंत्रालय ने लिंग पर आधारित मामले और मौतों की संख्या बताई है.

भारत में पुरुष अधिक प्रभावित

दुनिया भर में महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुष नोबेल कोरोनावायरस से संक्रमित हैं, लेकिन भारत में अन्य देशों की तुलना में ये मामले बहुत अधिक हैं.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन, सेंटर फॉर जेंडर एंड ग्लोबल हेल्थ 5050 के साक्ष्य-आधारित पर आधारित आंकड़ों के अनुसार, जर्मनी (पुरुषों में 52 फीसदी और महिलाएं 48 फीसदी), फ्रांस (47 और 53), इटली (55 और 45) और चीन (51 और 49) जैसे देशों में पुरुषों और महिलाओं के मामले में लगभग बराबर हिस्सेदारी है.

दुनिया में कोविड -19 से पुरुषों के मरने की संभावना अधिक है

विश्व स्वास्थ्य संगठन की साप्ताहिक निगरानी रिपोर्ट से पता चला है कि 23 से 29 मार्च के बीच पश्चिमी यूरोप में 70 प्रतिशत मौतें पुरुषों की हुई हैं. अधिकांश अन्य देशों से भी इसी तरह के आंकड़े सामने आए हैं.

वैश्विक स्वास्थ्य 5050 के अनुसार, दक्षिण कोरिया में पुरुषों के मामले 40 फीसदी है, लेकिन 53 प्रतिशत मौतें हुई हैं, 52 प्रतिशत मामले और 65 फीसदी मौतें जर्मनी में और 55 प्रतिशत मामले और 69 फीसदी मौतें इटली में हुई हैं.

लेकिन भारत के मामले अलग हो सकते हैं. बिहार सरकार के साथ कोविड-19 के लिए कंसलटेंट के तौर पर काम कर रहे कनकरंट मेज़रमेंट और लर्निंग यूनिट, केयर इंडिया एनजीओ के टीम लीडर तनमय महापात्रा कहते हैं. भारत में, कई स्वास्थ्य कारणों, आचरण और अधिक एक्सपोज़र की वजह से पुरुषों के लिए जोखिम और बढ़ सकता है. उदाहरण के लिए, पुरुषों के चारों ओर घूमने की प्रक्रिया में संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है.


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उन्होंने कहा, ‘महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक धूम्रपान करने करते हैं जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम) को प्रभावित करती है और उनके फेफड़ों को भी काफी प्रभावित करता है, जिससे उनका जोखिम बढ़ जाता है.’ उन्होंने आगे कहा पुरुषों में पहले से भी कई अन्य बीमारियों की संभावनाएं अधिक होती हैं जैसे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय और गुर्दे की बीमारियां यह भी मौजूदा परिस्थिति में उन्हें कमजोर करती है.

बायोलॉजिकल फैक्टर

चीन में हुए दो शोधों से पता चलता है कि नोवेल कोरोनावायरस से अधिक संक्रमित होने के पीछे पुरुषों का बायोलॉजिकल फैक्टर भी मजबूत कराण हैं.

चीन के छह शहरों में 1019 लोगों पर कोविड-19 को लेकर शोध किया गया, इसमें ऐसे महिला और पुरुष को शामिल किया गया जिनमें एक तरह से वायरस से संक्रमित होने की संभावना थी, उनमें संक्रमित होने की अधिक संभावना थी साथ ही मृत्यु की संभावना भी अधिक थी.

यह अंतर दोनों में शायद प्रोटीन एसीई2 के कारण भी हो सकता है- जो शरीर के अंगों जैसे फेंफड़े, गुद्दे और आंतों में पाया जाता है- जो शरीर के बल्ड प्रेशर को नियंत्रित करने से जुड़ा है. हालांकि चीनी शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि अभी तक इसकी गहराई से समीक्षा नहीं की गई है. एसीई 2 का स्तर मधुमेह और दिल की बीमारी से पीड़ित पुरुषों में अधिक पाया गया है.

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा, मधुमेह और पहले से मौजूद बीमारियों वाले पुरुषों और रोगियों में प्रोटीन का स्तर अधिक था, और इस तंत्र पर गहराई से अध्य़यन की आवश्यकता है.

वहीं चीन में किए गए दूसरे शोध, जिसका गहराई से अध्ययन नहीं किया गया है में कहा गया है कि नोवेल कोरोनावायरस के संक्रमण के शुरुआती चरण में महिलाओं के शरीर में पुरुषों की तुलना में अधिक संख्या में एंटीबॉडीज़ बनता है. यह शोध 331 मरीजों पर किया गया था

ये अध्ययन अभी तक निर्णायक नहीं हैं, लेकिन इसपर शोध किए जाने की जरूरत है कि कोविड-19 के संक्रमण के दौरान क्यूं महिला और पुरुष के शरीर अलग तरीके से प्रतिक्रिया देते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में भी पढ़ा जा सकता है, यहां क्लिक करें)

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