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Friday, 22 November, 2024
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कैसे अतीक के अपने ‘गुर्गे’ ही उसके खिलाफ हो गए? FIR दर्ज करवाई, उसके नाम से वसूली की, खूब मुनाफा कमाया

कहा जाता है कि अतीक अहमद ने बीते कुछ सालों में अपने आपराधिक साम्राज्य पर पकड़ खो दी थी, लेकिन पुलिस का कहना है कि उसके 'गिरोह के 100 सदस्य अभी भी सक्रिय हैं' और उसकी ‘संदिग्ध विरासत’ को आगे बढ़ा रहे हैं.

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प्रयागराज: कुख्यात गिरोह का सरगना और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को पुलिस की मौजूदगी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अपनी खूनी मौत से पहले अतीक अपने एक समय के सहयोगियों द्वारा विश्वासघात को पचा नहीं पा रहा था. यह उसकी जबरन वसूली की धमकियों और सटीक बदला लेने के खतरनाक संकेतों के माध्यम से पता चलता है.

‘मुस्लिम साहब, पूरे इलाहाबाद में बहोतो ने हमसे फैदा उठाया, लेकिन सबसे ज्यादा तुम्हारे घर ने उठाया (मुस्लिम साहब, इलाहाबाद में कई लोगों ने मेरा फायदा उठाया, लेकिन आपको सबसे ज्यादा फायदा हुआ).’ यह एक मैसेज था जिसे अतीक ने कथित तौर पर मोहम्मद मुस्लिम को भेजा था. मोहम्मद मुस्लिम जो पेशे से एक बिल्डर है और अतीक का पूर्व सहयोगी था. अतीक गुजरात के साबरमती जेल में कथित तौर पर एक मैसेज भेजने के लिए आईफोन का इस्तेमाल कर रहा था.

अतीक ने अपने मैसेज में आगे कहा था, ‘आज लोग हमारे खिलाफ एफआईआर लिखा रहे हैं और पुलिस के शेयर में काम कर रहे हैं’ 

बाद के एक मैसेज में मुस्लिम को ‘तुरंत पैसा लौटाने’ की सलाह दी गई थी.

इसमें कहा गया था, ‘मैं जल्द ही कभी भी मरने वाला नहीं हूं. लेकिन मैं स्कोर तय करने के लिए जल्द ही वापस आऊंगा.’

इसकी पुष्ठि प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में पुलिस सूत्रों दिप्रिंट से की. एक स्क्रीनशॉट लगातार वायरल हो रहा है जिसमें अतीक द्वारा मुस्लिम को भेजे गए मैसेज हैं.

इन मैसेजो को भेजे जाने के कुछ ही समय बाद, अतीक के बेटे असद ने कथित तौर पर मुस्लिम को एक कॉल किया, जिसकी रिकॉर्डिंग भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इस कॉल में, असद ने कथित तौर पर मुस्लिम पर ‘रंग बदलने’ का आरोप लगाया और उसे लखनऊ में अतीक के एक और बेटे, उमर को पैसे देने का आदेश दिया.

बीते 24 फरवरी को, अतीक के विरोधी और एक समय के सहयोगी उमेश पाल की अतीक के शूटरों द्वारा दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. इस हत्या में असद भी शामिल था जो बाद में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.

पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया था कि अतीक गुस्से में था क्योंकि उसने सोचा था कि पाल ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके उसकी ‘पीठ में छुरा घोंपा’ है जबकि उसने पहले उससे आर्थिक रूप से फायदा उठाया था.

इसी तरह अतीक के रिश्ते भी खुद हिस्ट्रीशीटर मोहम्मद मुस्लिम से बदल गए थे.

मोहम्मद मुस्लिम, जो लखनऊ में रह रहा था, प्रयागराज में काफी सक्रिय था और अतीक अहमद के बहुत करीब था. उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक एक साथ काम किया लेकिन पिछले चार वर्षों से दोनों के बीच विवाद बढ़ गया था. इसकी जानकारी प्रयागराज के एक पुलिस अधिकारी ने दी.

पुलिस सूत्रों के साथ-साथ अतीक अहमद को जानने वाले अन्य लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि अतीक के कई सहयोगियों ने बाद में उसके प्रति अपनी निष्ठा बदल ली और समय के साथ उसके विरोधी भी बन गए. खासकर तब जब उसे जेल भेज दिया गया था और माना जाता था कि उसके साम्राज्य पर उसकी पकड़ कमजोर हो गई थी.

जबकि अतीक के अंदरूनी सर्कल के कुछ सदस्यों ने उसके और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, अन्य लोगों पर आरोप है कि वे अतीक के नाम पर आपराधिक रैकेट चला रहे हैं और उसके नाम पर संपत्तियों को जब्त भी कर रहे हैं, लेकिन लूट का माल अपने पास रख रहे हैं.

इस बीच, कुछ कथित पीड़ित- जिसमें अतीक का एक पूर्व सहयोगी भी शामिल है – ने सरकार से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है और गिरोह के उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं जो अभी भी फरार हैं.

Atiq Ahmed's son Asad | PTI
अतीक अहमद का बेटा असद | फोटो: PTI

‘गिरोह के 100 सदस्य अब भी सक्रिय’

असद अहमद के साथ मोहम्मद मुस्लिम की कथित बातचीत की रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद यूपी पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने उसे पूछताछ के लिए उठाया था.

मोहम्मद मुस्लिम का लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर और बहराइच जिलों में कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है और उसका एक आपराधिक इतिहास रहा है.

दिप्रिंट के पास मौजूद पुलिस दस्तावेजों के मुताबिक, उसके खिलाफ प्रयागराज और लखनऊ के कर्नलगंज, धूमनगंज, खुल्दाबाद, करेली और वजीरगंज थाने में 16 मामले दर्ज हैं. 2007 और 2022 के बीच दर्ज किए गए ये मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत हैं, जिनमें हत्या का प्रयास और आपराधिक धमकी के साथ-साथ गुंडा अधिनियम भी शामिल है.

पुलिस सूत्रों का दावा है कि उसने कई वर्षों तक अतीक अहमद के साथ काम किया, लेकिन फिर मुस्लिम ने उसके साथ संबंध तोड़ने की कोशिश की.

इस बुधवार को पूछताछ के कुछ दिनों बाद, मुस्लिम ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और अतीक के बेटों अली और उमर के साथ-साथ गिरोह के कथित सदस्यों असद कालिया, एहतेशाम करीम, अजय और मोहम्मद नसरत के खिलाफ आईपीसी की धारा 386 (जबरन वसूली), 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा), 364 (अपहरण), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज करवाई. 

दिप्रिंट ने एफआईआर की कॉपी देखी है, जिसमें मुस्लिम ने आरोप लगाया है कि जब से उसने 2006 में प्रयागराज में एक बिल्डर के रूप में काम करना शुरू किया, तब से अतीक और उसका भाई अशरफ नियमित रूप से उसे धमकाते थे और जबरन वसूली करने की कोशिश करते थे. शिकायत में कहा गया है कि इन भाइयों ने मुस्लिमों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का भी प्रयास किया. हलांकि अतीक इसके लिए जाना भी जाता था. 

एफआईआर में आरोप लगाया गया है- ‘2021 के बाद से ही अतीक के गुर्गे असद कालिया मुझ पर अतीक के बेटे उमर को 15 करोड़ रुपये की संपत्ति सौंपने का दबाव बना रहे हैं. अली और असद (कालिया) मुझे धमकी भरे कॉल करते रहते थे, जिससे मुझे अपनी संपत्ति उनके नाम पर स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता था.’ 

File image of Atiq Ahmed | Photo: PTI
अतीक अहमद की फाइल फोटो | फोटो: PTI

प्रयागराज पुलिस ने 19 अप्रैल को 50 हजार रुपये के इनामी कालिया को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया था.

प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक (नगर) दीपक भुकर ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की और कहा कि कालिया अतीक के लिए काम कर रहा था और उसका कारोबार संभाल रहा था.

हालांकि, उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) के सूत्रों ने कहा कि अतीक के गिरोह के 100 से अधिक सदस्य प्रयागराज और आसपास के इलाकों में अभी भी ‘सक्रिय’ हैं और जिला पुलिस द्वारा इसके लिए एक सूची तैयार की जा रही है.

भुकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसके कई आदमी हमारे रडार पर हैं.


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‘अतीक के आदमी बहुत ताकतवर हो गए हैं’

अतीक अहमद के गुर्गों ने जब उसे कमजोर होते देखा तो उसे छोड़ दिया, लेकिन अपने खुद के जबरन वसूली रैकेट चलाने और पैसा बनाने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. इसका दावा कौशाम्बी के चैल निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक पूजा पाल करती हैं जो पहले इलाहाबाद जिले का ही हिस्सा था.

जनवरी 2005 में, पूजा पाल के पति, विधायक राजू पाल की अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ द्वारा कथित तौर पर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, और वह तब से वह इस सिंडिकेट को बारीकी से ट्रैक कर रही है.

पूजा दिप्रिंट से कहती हैं, ‘अतीक के लिए पहिया घूम गया. 2007 के बाद से, जब अतीक का पतन शुरू हुआ और उसे कैद कर लिया गया, उसके गिरोह के सदस्यों ने उसकी जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया. जो लोग उसकी ओर से पैसा वसूल करते थे, वे उसके नाम पर जबरन वसूली करने लगे और खुद पैसे कमाने लगे. ये लोग अब बहुत शक्तिशाली हो गए हैं.’

पूजा ने 56 व्यक्तियों की एक सूची तैयार की है जो कथित रूप से अतीक के गिरोह का हिस्सा है. इसमें आबिद प्रधान, फरहान, जावेद, जैद और गुड्डू मुस्लिम शामिल हैं.

गुड्डू मुस्लिम वह नाम है जिसे अतीक ने आखिरी बार बोला था, उसके बाद उसकी पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गई थी.

MLA Pooja Pal
समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल | फोटो: Twitter/@poojapalmla253

पूजा के मुताबिक गिरोह की जबरन वसूली की गतिविधियां अब प्रयागराज से आगे लखनऊ और बहराइच जैसे अन्य इलाकों तक फैल गई हैं.

वह कहती हैं, ‘जेल में रहते हुए भी, अतीक के लिए अपनी शैली बदलना मुश्किल था. डरावने लहजे में उसकी धमकियों को दर्ज किया गया है. जिन लोगों को उसने पाला-पोसा, उसने ही उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना शुरू कर दिया.’


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नए किंगपिन?

गिरोह के निशाने पर रहे प्रयागराज के कुछ निवासियों को डर है कि अतीक अहमद की मौत से ज़मीन हड़पने, हत्या और जबरन वसूली जैसे अपराध समाप्त नहीं हो जाएंगे, जो उसने दशकों पहले शुरू किया था.

एक निवासी नरेंद्र कुशवाहा कहते हैं, ‘अतीक और अशरफ चले गए हैं, लेकिन उनके ज्यादातर आदमी खुलेआम घूम रहे हैं. कौन जानता है कि मीडिया में जब खबरें कम हो जाएगी तो फिर क्या होगा? उनके बेटे जेल में हैं लेकिन गिरोह के कई सदस्य फरार हैं.’ 

अतीक के गिरोह के साथ उनके परिवार का लंबा और पेचीदा इतिहास रहा है.

1990 में नरेंद्र के पिता बृजमोहन कुशवाहा लापता हो गए थे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि आखिरी बार उनकी पत्नी सूरजकली कुशवाहा, जो अब 65 साल की हैं, ने उन्हें अतीक अहमद के ऑफिस में देखा था. वह दावा करती है कि उनके पिता को अतीक अपनी 12.5 बीघा जमीन सौंपने के लिए संपत्ति के कागज पर अपना अंगूठा लगाने के लिए मजबूर कर रहा था.

बृजमोहन को फिर कभी नहीं देखा गया और अतीक के आदमियों ने जिस संपत्ति पर कब्जा कर लिया फिर उसे कभी वापस नहीं मिला.

तीन दशकों से अधिक समय से, वह अदालत में लड़ रही है. वह दावा करती है कि कथित तौर पर अतीक के आदमियों द्वारा उन पर तीन और उनके पति नरेंद्र पर एक बार घातक हमला किया जा चुका है.

एक और मामला प्रयागराज के करेली इलाके में रहने वाली श्वेता शर्मा का है.

इस मार्च में दर्ज एक एफआईआर में, उसने विस्तार से बताया कि कैसे अतीक के सहयोगियों ने कथित तौर पर उसके परिवार को धमकी दी और धोखे से उनकी संपत्ति हड़प ली.

एफआईआर के अनुसार, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ नाम के दो वकीलों ने श्वेता के पति मोहनीश अंसारी से महज 15 लाख रुपये में 1.80 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी, जिसका वह अपने चाचा और चाची के साथ संयुक्त रूप से मालिक था.

शर्मा ने आरोप लगाया है कि वकीलों ने विभिन्न नामजद और अनाम ‘अतीक के आदमियों’ के साथ मिलकर उसके पति मोहनीश और उसके चाचा को बंदूक की नोक पर संपत्ति के कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया.

एफआईआर में आरोप लगाया गया है, ‘सितंबर 2022 में धोखाधड़ी से संपत्ति प्राप्त करने के बाद, वे हमें हमारी संपत्ति से बेदखल करना चाहते हैं. ये सभी अतीक अहमद के आदमी हैं जो हमें आश्रयहीन बनाना चाहते हैं और अब हमें बेदखल करने की धमकी दे रहे हैं.’

दिप्रिंट से बात करते हुए, श्वेता ने आरोप लगाया कि उनकी एफआईआर करेली पुलिस स्टेशन में मार्च में ही दर्ज की गई थी, जब उन्होंने उमेश पाल हत्याकांड के बाद इकट्ठा हुए मीडिया से संपर्क किया था.

इस बारे में पूछे जाने पर एसीपी (करेली) श्वेताभ पांडेय ने कहा कि जांच चल रही है.

उन्होंने कहा, ‘संपत्ति विवादित है. दोनों वकील कुख्यात हैं. घटना की जांच की जा रही है.’

दोस्त बने दुश्मन

विडंबना यह है कि जो लोग कभी अतीक के गिरोह के करीबी माने जाते थे और पुलिस के रडार पर थे, वे अब अपने पूर्व सहयोगियों के डर से ही सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.

इनमें से एक प्रापर्टी डीलर साबिर हुसैन उर्फ शेरू हैं.

दिसंबर 2021 में, साबिर पुलिस द्वारा अतीक के आदमियों में से एक के रूप में पहचाने गए व्यक्तियों में से एक था और उन लोगों में से एक था जिन्होंने 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले परेशानी पैदा करने से बचने के लिए चेतावनी जारी की थी.

साबिर ने कहा, ‘जब तक अतीक जिंदा था, मैं खतरे में जी रहा था, लेकिन अब मैं और भी अधिक डरा हुआ हूं.’ साबिर के परिवार को कथित तौर पर चकिया इलाके में अपना घर छोड़ने और एक रिश्तेदार के घर में रहने के लिए मजबूर किया गया था.

इसकी जड़ें 2015 में एक ग्राम प्रधान की बहन अल्कामा नामक महिला और उसके चालक सुरजीत की दोहरी हत्या में हैं.

प्रयागराज पुलिस ने 2017 में निष्कर्ष निकाला था कि अतीक के आदमियों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों कम्मू और जाबिर को फंसाने के लिए दोनों की हत्या की थी.

साबिर कम्मू का चचेरा भाई है. वह दावा करता है कि अतीक के गिरोह ने उसे तब से निशाना बनाया है जब से उसने इस मामले को आगे बढ़ाना शुरू किया था.

इस अप्रैल में दर्ज एक एफआईआर में, साबिर ने आरोप लगाया कि अतीक के बेटे अली, असद कालिया और कई अन्य साथियों ने उन्हें बंदूक की नोक पर धमकाया.

एफआईआर में कहा गया है, ‘अप्रैल 2019 में, मैं चकिया में अपने पैतृक घर में था जहां मेरी मां रहती है, जब अतीक का दूसरा बेटा अली, असद कालिया, शकील, शाकिर, सबी अब्बास, फैजान, सैफ, नामी, अफ्फान, महमूद, मौद और अतीक का चचेरा भाई असलम मंत्री मेरे घर पहुंचे और मुझे बाहर आने के लिए मजबूर किया था. सभी रायफल से लैस थे.’

उन्होंने कहा, ‘जब मैं बाहर आया, तो अली और असद ने मुझे बंदूक की नोक पर ले लिया और मुझसे कहा कि अगर मैं जीवित रहना चाहता हूं तो अतीक के खिलाफ मुकदमा न चलाऊं. उन्होंने मुझसे एक करोड़ रुपये की भी मांग की और मेरे मना करने पर उन्होंने मुझ पर फायरिंग शुरू कर दी लेकिन मैंने किसी तरह खुद को बचाया.’

दिप्रिंट से बात करते हुए, साबिर ने दावा किया कि कालिया और मंत्री इस साल फरवरी में फिर से उनसे मिलने आए. इस बार, उन्होंने आरोप लगाया कि उन लोगों ने 1 करोड़ रुपये की मांग की और उन्हें अतीक से मिलने के लिए साबरमती जेल जाने के लिए कहा.

यहां तक कि अतीक के एक रिश्तेदार ने भी मीडिया से अपनी जान का खतरा होने की बात कही है और एफआईआर दर्ज कराई है.

अतीक के बहनोई के बेटे मोहम्मद जीशान ने इस महीने की शुरुआत में पत्रकारों को बताया कि अली और कालिया ने उन पर कई बार दबाव डाला कि या तो उन्हें 5 करोड़ रुपये सौंप दें या अपनी संपत्ति छोड़ दें.

गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि जीशान और अन्य लोग अतीक के पति के जेल में बंद होने का फायदा उठाकर उसकी संपत्ति हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. जीशान ने इस आरोप से इनकार किया है.

उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘मुझे एक गनर मुहैया कराया गया है, लेकिन मुझे कम से कम दो और चाहिए. आपने देखा कि उमेश को सुरक्षा प्रदान किए जाने के बावजूद उसके साथ क्या हुआ.’

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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