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Sunday, 24 November, 2024
होमदेशआवास से लेकर नौकरियों तक, कमजोर आदिवासी समूहों के लिए मोदी सरकार के 24,000 करोड़ की योजना में क्या है

आवास से लेकर नौकरियों तक, कमजोर आदिवासी समूहों के लिए मोदी सरकार के 24,000 करोड़ की योजना में क्या है

यह परियोजना 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 75 PVTG के विकास को लेकर 11 हस्तक्षेपों की योजना बनाती है. यह तेलंगाना, राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ के चुनावों से ठीक पहले आया है, जहां कमजोर जनजातियां हैं.

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नई दिल्ली: आदिवासी आइकन बिरसा मुंडा की जयंती पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24,000 करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PM-PVTG) मिशन का शुभारंभ करेंगे, जिसका उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में आवश्यक सेवाएं प्रदान करना और देश में हाशिये पर पड़े जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक को सुधार करना है.

केंद्र ने मिशन के तहत 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 75 PVTG के समग्र विकास के लिए हस्तक्षेप की योजना बनाई है, जिसे झारखंड में लॉन्च किया जाएगा.

इस साल बजट के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित यह मिशन पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले आया है, जिनमें से तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में PVTG आबादी है.

2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में PVTG आबादी क्रमशः 4.1 लाख और 1.1 लाख है.

वरिष्ठ जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, पेयजल आपूर्ति से लेकर 4G नेटवर्क कनेक्टिविटी देने तक, केंद्र ग्रामीण विकास, दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला और बाल विकास आदि जैसे नौ मंत्रालयों द्वारा केंद्रीय योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से विकास कार्य करने की योजना बना रहा है.

दिप्रिंट कमजोर आदिवासी समूहों के लिए “अपनी तरह की पहली पहल” की रूपरेखा, प्रस्तावित हस्तक्षेप, उनके कार्यान्वयन और संभावित प्रभाव के बारे में बताता है.

PM-PVTG मिशन क्या है?

75 PVTG की अनुमानित जनसंख्या लगभग 28 लाख है. जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अनुसार, ये हाशिए पर रहने वाले समूह 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 220 जिलों के 22,544 गांवों में रह रहे हैं.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि 24,000 करोड़ रुपये की योजना के तहत, 15,000 करोड़ रुपये केंद्र का योगदान होगा और बाकी का योगदान PVTG आबादी वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया जाएगा.

मिशन को केंद्र सरकार की चल रही योजनाओं के माध्यम से तीन साल की अवधि में लागू किया जाएगा.

अधिकारी ने कहा कि हालांकि जनजातीय मामलों का मंत्रालय ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास’ के तहत सालाना 250 करोड़ रुपये आवंटित करता है, लेकिन यह पहली बार है कि इन समूहों के लिए इतने बड़े पैमाने पर कल्याणकारी उपाय प्रस्तावित किए जा रहे हैं.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा, “राज्य विभिन्न केंद्रीय योजनाओं जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम ग्राम सड़क योजना आदि के कार्यान्वयन में योगदान दे रहे हैं. मिशन के तहत, योजना इन 22,000 से अधिक गांवों में सभी आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करने और सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की है.”


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मंत्रालय ने 11 विषयों की पहचान की है, इसमें आवास, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, जल आपूर्ति, सड़क कनेक्टिविटी, 4 जी और मोबाइल नेटवर्क, घरों का विद्युतीकरण, शिक्षा, आंगनवाड़ी केंद्र, बहुउद्देशीय सुविधा केंद्र, आजीविका के साधन और 60 PVTG ब्लॉकों का विकास आदि शामिल है.

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “ये जनजातियां बिखरी हुई, सुदूर और दुर्गम बस्तियों में रहती हैं, अक्सर वन क्षेत्रों में, और इसलिए PVTG परिवारों और बस्तियों को सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी, बिजली, स्थायी आजीविका के अवसरों (अन्य के बीच) जैसी बुनियादी सुविधाओं से संतृप्त करने के लिए एक मिशन की योजना बनाई गई है.”

इसके अलावा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, राष्ट्रीय सिकल सेल रोग उन्मूलन मिशन, टीबी उन्मूलन, शत-प्रतिशत टीकाकरण, पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान, पीएम मातृ वंदना योजना, पीएम जन धन योजना, पीएम-पोषण जैसी पहलों को लागू करने के लिए भी विशेष प्रयास किया जाएगा.

नौ मंत्रालय एक साथ आएंगे

मिशन के तहत प्रस्तावित 11 हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार के नौ मंत्रालय एक साथ आएंगे.

जनजातीय मामलों का मंत्रालय परियोजना के लिए नोडल मंत्रालय होगा और प्रगति की निगरानी, ​​​​प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने और PM-PVTG मिशन के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अन्य मंत्रालयों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ नियमित बैठकें करेगा.

विभिन्न उपायों के प्रभावी और समय पर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, इसने अन्य मंत्रालयों से परामर्श करने के बाद दिशानिर्देशों का एक सेट तैयार किया है जो प्रस्तावित हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन में सहायक होंगे.

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अधिकांश PVTG बस्तियों में जल आपूर्ति, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, स्कूल, सड़क संपर्क और आवास प्रमुख आवश्यकताएं हैं.

जनजातीय मंत्रालय के दूसरे अधिकारी ने कहा, “सभी हस्तक्षेप विभिन्न मंत्रालयों द्वारा उनकी चल रही कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से किए जाएंगे.” उन्होंने कहा कि सभी PVTG बस्तियों को कवर करने के लिए चल रही योजनाओं में संशोधन किए जाएंगे.

आवास के लिए, जनजातीय मामलों और ग्रामीण विकास मंत्रालयों ने एक विश्लेषण किया है ताकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराए जा सकें.

चूंकि बड़ी संख्या में PVTG वन क्षेत्रों में रहते हैं और उनके पास जमीन नहीं है, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है.

मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस साल की शुरुआत में एक आकलन के दौरान यह पाया गया कि 3,000 PVTG गांवों में कोई मोबाइल नेटवर्क या 4G नेटवर्क नहीं है, ऐसे गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के प्रयास किए जाएंगे.

अधिकारियों के अनुसार, जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक और अन्य बुनियादी ढांचे को पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के माध्यम से मैप किया जा रहा है, जिसे बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के लिए 16 मंत्रालयों को एक साथ लाने के लिए 2021 में लॉन्च किया गया था.

(संपादन : ऋषभ राज)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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