अहमदाबाद: गुजरात के आणंद निवासी चंद्रकांत पटेल ने गुरुवार को एयर इंडिया 171 विमान दुर्घटना में अपनी बहू किनल मिस्त्री को खो दिया. रविवार को उन्हें कुछ राहत मिली जब अहमदाबाद के सिविल अस्पताल ने उनके शव को सौंप दिया. कागज़ी कार्रवाई के साथ-साथ ताबूत मिलने की प्रक्रिया में दो घंटे से भी कम समय लगा. फिर, गुजरात पुलिस द्वारा सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई कार में पटेल रविवार रात तक शव के साथ आणंद लौट आए.
गुजरात सरकार, जिसने अब तक आपदा के जवाब में लगभग पूरी राज्य मशीनरी को जुटा लिया है, उसने रविवार को पटेल को एक पारिवारिक कार और एक एम्बुलेंस दी, उन्होंने सोमवार को अपनी बहू के अंतिम संस्कार के कुछ घंटों बाद पटेल ने दिप्रिंट को बताया, “हमारे साथ (अहमदाबाद से आणंद तक), पुलिस का एक अधिकारी, एक सरकारी अधिकारी और टाटा समूह का एक व्यक्ति था, जिसने अंतिम संस्कार के लिए होने वाले किसी भी खर्च को वहन करने की पेशकश की, लेकिन हमने मना कर दिया. हम अपनी बेटी के लिए जो कुछ भी कर सकते थे, वह खुद करना चाहते थे.”
अहमदाबाद-लंदन ए.आई. 171 से जुड़ी अप्रत्याशित दुर्घटना में विमान में सवार सभी 242 यात्री मारे गए — एक को छोड़कर — और सभी पायलट और क्रू मेंबर्स के सदस्य मारे गए, जिससे उस जगह पर तबाही का मंज़र दिखाई दिया, जहां यह विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के छात्रावास भवन से टकराया था. आधिकारिक तौर पर, अभी तक मृतकों की संख्या के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है.
शनिवार को, जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. धवल गमेती ने कहा कि प्रशासन ने अब तक 270 शव बरामद किए हैं, जिनमें छात्रावास में रहने वाले मेडिकल छात्रों के शव भी शामिल हैं.
राजस्व विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जयंती रवि, जो राहत और पुनर्वास कार्यों में शामिल थीं, उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जब इतनी बड़ी घटना होती है, तो यह स्वाभाविक है कि पीड़ित परिवारों के मन में कई सवाल होते हैं. स्थिति से निपटने के लिए हमने पहले दिन से ही एक हेल्पलाइन स्थापित की और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का एक सेट उपलब्ध कराया. हमने टीमें बनाईं और परिवारों को अलग-अलग शिफ्ट में सेवाएं देने के लिए कई लोगों को लगाया, ताकि चौबीसों घंटे सेवा सुनिश्चित की जा सके और कोई भी थके नहीं. किसी को भी आठ घंटे से अधिक ड्यूटी नहीं करनी पड़ी.”

रवि ने कहा, “कुल मिलाकर टीम ने बहुत अच्छा काम किया है. बचाव, राहत और पुनर्वास का समन्वय राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र और पूर्णकालिक 24*7 नियंत्रण कक्ष के माध्यम से किया गया. हमने नियंत्रण कक्षों की संख्या को बढ़ाया है.”
दुर्घटना के बाद, रवि ने अपनी टीम के साथ दुर्घटनास्थल और सिविल अस्पताल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया. रवि ने कहा, “हमने सभी स्तरों पर ईमानदारी से कोशिश की है. पूरी टीम ने सीएम से लेकर जिले के अंतिम कलेक्टर तक, काम किया है.”
गुरुवार को बचाव दल ने लगभग तुरंत बचाव अभियान शुरू कर दिया, जबकि प्रशासन ने दुर्घटना के दो घंटे के भीतर ही पीड़ितों के रिश्तेदारों की पहचान करने के काम की तैयारी शुरू कर दी. अधिकांश शवों की पहचान नहीं हो पाने के कारण, अधिकारियों ने परेशान परिवारों को उनके प्रियजनों की पहचान करने में मदद की और उसके बाद शवों को सौंपने का काम पूरा किया.
इस साल मई में ऑपरेशन सिंदूर के ठीक बाद, गुजरात के कई जिलों में नागरिक सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया था. अहमदाबाद में जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों सहित 83 समूहों में अभ्यास आयोजित किया गया था. कार्यक्रम के तहत 2,000 से ज़्यादा लोग सिविल डिफेंस में शामिल हुए और उन्हें स्वास्थ्य कार्य, कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन और बचाव और निकासी कार्यों की ट्रेनिंग दी गई. एक महीने पहले की गई तैयारियों ने विमान दुर्घटना के बाद प्रशासन की मदद की.
अहमदाबाद जिला प्रशासन के एक सूत्र ने बताया, “हमने दुर्घटना के बाद सिर्फ एक घंटे में सिविल डिफेंस से 500 लोगों को जुटाया और उन्हें राहत और बचाव अभियान के लिए दुर्घटनास्थल पर तैनात किया.”

यह भी पढ़ें: अहमदाबाद के शवदाह गृह में नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, श्रद्धांजलि देने वालों का जनसैलाब उमड़ा
4 IAS अधिकारियों ने की बचाव कार्य की निगरानी
एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर ने दोपहर 1:38 पर उड़ान भरी और सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास मेघानीनगर इलाके में उड़ान भरने के 31 सेकंड के भीतर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
सबसे पहले एयरपोर्ट फायर स्टेशन को अलर्ट किया गया, उसके बाद फायर कंट्रोल रूम को, जिसने निकटतम नरोदा फायर स्टेशन को अलर्ट किया. दोपहर 1:43 बजे तक दमकल की पहली गाड़ियां दुर्घटनास्थल पर पहुंच गई थीं.
गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे, राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष-सहायक पुलिस अधीक्षक (एसडीआरएफ-एएसपी) शीतल गुर्जर को राहत आयुक्त आलोक पांडे से एक टीम को मेघानीनगर भेजने के लिए कॉल आया, जहां एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

उस वक्त शीतल गुर्जर के नेतृत्व में एसडीआरएफ की टीम लंच कर रही थी. टीम के सभी सदस्य अपना खाना छोड़कर दुर्घटनास्थल पर पहुंचे. एसडीआरएफ-एएसपी और राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) के नोडल अधिकारी शीतल गुर्जर ने दिप्रिंट को बताया, “हमारी टीम को विमानन ईंधन के साथ काम करने का कोई अनुभव नहीं था. घटनास्थल का तापमान लगभग 1,000 डिग्री सेल्सियस था, लेकिन, हमें काम करना था और लोगों और शवों को सुरक्षित बाहर निकालना था.”
एसडीआरएफ की 25 लोगों की चार टीमें मौके पर पहुंचीं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल जैसी एजेंसियां बचाव में शामिल हुईं.
शीतल ने बचाव के दौरान जो अनुभव किया, उसे याद करते हुए कहा, “कार्बन के कण हमारे शरीर से चिपक गए थे…दम घुटने लगा था.” उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद इलाके के निवासी साड़ियां लेकर आए और मदद के लिए आगे आए. उनकी टीम के सदस्यों ने साड़ियों को गीला किया और विमान से शवों को निकालने से पहले अपने हाथों को कपड़े से ढक लिया. एसडीआरएफ टीम के सदस्यों को दुर्घटनास्थल पर पहुंचने से ठीक पहले इमारत की दीवारें तीन तरफ से तोड़नी पड़ीं. इस बीच, फायर टेंडर कर्मचारियों ने उनके सुरक्षित प्रवेश के लिए पानी की दीवार बनाई. फिर भी, बचावकर्मियों ने इतना कार्बन अंदर ले लिया कि कई लोगों को उल्टी हो गई.
शवों की बरामदगी के दौरान, गुजरात प्रशासन ने शवों को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया.
आपदा के एक घंटे के भीतर, गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने पीड़ितों के शवों और उनके पीड़ित परिवारों से निपटने के लिए चार आईएएस अधिकारियों को घटनास्थल पर तैनात करने का फैसला किया.
आईएएस अधिकारियों में गृह विभाग में कानून और व्यवस्था के प्रभारी संयुक्त सचिव हर्षित गोसावी, गांधीनगर के प्रशिक्षण और रोजगार निदेशक नितिन सांगवान, गुजरात सूचना विज्ञान लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अरविंद वी. और अहमदाबाद के नगर पालिकाओं के क्षेत्रीय आयुक्त प्रशांत जिलोवा शामिल हैं.
गुजरात सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “हमने दोपहर 2:30 बजे अधिकारियों को फोन करके बताया कि सरकार उनमें से चार को अहमदाबाद सिविल अस्पताल में तैनात कर रही है और उन्हें किसी औपचारिक आदेश का इंतज़ार करने के बजाय तुरंत बाहर निकल जाना चाहिए क्योंकि औपचारिक आदेश जारी होने में समय लगेगा.”
सरकार ने अधिकारियों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनंजय द्विवेदी को रिपोर्ट करने के लिए भी कहा.
सरकार ने गुरुवार दोपहर को राजस्व विभाग के राहत प्रभाग में गुजरात प्रशासनिक सेवा के 16 प्रथम श्रेणी अधिकारियों और 16 द्वितीय श्रेणी अधिकारियों को तत्काल तैनात कर दिया.
चार आईएएस अधिकारियों के अस्पताल पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पीड़ितों के परिवारों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तय करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की.
उक्त सरकारी अधिकारी ने कहा, “दुर्घटना उड़ान भरने के तुरंत बाद हुई थी और इसलिए, यात्रियों के साथ हवाई अड्डे पर विदाई देने आए परिवार के सदस्य खबर सुनते ही वहां मौजूद थे और अस्पताल पहुंचे. वहां दहशत का माहौल था और हर कोई जवाब चाहता था.”
अधिकारी ने कहा, “बैठक के बाद, चार आईएएस अधिकारियों में से दो को पीड़ितों की मौत के बाद परिवारों की चिंताओं को दूर करने के लिए कसौटी भवन में एक डेस्क स्थापित करने का काम मिला. हमने अन्य दो अधिकारियों को ट्रॉमा सेंटर में तैनात किया.”

कसौटी भवन अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के परिसर में बीजे मेडिकल कॉलेज का ग्राउंड फ्लोर पर जांच कक्ष स्थित है. गुरुवार को शाम 4 से 5 बजे तक डेस्क खुला था. तब तक सौ से ज़्यादा शव बरामद हो चुके थे, जिनमें से सभी की पहचान नहीं हो पाई थी. इसके बाद सरकार ने गुरुवार शाम तक डीएनए जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी.
शीतल गुर्जर ने कहा, “अन्य घटनाओं में शव टुकड़ों में नहीं होते, लेकिन विमान दुर्घटना में शव के टुकड़े-टुकड़े हो गए और उन्हें उठाते समय मांस हाथों से चिपक रहा था. शव पूरी तरह से सुरक्षित नहीं थे. किसी ने भी इस तरह के बचाव का अनुभव नहीं किया था.”
शुक्रवार तक सरकारी अधिकारियों ने ज़्यादातर परिवारों से संपर्क कर लिया था और अहमदाबाद सर्किट हाउस, सरकार के आधिकारिक गेस्ट हाउस, के साथ-साथ दो निजी होटलों में उनके ठहरने की व्यवस्था कर दी थी.
मुंबई के इम्तियाज अली सैय्यद, जिन्होंने दुर्घटना में अपने भाई जावेद, अपनी पत्नी और दो बच्चों को खो दिया था, उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “शुरू में, बहुत भ्रम की स्थिति थी. हालांकि, शुक्रवार को मुझे गुजरात सरकार के एक अधिकारी का फोन आया, जिसमें मुझसे पूछा गया कि क्या मैंने डीएनए टेस्ट के लिए अपने खून का सैंपल दिया है और अहमदाबाद में रहने की जगह के लिए मदद की पेशकश की. मेरे कुछ दोस्त और परिवार के सदस्य हैं, जिनके गुजरात सरकार में संपर्क हैं. जब तक कोई अधिकारी मुझसे संपर्क करता, मैं पहले ही ज़रूरी काम कर चुका था. मैंने अपने रहने की जगह भी तलाश ली थी.”
शनिवार शाम तक, अधिकांश डीएनए सैंपल की सफल डिलीवरी और कलेक्शन के बाद, सरकार ने चार आईएएस अधिकारियों में से दो को चिकित्सा अधीक्षक के कार्यालय के अंदर बनाए गए एक 24/7 केंद्र में तैनात किया और उन्हें सभी पीड़ितों के शवों के डिस्चार्ज होने तक वहीं रहने का निर्देश दिया. एक और अधिकारी कसौटी भवन में रुके रहे, जहां कुछ परिवार के सदस्य अभी भी डीएनए सैंपलिंग के लिए आ रहे थे.
यह भी पढ़ें: वडोदरा के कारीगर एयर इंडिया प्लेन क्रैश के लिए कैसे ताबूत बनाने का सबसे बड़ा ऑर्डर तैयार कर रहे हैं
पीड़ित और परिवार के डीएनए का मिलान

गुरुवार को सरकार ने उन सभी यात्रियों की सूची जारी की, जो अब दुर्घटनाग्रस्त हो चुके विमान में सवार थे और गुजरात के 33 जिलों के कलेक्टर कार्यालयों से अपने कर्मचारियों को अहमदाबाद सिविल अस्पताल भेजने को कहा.
अमरेली में कलेक्टर कार्यालय के एक जूनियर अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं था. हमें अलग-अलग तरीकों से यह पता लगाना था कि क्या कोई यात्री हमारे जिले का था या उनके निकटतम रिश्तेदार हमारे जिले में थे. हमें अपने जिले के पीड़ितों के परिवार की पहचान करनी थी, उन्हें अहमदाबाद सिविल अस्पताल ले जाना था और डीएनए टेस्ट के लिए उनसे सैंपल इकट्ठा करने थे.”
अमरेली में कलेक्टर कार्यालय को गुरुवार रात और शुक्रवार सुबह के बीच जिले के दो परिवार मिले. यूनाइटेड किंगडम के निवासी अर्जुन पटोलिया अपनी मृत पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए अमरेली जिले के वाडिया गांव में घर लौटे थे. वे लंदन के लिए वापसी की उड़ान पर थे, जहां उनकी दो बेटियां, दोनों 10 साल से कम उम्र की, उनका इंतज़ार कर रही थीं. जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो बेटियों ने अपने एकमात्र ज़िंदा माता-पिता को खो दिया.
विमान दुर्घटना की शिकार दूसरी महिला रिद्धिबेन की शादी राजकोट के एक व्यक्ति से हुई थी, लेकिन वह अमरेली की रहने वाली थीं, जहां उनके परिवार के सदस्य वर्तमान में रहते हैं. उनके परिवार को डीएनए टेस्टिंग के लिए खून का सैंपल देने के लिए अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में रिपोर्ट करना पड़ा.
अस्पताल में फोरेंसिक साइंस लैब के कुल 36 फोरेंसिक विशेषज्ञों की दस टीमें डीएनए सैंपल्स पर काम कर रही हैं.
गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी द्वारा एक एक्स पोस्ट के अनुसार, फोरेंसिक विशेषज्ञों में से आठ माताएं हैं जिनके बच्चे तीन साल या उससे कम उम्र के हैं. उनमें से एक व्यक्तिगत त्रासदी से गुजरने के बावजूद ड्यूटी पर आईं — उनकी मां, जिनका हार्ट फंक्शन 20 प्रतिशत तक गिर गया था, 12 जून को होने वाली अपनी सर्जरी के इंतज़ार में “ज़िंदगी के लिए संघर्ष” कर रही थीं. अपने पोस्ट में संघवी ने उन सभी लोगों की सराहना की जो अपने परिवार की ज़रूरतों को एक तरफ रखकर “महत्वपूर्ण कार्य” पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक और सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. रजनीश पाटिल ने कई मीडिया ब्रीफिंग में संवाददाताओं को बताया कि इस विशेष मामले में डीएनए मिलान प्रक्रिया कितनी मुश्किल रही है. सामान्य परिस्थितियों में, इसमें 72 घंटे तक का वक्त लग सकता है. प्रशासन को अब अतिरिक्त सावधानी से काम करना होगा क्योंकि गलतियों के लिए “मेडिकल और कानूनी परिणाम” हो सकते हैं.
इसके अलावा, गुजरात सरकार के एक बयान के अनुसार, अस्पताल ने उन रिश्तेदारों से सैंपल घर से इकट्ठा करने की व्यवस्था की है जो व्यक्तिगत रूप से कसौटी भवन नहीं पहुंच सके. शनिवार को डीएनए कंफीग्रेशन के पहले कुछ मिलान हुए, उसके बाद शवों को शोक संतप्त परिवारों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हुई. मंगलवार दोपहर 2 बजे तक, फोरेंसिक टीम ने 162 डीएनए नमूनों का मिलान किया था.
विमान दुर्घटना के तुरंत बाद, सरकार ने इलाज और मेडिकल ऑपरेशन के लिए 10 सर्जिकल टीमें और 10 मेडिकल टीमें बनाईं, जो अब पूरी डीएनए-मिलान प्रक्रिया की देखरेख कर रही हैं. डॉ. पटेल ने दिप्रिंट को बताया, “सभी इकाइयां एक साथ काम करती हैं. मरीज काफी ज़्यादा हैं.”
यह भी पढ़ें: मिलिए फोरेंसिक डेंटिस्ट से जो समय से रेस लगा रहे हैं ताकि पीड़ितों के परिजन आखिरी बार अलविदा कह सकें
230 टीमें, हर यात्री के लिए 1

राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने कहा कि सरकार ने गुजरात के 33 में से 18 जिलों में पीड़ितों के परिवारों का पता लगा लिया है.
पांडे ने दिप्रिंट को बताया, “हमने हर पीड़ित के परिवार को खोजने के लिए 230 टीमें बनाईं. अगर आप टीमों के गठन को देखें, तो सभी टीमों में 591 कर्मचारी हैं, जिनमें डॉक्टर और ट्रेजरी अधिकारी शामिल हैं.”
अस्पताल ने शोक परामर्शदाताओं की भी व्यवस्था की है. परिवार के सदस्यों ने दिप्रिंट को बताया कि डीएनए टेस्ट या शव को लेने के लिए आने वाले हर परिवार से पूछा जाता है कि क्या वह काउंसलिंग चाहते हैं.
एक-से-एक टीमों के गठन के पीछे एक सरल फॉर्मूला है. एक बार जब पीड़ित के परिवार के सदस्य की पहचान हो जाती है, तो सरकार एक डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी को परिवार से संपर्क करने के लिए भेजती है. गुजरात में रहने वाले परिवारों के लिए उनके गृह जिलों के कलेक्टर परिवार के लिए एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और एक तालुका मजिस्ट्रेट को नियुक्त करते हैं.
जयंती रवि ने बताया कि प्रशासन ने कलेक्टरों को पहले निर्देश दिया था कि अगर संभव हो तो हर टीम में एक महिला को शामिल किया जाए और टीमों के साथ प्रतिदिन बैठकें की जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है. टीमें पीड़ितों के परिवारों के साथ डीएनए टेस्टिंग या शवों को लेने के लिए अस्पताल भी जाती हैं.
जब कोई परिवार शव को घर ले जाता है तो उसे मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. इसके अलावा, हर जिला कलेक्टरेट के स्तर पर प्रशासन ने बीमा दावों को दाखिल करने में परिवारों की मदद करने के लिए वित्त अधिकारियों की टीमों का गठन किया है. जयंती रवि ने कहा, “हम उस व्यक्ति को वापस नहीं दे सकते जिसे परिवारों ने खो दिया है, लेकिन हम इन औपचारिकताओं में मदद कर सकते हैं.”
आणंद में घर वापस आकर, अपनी बहू के अंतिम संस्कार के बाद, पटेल ने याद किया कि कैसे किनल एक डेस्टिनेशन वेडिंग चाहती थीं. परिवार ने उनकी इच्छाओं का सम्मान करने के लिए मुख्य समारोह को स्थगित कर दिया, पिछले साल नए जोड़े के यूनाइटेड किंगडम जाने से पहले एक रजिस्टर्ड मैरिज के लिए समझौता किया.
पटेल ने कहा, “रविवार को जब हमें शव मिला, तो उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हम अपने नुकसान के बारे में किसी काउंसलर से बात करना चाहते हैं. हमने कहा कि हम ठीक हैं. फिर, उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हम ताबूत खोलकर शव को देखना चाहते हैं. हमने मना कर दिया.”
पटेल ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य किनल और उनके पति द्वारा यू.के. में बिताए गए एक साल के दौरान इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई सभी तस्वीरों को ध्यान से देखते रहते हैं. पटेल ने कहा, “हम उसे एक खुशमिजाज, मुस्कुराती हुई लड़की के रूप में याद रखना चाहते हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: कोल्ड स्टोरेज की कमी, शव तेजी से सड़ रहे: एयर इंडिया प्लेन क्रैश के बाद शवगृह में कैसे हालात हैं